Date: 10/12/2024, Time:

जम्मू-कश्मीर विधानसभा में 370 बहाली का प्रस्ताव पास, बीजेपी ने स्पीकर पर लगाए गंभीर आरोप

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श्रीनगर 06 नवंबर। जम्मू-कश्मीर विधानसभा ने राज्य के स्पेशल स्टेटस (अनुच्छेद 370) को फिर से बहाल करने का प्रस्ताव पास किया है। इसके लिए निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने को कहा गया। विधानसभा की कार्यवाही शुरू होते ही जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को बहाल करने का प्रस्ताव पेश किया। निर्दलीय विधायक शेख खुर्शीद और शब्बीर कुल्ले, पीसी प्रमुख सज्जाद लोन और पीडीपी विधायकों ने इसका समर्थन किया।
वहीं बीजेपी विधायकों ने इसका विरोध किया। प्रस्ताव की कॉपियां फाड़ दीं और वेल में जाकर नारेबाजी की। बेंच पर चढ़कर हंगामा करते रहे, जिसके चलते सदन की कार्यवाही एक घंटे से ज्यादा समय के लिए स्थगित रही।

बीजेपी विधायकों ने इस प्रस्ताव में विशेष दर्जे को एकतरफा तरीके से हटाए जाने पर चिंता भी व्यक्त की गई थी, जिसे बिना किसी बहस के पारित कर दिया गया क्योंकि स्पीकर ने शोरगुल के बीच इसे ध्वनिमत से पारित कर दिया। भाजपा विधायक सदन के वेल में आ गए और वहीं डेरा जमाए हुए हैं।

सुरिंदर चौधरी द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि यह विधानसभा विशेष दर्जे और संवैधानिक गारंटी के महत्व की पुष्टि करती है, जिसने जम्मू-कश्मीर के लोगों की पहचान, संस्कृति और अधिकारों की रक्षा की।

विशेष राज्य के दर्जे को एकतरफा तरीके से हटाए जाने पर चिंता व्यक्त करती है। प्रस्ताव में कहा गया है कि यह विधानसभा इस बात पर जोर देती है कि बहाली की किसी भी प्रक्रिया में राष्ट्रीय एकता और जम्मू-कश्मीर के लोगों की वैध आकांक्षाओं दोनों की रक्षा होनी चाहिए।

विपक्ष के नेता सुनील शर्मा सहित भाजपा सदस्यों ने प्रस्ताव का विरोध करते हुए कहा कि यह सूचीबद्ध कार्य का हिस्सा नहीं है। उन्होंने कहा कि हम प्रस्ताव को खारिज करते हैं। हमें जो कार्य दिया गया था, वह यह था कि चर्चा उपराज्यपाल के अभिभाषण पर होनी चाहिए।
विपक्ष के नेता ने कहा कि यहां पार्टियों के बीच होड़ मची हुई है, लेकिन वे सभी जानते हैं कि कुछ नहीं होने वाला है। उन्होंने कहा कि यह अधिनियम देश के लोकतंत्र के सबसे बड़े मंदिर (संसद) द्वारा पारित किया गया है।

बता दें कि 5 अगस्त 2019 को केंद्र ने जम्मू-कश्मीर से धारा 370 और 35A को हटा लिया था. साथ ही तत्कालीन राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांट दिया था. कश्मीरी नेताओं समेत विपक्ष की ज्यादतर पार्टियों ने इसका विरोध किया था. जम्मू-कश्मीर के दो मुख्य पार्टियां नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी ने केंद्र सरकार के इस कदम को कश्मीरियों के धोखा करार दिया था. इसी साल हुए विधानसभा चुनाव में नेशल कांफ्रेंस ने अपने घोषणापत्र में राज्य का खास दर्जा बहाल कराने के लिए लड़ने का वादा किया था.

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