Date: 10/12/2024, Time:

जम्मू कश्मीर में छह साल बाद हटा राष्ट्रपति शासन

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जम्मू 14 अक्टूबर। जम्मू-कश्मीर में लगे राष्ट्रपति शासन को रविवार को हटा लिया गया। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसके लिए अधिसूचना जारी कर दी। इसके साथ ही उमर अब्दुल्ला के लिए सरकार बनाने का रास्ता भी साफ हो गया।

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने नए मुख्यमंत्री के शपथ लेने से पहले राष्ट्रपति शासन हटाने का आदेश जारी कर दिया है। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के तहत राष्ट्रपति शासन का आदेश जारी किया था।

जम्मू-कश्मीर में 2018 से राष्ट्रपति शासन लागू था। 2014 में हुए पिछले विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा-पीडीपी ने गठबंधन की सरकार बनाई थी लेकिन बाद में भाजपा ने सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया था। भाजपा के समर्थन वापस लेने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। तब राज्य संविधान की धारा 92 के अनुसार जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। उस समय जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 नहीं हटा था। 6 महीने के बाद केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन लगा दिया था, जिसे बाद में और बढ़ा दिया गया।

जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन 31 अक्टूबर, 2019 को अनुच्छेद 370 और 35A को निरस्त करने और क्षेत्र को दो केंद्र शासित प्रदेशों- जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में विभाजित करने के बाद लगाया गया था। गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 73 के तहत राष्ट्रपति शासन का आदेश जारी किया था।

नई सरकार के कार्यभार संभालने के लिए विधानसभा के कामकाज से जुड़े प्रावधानों को बहाल करना जरूरी है। राष्ट्रपति शासन के रहते हुए यह नहीं हो सकता। इसके अलावा निर्वाचित सरकार को शपथ लेने की अनुमति देने के लिए भी राष्ट्रपति शासन की घोषणा को रद्द करना जरूरी है।

उमर ने दो सीटों से विधानसभा चुनाव जीता है। वे गांदरबल और बडगाम सीट से चुने गए हैं। दोनों सीटें NC का गढ़ रही हैं। गांदरबल सीट से उनके दादा शेख अब्दुल्ला 1977 और पिता फारूक अब्दुल्ला 1983, 1987 और 1996 में यहां से जीत चुके हैं। 2008 में जब ​उमर पहली बार CM बने थे, तब वे भी इसी सीट से चुनाव जीते थे।

वहीं, बडगाम सीट पर भी NC का दबदबा रहा है। पिछले 10 विधानसभा चुनावों में सिर्फ एक बार NC यहां से हारी है। दरअसल, लोकसभा चुनाव में उमर बारामूला सीट से इंजीनियर राशिद से हार गए थे, इस वजह से उन्होंने दो सुरक्षित सीटों से चुनाव लड़ा।
चुनाव में जीते 7 निर्दलीय विधायकों में से 4 ने 10 अक्टूबर को NC को समर्थन देने का ऐलान किया था। ये चार निर्दलीय- इंदरवल से प्यारे लाल शर्मा, छम्ब से सतीश शर्मा, सूरनकोट से मोहम्मद अकरम और बनी सीट से डॉ रामेश्वर सिंह हैं।

इसके बाद उमर ने कहा था- अब हमारी संख्या बढ़कर 46 हो गई है। वहीं, एक दिन बाद 11 अक्टूबर को आम आदमी पार्टी (AAP) ने NC को समर्थन दिया था। मेहराज मलिक डोडा सीट से पार्टी के एक मात्र विधायक चुने गए हैं।

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