हम किसी भी प्रकार के अपराध और अपराधिक प्रवृति के व्यक्तियों का ना तो समर्थन करते हैं और ना ही भ्रष्टाचार व रिश्वतखोरी को बढ़ावा देेने की हमारी कोई मंशा रहती है लेकिन महिलाओं के मामले में हर स्तर पर मानवीय दृष्टिकोण जरूर अपनाया जाना चाहिए। इसके हम हमेशा समर्थक रहे हैं। क्योंकि रिश्वतखोरी भ्रष्टाचार अब एक वृहद स्तर की व्यवस्था हो गई है। यह तभी रूक पाएगी जब हम सब एकमत होकर इस मामले में काम करेंगे। लेकिन फिलहाल मैं बात कर रहा हूं आगरा स्थित फरह विकासखंड की ग्राम पंचायत झुंडावई में वर्ष 2022-23 में अस्थायी गौशाला के लिए टीन शेड का निर्माण किया गया था। मैसर्स हरे कृष्णा से निविदा कराई गई और करीब 24 लाख रूपये का भुगतान किया गया। टीन शेड निर्माण में कमियां होने पर बीते दस जून को तत्कालीन जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने ग्राम प्रधान प्रताप सिंह राणा को कारण बताओं नोटिस जारी किया। ग्राम प्रधान का कहना है कि निर्माण से संबंधित अभिलेख डीपीआरओ ने मांगे तो उन्हें उपलब्ध करा दिए गए थे। तब डीपीआरओ ने अपने चालक वीरेंद्र सिंह के माध्यम से 70 हजार रूपये की मांग की गई। इस प्रकरण में गठित 14 लोगों की टीम द्वारा डीपीआरओ को 70 हजार की रकम लेते रंगे हाथ पकड़ लिया गया और कोर्ट में पेश करने के बाद उन्हें जेल भेजा गया। जहां गिरफ्तार जिला पंचायत राज अधिकारी किरण चौधरी ने अपने आपको गर्भवती होना बताया और यह बात अल्ट्रासाउंड में भी स्पष्ट हो गई। ऐेसे में मेरा मानना है कि पेट में पल रहे मासूम बच्चे के अच्छे पालन पोषण और उसे साफ सुथरी आबोहवा में पनपने और सांस लेने का मौका मिले इसलिए गर्भवती महिला को मानवीय आधार पर जमानत दी जाए और बच्चे के पैदा होने के बाद पांच साल का होने तक। भले ही मुकदमा चलता रहे और कार्रवाई होती रहे। क्योंकि सरकार और सामाजिक संगठन महिलाओं पर होने वाले अत्याचार का मुखर विरोध करते हैं और जेलों के बारे में जो फिल्मों में दिखाया जाता है या वहां रह चुके लोग चर्चा करते हैं उसके अनुसार गर्भवती महिला का वहां रहना सही नहीं है। इतने जमानत हो उतने जेल में किरण चौधरी को अस्पताल के अंदर रखकर सभी सुविधाएं मिलनी चाहिए जो गर्भवती महिलाओं को उपलब्ध होती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मानवीय आधार पर जेल में बंद गर्भवती पंचायत राज अधिकारी को मिले जमानत
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