asd पीएम ने किया आबुधाबी में एशिया के सबसे बड़े मंदिर का उदघाटन, इसे मानवता की साझी विरासत बताया, मुस्लिम देशों से मित्रता बढ़ने की संभावना हुई मजबूत, पीएम को मिली एक और उपलब्धि

पीएम ने किया आबुधाबी में एशिया के सबसे बड़े मंदिर का उदघाटन, इसे मानवता की साझी विरासत बताया, मुस्लिम देशों से मित्रता बढ़ने की संभावना हुई मजबूत, पीएम को मिली एक और उपलब्धि

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दुबई-अबू धाबी शेख जायेद हाईवे पर अल रहबा के समीप भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा एशिया के सबसे बड़े मंदिर का धार्मिक रीति रिवाजों के बीच उदघाटन किया गया। भारत माता की जय और वंदे मातरम के जयघोष के बीच हुए मंदिर को वैज्ञानिक तकनीकी और प्राचीन वास्तुकला विधियों का उपयोग कर बनाया गया है। यूएई के प्रयासों से उपलब्ध हुई 27 एकड़ जमीन में बना यह मंदिर प्राचीन शैली से निर्मित हुआ और इसमें किसी भी प्रकार की धातु का उपयोग भी नहीं किया गया। 700 करोड़ रूपये की लागत से संयुक्त अरब अमीरात द्वारा दी गई जमीन पर बने इस मंदिर में 300 से अधिक उच्च तकनीकी सेंसर लगाए गए हैं जो तापमान और भूकंप पर नजर रखेंगे। 50000 घन फीट इटैलियन मार्बल, 25 हजार पत्थर के टुकड़ों, 1.80 लाख घन फीट गुलाबी बलुआ पत्थर जो राजस्थान से मंगाया गया से बने 12 गुंबद हैं इसकी लंबाई 262 फिट बताई जाती है। दुनियाभर के इस्लामिक देशों में धीरे धीरे भारत का बढ़ रहा प्रभाव और पीएम मोदी की लोकप्रियता का ही परिणाम कह सकते हैं कि संयुक्त अरब अमीरात यूएई द्वारा मंदिर की जमीन दान देकर भाईचारे और सदभाव की बड़ी मिशाल पेश की गई है। जिसके लिए यूएई के प्रमुख लोगों की सराहना की जानी चाहिए। दुबई और आबूधाबी में यूएई की लगभग 96 लाख की आबादी में 11 फीसदी वहां के नागरिक है। बाकी अन्य देशों के है। यहां मुस्लिम जनसंख्या सर्वाधिक है तो अल्पसंख्यकों में ईसाईयों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है। इसके बाद सिख बौद्ध हिंदू धर्म के लोग है। यहां कानून सख्त है। उसके बावजूद पश्चिमी एशिया का सबसे बड़ा मंदिर बनना और विधि विधान से राम मंदिर की तरह नागर शैली में इसका निर्माध हुआ। जो भारत के 140 करोड़ लोगों के लिए प्रसन्नता की बात कही जा सकती है। इसे हम मानवता की साझा विरासत का प्रतीक तथा मानव इतिहास में सुनहरा अध्याय लिखने के लिए यूएई को धन्यवाद तो देंगे ही उनका आभार भी व्यक्त करते है।
हल्के रेशमी रंग की गुलाबी धोती कुर्ता जैकिट पहने प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि विविधता में घृणा नहीं देखते इसलिए विविधता को अपनी विशेषता मानते हैं। पीएम ने कहा कि यूएई को अभी तक बुर्ज खलीफा शेख जायद मस्सिद और अन्य इमारतों के लिए जाना जाता था लेकिन उनसे सांस्कृतिक अध्याय मंदिर निर्माण के बाद जोड़ दिया है। स्वामी नारायण संप्रदाय के संतों की मौजूदगी में हुए उदघाटन के बाद पीएम मोदी वैश्विक आरती में शामिल हुए। यह आरती 112 स्वामीनारायण मंदिरों में एक साथ हुई। संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के सात अमीरातों का प्रतिनिधित्व करने वाले सात शिखर, ऊंटों की नक्काशी और राष्ट्रीय पक्षी बाज अबू धाबी में बने पहले हिंदू मंदिर में मेजबान देश की झलक पेश करते हैं। बताते चलें कि बोचासनवासी श्री अक्षर पुरुषोत्तम स्वामीनारायण संस्था (बीएपीएस) ने मंदिर बनाया है। यहां भारतीय समुदाय के लगभग 65 हजार लोगों से मोदी ने कहा कि यह अवसर बड़़ा पुनित है। इससे दोस्तीपूर्ण माहौल बनेगा। राष्ट्रपति नाहयान ने मंदिर के प्रस्ताव पर बिना एक पल गंवाए हां कह दिया था। और कहा था कि जिस जमीन पर आप लकीर खिंच देंगे वो मैं आपको दे दूंगा।
मंदिर भी बन गया शुभारंभ भी हो गया। सबसे बड़ी बात उदघाटन के मौके पर संस्था के प्रमुख स्वामी महाराज और यूएई के राष्ट्रपति जायद अल नाहन भी पीएम मोदी के साथ मौजूद रहे। दुनियाभर के देशों में इस मंदिर के निर्माण से भारत की छवि तो प्रमुखता से स्थापित होगी ही। यूएई के राष्ट्रपति जायद अल नाहयान की अच्छी सोच का प्रभाव सभी देशों पर पड़ेगा और सभी देशों में सदभाव मजबूत होने के साथ ही पीएम मोदी की उपलब्धियों में यह और जुड़ गई। इससे भारत और मुस्लिम देशों के नेताओं जो बिना किसी द्वेष भावना के सोचते हैं उनसे देश के संबंध और मजबूत होंगे और दुबई का पर्यटन में इस मंदिर के बनने से बढ़ोत्तरी होगी क्योंकि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि दुनिया में रहने वाले भारतीय मंदिर का अवलोकन करने आबूधाबी पहुंचने लगेंगे। जो दोनों देशों की मित्रता और मजबूत करेंंगै।

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