भारतीय राजनीति में अपने सद् प्रयासों से हिन्दुत्व एवं राष्ट्रवाद को एक नई पहचान दिलाने वाले भाजपा की शिखर यात्राओं के साथ ही राम रथ के सार्थी 96 वर्षीय जनसंघ से लेकर अब तक इस पार्टी के कर्णधार बने रहे पूर्व उप प्रधानमंत्री श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न मिलने के उपरांत शिवसेना के पूर्व सांसद संजय राउत का कहना है कि लाल कृष्ण आडवाणी में प्रधानमंत्री बनने की काबलियत थी। राउत जी कब क्या होना था और क्या नहीं वो समय तो चला गया। सबसे बड़ी बात यह है कि श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न मिलना उनकी गरिमा और गौरव के प्रति सम्मान ही कह सकते है। 19 साल की उम्र में 12 सितंबर 1947 को उन्होंने कराची छोड़ा और पहली बार प्लेन का सफर किया। तथा 1942 में ही आरएसएस का सदस्य बने और टेनिस कोर्ट में पहली बार संघ का नाम सुनने वाले आडवाणी जी को यह सम्मान मिलना देश भक्तों का सम्मान कह सकते है। श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी ने सही कहा कि ये मेरे आदर्शो और सिद्धांतों का सम्मान है मेरा जीवन मेरे राष्ट्र के लिए समर्पित है और ऐसा नजर भी आता रहा है।
श्री लाल कृष्ण आडवाणी और पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी जी की जोड़ी भारतीय राजनीति में विश्व विख्यात रही और लोग उनकी सोच और एकता की मिसाल दिया करते थे।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सोशल मीडिया मंच एक्स पर लिखा हमारे समय के सबसे सम्मानित राजनेताओं में शामिल आडवाणी जी का भारत के विकास में महान योगदान। उन्होंने जमीनी स्तर से काम करने की शुरूआत कर उप प्रधानमंत्री के रूप में देश की सेवा की उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किया जाना मेरे लिए बहुत ही भावुक क्षण है। पीएम मोदी ने सोशल मीडिया मंच पर देश के एक महान नेता के लिए इतनी बड़ी घोषणा कर सोशल मीडिया का भी मान और सम्मान दोनों ही बढ़ाये है। मैं देश के सबसे बड़े मंच सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के मुख्य संस्थापक के रूप में उन्हें इस अनुकरणीय पहल के लिए अपनी बधाई देता हूं।
राष्ट्र की प्रथम विचार धारा का सम्मान करते हुए पीएम मोदी ने श्री लाल कृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देने की आकस्मिक घोषणा कर सर्जिकल स्ट्राईक के बाद देश को एक बार फिर ये विश्वास दिलाया कि वो राष्ट्रहित में काम करने वालों और समाज के प्रति कितना नतमस्तक है।
भारत रत्न मिलने पर श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को माननीय राष्ट्रपति जी माननीय प्रधानमंत्री जी रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह जी पूर्व कैबिनेट मंत्री डा. मुरलीमनोहर जोशी जी भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राज्यसभा सदस्य डा0 लक्ष्मीकांत वाजपेयी मेरठ हापुड़ लोकसभा क्षेत्र के वरिष्ठ सांसद राजेन्द्र अग्रवाल आदि सहित देश का हर राष्ट्र भक्त उन्हें बधाई व शुभकामना देते हुए यह कह रहा है कि यह राम भक्तों व राष्ट्र भक्तों का है सम्मान।
1980 में भाजपा के गठन के बाद से ही आडवाणी वह शख्स हैं, जो सबसे ज्यादा समय तक पार्टी में अध्यक्ष पद पर बने रहे हैं। बतौर सांसद तीन दशक की लंबी पारी खेलने के बाद आडवाणी पहले गृह मंत्री रहे, बाद में अटल सरकार में (1999-2004) उप प्रधानमंत्री बने। आडवाणी को बेहद बुद्धिजीवी, काबिल और मजबूत नेता माना जाता है जिनके भीतर मजबूत और संपन्न भारत का विचार जड़ तक समाहित है। जैसा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी कहते थे- आडवाणी जी ने कभी राष्ट्रवाद के मूलभूत विचार को नहीं त्यागा और इसे ध्यान में रखते हुए राजनीतिक जीवन में वह आगे बढ़े हैं और जहां जरूरत महसूस हुई है, वहां उन्होंने लचीलापन भी दिखाया है।
डालते हैं उनके सफर पर नजर
जन्मः आठ नवंबर 1927 सिन्ध प्रांत (पाकिस्तान)
पिता का नामः किशन चंद आडवाणी
माता का नामः ज्ञानी देवी आडवाणी
1936-1942- कराची के सेंट पैट्रिक्स स्कूल में 10वीं तक पढ़ाई, क्लास में टापर रहे।
1942 में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ में शामिल हुए।
1942 में भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान दयाराम गिदुमल नेशनल कालेज में दाखिला लिया।
1944 में कराची के माडल हाई स्कूल में बतौर शिक्षक नौकरी की।
1947 में आडवाणी देश के आजाद होने का जश्न भी नहीं मना सके कि विभाजन के चलते उन्हें सिंध में अपना घर छोड़कर दिल्ली आना पड़ा। उन्होंने इस घटना को खुद पर हावी नहीं होने दिया और मन में इस देश को एकसूत्र में बांधने का संकल्प ले लिया।
1947-1951 तक राजस्थान के अलवर, भरतपुर, कोटा, बुंदी और झालावार में आरएसएस को संगठित किया।
1957 में अटल बिहारी वाजपेयी की सहायता के लिए दिल्ली आये।
1958-63 तक दिल्ली प्रदेश जनसंघ में सचिव रहे।
1965 में कमला आडवाणी से विवाह हुआ, प्रतिभा एवं जयंत दो संतानें हैं।
अप्रैल 1970 में पहली बार राज्यसभा में प्रवेश किया।
दिसंबर 1972- भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष नियुक्त किए गए।
26 जून, 1975- बेंगलुरु में आपातकाल के दौरान गिरफ्तार, भारतीय जनसंघ के अन्य सदस्यों के साथ जेल गये।
मार्च 1977 से जुलाई 1979 तक देश के सूचना एवं प्रसारण मंत्री रहे।
मई 1986 में भाजपा अध्यक्ष बने।
तीन मार्च 1988 को दोबारा पार्टी अध्यक्ष बने।
1990 में सोमनाथ से अयोध्या तक राम मंदिर रथ यात्रा शुरू की।
अक्टूबर 1999 से मई 2004 तक केंद्रीय गृह मंत्री रहे।
जून 2002 से मई 2004 तक देश के उप प्रधानमंत्री रहे।
12 सितंबर 1947 को कराची छोड़ अकेले लगभग 19 साल की उम्र में भारत आये और फिर देश सेवा में जुट गये। आदरणीय लालकृष्ण आडवाणी जी से मेरे पिता रवि कमार बिश्नोई का कोई बहुत बड़ा सम्पर्क तो नहीं रहा लेकिन यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव जी के शादी समारोह दिल्ली में आयोजित जिसमें सभी बड़े नेता हर दल के मौजूद थे मैं तथा सांसद राज्यसभा सदस्य डा0 लक्ष्मीकांत जी की बेटी की शादी में कुछ क्षणों के लिए सम्पर्क हुआ। लोकसभा चुनाव आने वाले थे आडवाणी जी पत्रकारों से बात नहीं करना चाहते थे मगर जैसे ही वो डा0 लक्ष्मीकांत वाजपेयी जी की बेटी को आशीर्वाद देकर बाहर निकले रवि कुमार बिश्नोई अचानक सामने खड़े होकर और आग्रह किया कि भाजपा प्रधानमंत्री मानकर किसके नाम पर चुनाव लड़ेगी तो वो बोले नॉ कामेंट बाद में यह शब्द मीडिया की नेशनल इंटरनेशनल स्तर की सुर्खियां बना।
प्रधानमंत्री बनने के बाद देश में सर्जिकल स्ट्राईक के नायक बने और फिर राष्ट्र हित में कई महत्वपूर्ण निर्णय लेने के बाद लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न अचानक देने और उसकी घोषणा सोशल मीडिया मंच से करने का अहम फैंसला लेने की ताकत रखने वाले देश के हमारे माननीय यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी से मेरा आग्रह है कि इसी प्रकार से किसी समय पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह जी डा0 राम मनोहर लोहिया एवं मान्यवर कांशीराम जी मुलायम सिंह यादव जॉर्ज फर्नाडींज आदि जो जीवन भर जनहित में काम करने वाले जमीन से जुड़े नेताओं को जो ये सम्मान देने की मांग समय समय पर जनता में उठ रही है उसे भी पूरा कर नागरिकों की मनोकामना पूरा करने में एक महत्वपूर्ण निर्णय और लीजिए मोदी जी।
(संकलन प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई राष्ट्रीय महामंत्री सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी संपादक पत्रकार)