asd पीएम व सीएम दें ध्यान! लोकत्रंत पर भारी पड़ता भींडत्रंत, हुकुमरान खामोश, आम आदमी क्या करे? – tazzakhabar.com
Date: 28/03/2025, Time:

पीएम व सीएम दें ध्यान! लोकत्रंत पर भारी पड़ता भींडत्रंत, हुकुमरान खामोश, आम आदमी क्या करे?

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अपना देश लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं का पालन करने और उन्हें मानने के लिए पूरे विश्व में जाना जाता है। क्योंकि यहां देश के माननीय प्रधानमंत्री जी से लेकर हर व्यक्ति लोकतांत्रिक व्यवस्था को सम्मान देते हुए उनका पालन करते है। तथा समाज में इसे बनाये रखने हेतु नियम व कानून भी बनाये गये है। लेकिन पिछले कुछ वर्षाे से जो नजर आ रहा है उससे लगता है कि लोकत्रंत पर जनत्रंत भारी पड़ रहा है। इसके उदाहरण के रूप में आये दिन देश के गांव गली मौहल्लों से लेकर बड़े बड़े शहरों तक में सड़कों को घेरकर उनपर आंदोलनों व धरनों से रास्तों को बंद कर देना और किसी जरूरतमंदों द्वारा उससे निकलकर आगे जाने या यह प्रार्थना करने कि उसे जरूरी कार्य है या कोई बीमार है तो उसे जाने दिया जाए तो ज्यादातर ऐसे मामलों में सीधे साधे नागरिकों की पीटाई कर दी जाती है। और इस संदर्भ में संविधान के तहत नियमों का पालन कराने और लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कायम रखने के लिए जो हुकुमरान वहां मौजूद होते है वो वहां खड़े तमाशा देखते रहते है। और इस संदर्भ में कई बार नागरिकों के साथ साथ माननीय न्यायालय द्वारा भी सख्त रूख अपनाने के निर्देश दिये गये लेकिन सुधार तो हो नहीं पाया हां स्थिति और बिगड़ती जा रही है। परिणाम स्वरूप लोकत्रंत पर जनत्रंत निरंतर हावी होता जा रहा है। बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री बसपा सुप्रीमों मायावती जी द्वारा लखनऊ में इस बात पर चिंता भी व्यक्त करते हुए कहा गया कि भींड हत्या व रौब खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है। उन्होंने हरियाणा की चरखी दादरी में घटी एक घटना की चर्चा करते हुए एक गरीब युवक की हुई हत्या को लेकर कहे। और मैं समझाता हूं कि भींडत्रंत और जनत्रंत इस तरह हावी होता रहा तो लोकत्रंत में विश्वास रखने वाले कहां जाएंगे यह तो वक्त ही बतायेगा।
देश के यशस्वी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी और यूपी सहित सभी प्रदेशों के मुख्यमंत्रियों से जनहित में यह आग्रह है कि देश में कानून व्यवस्था का राज बना रहे लोकत्रंत में नागरिकों की आस्था बढ़े इसके लिए भींडत्रंत की जो प्रथा बढ़ती जा रही है और कुछ लोग उसका लाभ उठाकर आम आदमी को परेशान कर रहे है और हुकुमरान खामोश तमाशा देखते है। इस व्यवस्था को बदलने हेतु जिम्मेदार अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिये जाए कि आम आदमी को लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन न होने दे और परिस्थिति कुछ भी हो आंदोलन धरना प्रदर्शन सबका अधिकार है मगर उसमें रास्ता नहीं रोका जाना चाहिए और कोई भी भींडत्रंत में शामिल होकर आम आदमी के साथ दुव्यवहार व मारपीट न करने पाए यह तय करने हेतु जो अफसर तैनात किये जाते है उन्हें जबावदेह भी बनाया जाए और लोकत्रंत का उल्लंघन होता है संबंधित अधिकारियों को जवाबदेह बनाया जाए। फिर जो भी नियमानुसार कार्रवाई हो सकती है तो उनके खिलाफ अफसरों के विरूद्ध भी की जाए।

(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महासचिव पूर्व सदस्य मजीठिया बोर्ड यूपी)

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