Date: 14/12/2024, Time:

फूलन देवी गिरोह के डकैत को उम्रकैद, 20 लोगों की हत्‍या वाले बेहमई कांड में 43 साल बाद आया फैसला

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कानपुर देहात 15 फरवरी। बहुचर्चित बेहमई हत्याकांड में 43 साल बाद फैसला आया है. एंटी डकैती कोर्ट ने आरोपी श्याम बाबू (80) को दोषी मानते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है. वहीं एक आरोपी विश्वनाथ (55) को बरी कर दिया है. खास बात है कि 14 फरवरी 1981 को यह कांड हुआ था और 14 फरवरी 2024 को ठीक 43 साल बाद फैसला आया है. बेहमई हत्याकांड की गूंज देश- दुनिया में हुई थी और इस कांड पर बॉलीवुड की चि‍र्चित फिल्‍म बैंडिट क्‍वीन भी बनी थी. इस कांड में मुख्‍य आरोपी डकैत फूलन देवी और उसका गिरोह था.

14 फरवरी 1981 को दोपहर के दो से ढाई बजे का समय था जब डकैत फूलन देवी और उसके साथ डकैत मुस्तकीम, रामप्रकाश और तल्लू गैंग के तकरीबन 35-36 लोगों ने बेहमई गांव को घेर लिया था. घरों में लूटपाट शुरू कर दी था. माँ को घर से बाहर खींचकर लाया गया. सभी गांव में एक टीले के पास 26 लोगों को इकट्ठा किया गया.

इसके बाद डकैत फूलन देवी और उसके साथियों ने उन (26 लोगों) पर ताबड़तोड़ 4 से 5 मिनट तक गोलियां बरसाईं. इसमें से 20 लोगों की मौत हो गई जबकि 6 लोग घायल हो गए थे. इसके बाद फूलन और उसके साथ आए डकैत गांव से चले गए. गांव के ठाकुर राजाराम ने पुलिस को सूचना दी थी. करीब 3 से 4 घंटे बाद पुलिस वहां पहुंची. गांव से सिर्फ औरतों और बच्चों की रोने की दूर-दूर तक आवाजें आ रही थीं. गांव के ऊपर कौए मंडरा रहे थे. ठाकुर राजाराम ने तब फूलन, मुस्तकीम, रामप्रकाश और लल्लू के खिलाफ नामजद FIR दर्ज कराई थी.

14 फरवरी 1981 को कानपुर देहात के बेहमई गांव में डकैत फूलन देवी और उसके गैंग ने 26 लोगों को गोलियों से भून दिया था. इस कांड में 20 लोगों की मौत हो गई थी. घटना के बाद देश व विदेशी मीडिया ने भी जिले में डेरा डाला था. जब सारा गांव कांप रहा था तो राजाराम नाम के शख्स मुकदमा लिखाने के लिए आगे आये और फूलन देवी और उसके गैंग के गुर्गे मुस्तकीम समेत 14 को नामजद कराते हुए 36 डकैतों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया था. लचर पैरवी और कानूनी दांव पेंच में ऐसा उलझा कि 43 साल में भी पीड़ितों को न्याय नहीं मिल पाया था. कोर्ट 20 साल तक डकैत फूलन देवी की हाजिरी के लिए इंतजार करती रहीं. 2001 में फूलन देवी की हत्या हो गई. अब जाकर 43 साल बाद फैसला आया है. इस केस में कुल 35 आरोपी बनाए गए थे.

बहुचर्चित मुकदमे में नामजद अधिकांश डकैतों के साथ 28 गवाहों की मौत हो चुकी है. वादी राजाराम हर तारीख पर न्याय पाने की आस में आते थे और सुनवाई के लिए जिला न्यायालय पहुंचते थे. लेकिन न्याय की आस लिए बवादी राजाराम की भी कई साल पहले मौत हो गई. डीजीसी राजू पोरवाल ने बताया कि मामले की सुनवाई एंटी डकैती कोर्ट में चल रही थी. कोर्ट ने श्याम बाबू को दोषी माना है और सजा सुनाई है. वहीं विश्वनाथ को दोष मुक्त किया है.

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