नई दिल्ली 29 नवंबर। उच्च शिक्षण संस्थानों में स्नातक की पढ़ाई कर रहे छात्रों के लिए यूजीसी ने गुरुवार को बड़ा ऐलान किया। जल्द ही छात्रों को डिग्री प्रोग्राम की मानक अवधि की बजाय पढ़ाई की अवधि कम करने या बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।
यूजीसी ने इसी हफ्ते एक बैठक में त्वरित डिग्री प्रोग्राम (एडीपी) और विस्तारित डिग्री कार्यक्रम (ईडीपी) की पेशकश के लिए एसओपी को मंजूरी दी। मसौदा मानदंडों को अब हितधारकों की प्रतिक्रिया के लिए सार्वजनिक पटल पर रखा जाएगा। यूजीसी अध्यक्ष जगदीश कुमार ने बताया कि डिग्रियों में एक स्व-निहित नोट का उल्लेख होगा कि एक मानक अवधि में जरूरी एकेडमिक जरूरतों को छोटी या विस्तारित अवधि में पूरा किया है। इसे शैक्षणिक, भर्ती उद्देश्यों के लिए मानक अवधि की डिग्री के बराबर माना जाएगा। एडीपी के तहत छात्रों को प्रति सेमेस्टर अतिरिक्त क्रेडिट अर्जित करके तीन साल या चार साल का पाठ्यक्रम कम समय में पूरा करने का विकल्प मिलेगा, ईडीपी में प्रति सेमेस्टर कम क्रेडिट अर्जित कर पाठ्यक्रम अवधि बढ़ाने का विकल्प मिलेगा।
सिर्फ कार्यक्रम की अवधि में हो सकेगा परिवर्तन
जगदीश कुमार ने कहा कि परिवर्तन कार्यक्रम की अवधि में होगा। छात्रों के पास पहले सेमेस्टर या दूसरे सेमेस्टर के अंत में एडीपी चुनने का विकल्प होगा, आगे नहीं। एडीपी वाले छात्र सेमेस्टर शुरू होने पर अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। पहले सेमेस्टर के बाद शामिल होते हैं, तो दूसरे सेमेस्टर से अतिरिक्त क्रेडिट लेंगे। तीन-वर्षीय या चार-वर्षीय स्नातक में अवधि अधिकतम दो सेमेस्टर तक बढ़ेगी। इसके अनुसार, छात्र हर सेमेस्टर में कम क्रेडिट अर्जित कर सकते हैं।
छात्रों की क्षमता पर अवधि घटाने-बढ़ाने का विकल्प
यूजीसी अध्यक्ष के मुताबिक छात्रों को क्षमता के आधार पर डिग्री अवधि घटाने-बढ़ाने का विकल्प मिलेगा। यूजीसी अभी विचार कर रहा है। एडीपी और ईडीपी के तहत, छात्र मानक-अवधि कार्यक्रम के समान कुल क्रेडिट अर्जित करते हैं। संस्थान छात्रों की पात्रता मूल्यांकन के लिए कमेटी बनाएंगे। संस्थान ईडीपी, एडीपी के तहत पहले या दूसरे सेमेस्टर अंत में प्राप्त आवेदनों की जांच के बाद छात्रों को चुनने के लिए समिति बना सकते हैं।
प्रो. कुमार ने बताया कि ADP और EDP के तहत मिलने वाली डिग्रियां में कोई अंतर नहीं होगा, दोनों डिग्रियां एक जैसी होंगी. हालांकि डिग्री में यह लिखा होगा कि छात्र ने डिग्री कम समय में पूरा किया है या ज्यादा समय में, लेकिन इससे उनके महत्व पर कोई असर नहीं पड़ेगा.
कुमार ने बताया कि कुल छात्रों के 10 प्रतिशत छात्रों को ही इन प्रोग्राम के लिए चुना जाएगा. छात्रों को इन प्रोग्राम के लिए एसओपी चुनने के लिए एक सेमेस्टर पहले ही इन विकल्पों को चुनना होगा.