होली को लेकर जातिगत सोच के आधार पर टिप्पणी करने वालों को मुस्लिम महिला फाउंडेशन और विशाल भारत संस्थान के बैनर तले वाराणसी में होली के गीतों के बीच रघुराई अवध में कृष्ण कन्हाई गोकुल में वृंदावन में श्रीराधा जैसे भजनों के बीच संत प्रेमानंद महाराज के साथ होली खेली गई जो इस बात का प्रतीक है कि भाईचारे को बढ़ाने वाला आयोजन किसी जाति में नहीं बंध सकता। ना ही इसे लेकर सबकी सोच एक जैसी हो सकती है। सबकी अपनी राय है। लेकिन वर्ल्ड पीस हार्मोनी यूथ विंग के अध्यक्ष हाजी फैज सैफी और हाजी शकील सैफी द्वारा होली मनाई जा रही है। प्रेम और भाईचारे का संदेश फैलाने के साथ ही समाचार पत्रों में विज्ञापन भी छपवाए गए हैं। इसे भाईचारा बढ़ावा देने की कोशिश कह सकते है। अगर फिर भी कोई त्योहार को लेकर ऐतराज उठाता है तो भाजपा विधायक और मंदिर प्रकोष्ठ के अध्यक्ष करनैल सिंह का सुझाव सही है कि रंगों से परहेज करने वाले रंग और पिचकारी बेचने से भी परहेज करें। कितने लोग इनका व्यापार तो करते हैं और वैसे परहेज दर्शाते हैं। दोनों बात सही नहीं है। इससे ऐसा लगता है कि रंग में भंग डालने की कोशिश की जा रही है। दरभंगा की मेयर का यह कहना कि जुमे की नमाज के लिए दो घंटे होली के आयोजन को विराम दिया जाए। मुझे लगता है कि मेयर अंजुम आरा का यह कथन सही नहीं कह सकते क्योंकि रंग एक जगह नहीं खेला जाता और यह देश में एक साथ होता है। ऐसे में महापौर का सुझाव समयानुकुल नहीं कह सकते।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मुस्लिम महिलाओं ने बनारस में खेली होली, सैफी बंधुओं ने विज्ञापन छपवाकर दी बधाई, यह है भाईचारे को मजबूत देने का संदेश
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