गाजीपुर 14 मार्च। यूपी के बांदा जेल में बंद माफिया व डॉन मुख्तार अंसारी को करीब 36 साल पुराने मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। बता दें, गत दिवस गाजीपुर के फर्जी शस्त्र लाइसेंस मामले में माफिया मुख्तार अंसारी के खिलाफ सजा सुनाई गई। एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अवनीश गौतम की कोर्ट ने इस मामले में सजा सुनाई है। इस दौरान मुख्तार अंसारी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के अदालत में पेश किया गया। माफिया पर आरोप था कि गाजीपुर के डीएम और पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर उसने शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था।
अभियोजन पक्ष का मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप था कि दस जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था। जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था। इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा चार दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी,तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया।
जांच के बाद तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित कर दी गई। मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया।
इस मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से प्रदेश के मुख्य सचिव आलोक रंजन,पूर्व डीजीपी देवराज नागर समेत दस गवाहों का बयान दर्ज किया गया। अदालत में अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी विनय कुमार सिंह व सीबीसीआईडी की ओर से ज्येष्ठ अभियोजन अधिकारी उदयराज शुक्ला ने पैरवी की।
मुख्तार अंसारी को आईपीसी की धारा 420 यानी धोखाधड़ी, 467 यानी बहुमूल्य सुरक्षा, वसीयत आदि की जालसाजी और 468 यानी ठगी के मकसद से जालसाजी के धाराओं के तहत दोषी पाए जाने पर आजीवन कारावस की सजा सुनाई गई है। आईपीसी की इन धाराओं के अंतर्गत अधिकतम दस साल तक की सजा का नियम है। इसके अलावा मुख्तार अंसारी को आयुध अधिनियम की धारा 30 के अंतर्गत भी दोषी दोषी करार दिया गया है। इसके तहत अधिकतम छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों का प्रावधान है।