asd महाकुंभ में लगाई डुबकी फिर सपने में आई मां, 32 साल बाद बेटा लौटा घर

महाकुंभ में लगाई डुबकी फिर सपने में आई मां, 32 साल बाद बेटा लौटा घर

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मिर्जापुर 19 फरवरी। जिले के जमालपुर के एक परिवार में 32 साल बाद खुशियां आई है. 32 साल से इतंजार कर रही बूढी मां को बेटा मिल गया और पत्नी पति मिल जाने पर घर में खुशियां मनाई जा रही है. बताते चले कि जमालपुर के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता की जो 1992 में अयोध्या ढांचा विध्वंस में कार सेवकों के साथ शामिल हुए थे. घर पहुंचने पर उन्हें जेल हो गया था जेल से छूटने के बाद पुनः वापस अयोध्या चले गए इसके बाद से लापता हो गए थे. 32 साल बाद महाकुंभ स्नान करने आए और उन्हें सपने में मां की याद आई और वह रात में अपने वह घर पहुंच गए दरवाजा खटखटाकर कहा मां दरवाजा खोलो गहरी नींद में सो रही बूढी मां बहू से बोलती है बेटा आया है दरवाजा खोल दो. बहू बोली सो जाइए वह नहीं हैं. बूढ़ी मां का दिल नहीं माना तो बहू के साथ दरवाजा खोला तो साधु के वेश में दरवाजे पर उनका बेटा खड़ा था. 32 साल बाद मिले मां ने अपने लाल को गले लगा लिया.

दरअसल जमालपुर के रहने वाले अमरनाथ गुप्ता 1992 में अयोध्या ढांचा विध्वंस के दौरान कार सेवकों की टोली में गए थे. अयोध्या से ट्रेन से मिर्जापुर वापस हो रहे थे. इस दौरान जौनपुर में ट्रेन पर पथराव होने लगा. वहां से उतरकर किसी तरह वाराणसी से जमालपुर अपने घर पहुंचे. घर पहुंचने पर अमरनाथ को पुलिस ने गिरफ्तार कर मिर्जापुर की जेल में बंद कर दिया था. कुछ दिन जेल काटने के बाद जेल से छूटकर घर पहुंचे. घर पर जब मन नहीं लगा तो परिवार को बिना बताए अयोध्या निकल गए थे. अयोध्या से वृंदावन पहुंचकर बाबा किशोर दास से दीक्षा लेकर उनके जयपुर आश्रम में रहने लगे. एक हफ्ते पहले महाकुंभ स्नान करने आए. स्नान करने के बाद रात में सो रहे थे. इस दौरान उन्होंने अपनी मां को सपने में देखा तो रविवार को मां से मिलने घर पहुंच गए. अब उनको देखने के लिए आसपास के लोग पहुंच रहे हैं. मुंबई में नौकरी कर रहे भाई विजय कुमार, चचेरे भाई त्रिलोकी, संत कुमार और राजू भी उनसे मिलने के लिए जमालपुर आ रहे हैं.

बताते चले कि अयोध्या ढांचा विध्वंस के सालों से लापता अमरनाथ गुप्ता जिनकी उम्र 72 साल हो चुकी है. पढ़ाई के दौरान ही विश्व हिंदू परिषद (RSS) के साथ जुड़ गए थे. 95 साल की बूढ़ी मां प्यारी देवी, पत्नी चंद्रावती, बेटा अतुल बेटी अर्चना, अंजना मोनी समेत सात बहनें उन्हें पाकर बेहद खुश हैं.

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