asd मोदी सरकार का सराहनीय प्रयास! निष्क्रिय खातों में बैंकों में जमा आम आदमी का 78 हजार करोड़ वापस देने ? केवाईसी के नाम पर परेशान करने वाले अफसरों की उपभोक्ता करें शिकायत और निलंबन की मांग

मोदी सरकार का सराहनीय प्रयास! निष्क्रिय खातों में बैंकों में जमा आम आदमी का 78 हजार करोड़ वापस देने ? केवाईसी के नाम पर परेशान करने वाले अफसरों की उपभोक्ता करें शिकायत और निलंबन की मांग

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शहर हो या गांव उपभोक्ताओं को बैंक अधिकारी और कर्मचारी भले ही नियमों के नाम पर रेशान करने में लगे हों लेकिन सरकार अपने उपभोक्ताओं का पैसा उन्हें दिलाने और खाताधारकों को परेशानी ना हो इसके साथ ही पूर्व में बिना दावे वाले खातों में जमा 78 हजार करोड़ रूपये की राशि जो किसी ना किसी रूप में नागरिकों की है। उन्हें वापस करने के लिए महत्वपूर्ण प्रयास कर रही है। इस बारे में एक खबर के अनुसार केंद्र सरकार निष्क्रिय बैंक खातों में वर्षों से जमा रकम को उनके ग्राहकों अथवा संबंधित परिजनों तक लौटाने की तैयारी कर रही है। इसके लिए सरकार ने सभी सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों से वित्त वर्ष 2025-26 में 78,000 करोड़ रुपये से अधिक की बिना दावे वाली राशि का कम से कम 30-40 प्रतिशत निपटान करने को कहा है। मामले से जुड़े दो अधिकारियों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सरकार की मंशा है कि बैंकों को जमीनी स्तर पर लक्ष्य निर्धारित कर यह काम सौंपा जाए। योजना के तहत बैंकों को उन इलाकों की पहचान करनी होगी जहां, सबसे अधिक निष्क्रिय खाते मौजूद हैं। शाखा स्तर पर त्रैमासिक लक्ष्य तय किए जाएंगे और एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) विकसित की जाएगी। यह पूरी प्रक्रिया भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों के तहत क्रियान्वित होगी।
कहां जाती है ऐसी रकम
वर्तमान नियमों के अनुसार, यदि कोई खाता 10 साल या उससे अधिक समय तक निष्क्रिय रहता है, तो उसकी राशि आरबीआई के डिपॉजिटर एजुकेशन एंड अवेयरनेस फंड (डीईएएफ) में भेज दिया जाता है। यह फंड अब घ्78,000 करोड़ के पार पहुंच चुका है। वित्तीय सलाहकारों का मानना है कि यदि इन जमाओं को सही खाताधारकों तक वापस पहुंचाया जाए तो यह न केवल उपभोक्ताओं के लिए लाभकारी होगा, बल्कि अर्थव्यवस्था के लिए भी सकारात्मक संकेतक साबित होगा।
क्या है आरबीआई के निर्देश
भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले साल इस दिशा में नए निर्देश जारी किए थे। इनके अनुसार, सभी बैंकों को अपनी वेबसाइट पर निष्क्रिय बैंक खातों और उनमें जमा रकम की जानकारी प्रदर्शित करनी होगी। साथ ही एक सार्वजनिक खोज विकल्प (सर्च बटन) भी उपलब्ध कराना होगा, जिससे खाताधारक यह जान सकें कि उनके नाम पर कोई राशि शेष है या नहीं। इस कड़ी में सरकार ने अब चालू वित्त वर्ष के लिए बैंकों के सुधार एजेंडा में बिना दावे वाली जमा के जल्द निपटान को शामिल किया है।
उद्गम पोर्टल पर ब्योरा
फिलहाल, ग्राहक आरबीआई के उद्गम पोर्टल के जरिए यह देख सकते हैं कि उनके नाम पर कोई निष्क्रिय जमा राशि है या नहीं। लेकिन दावा करने के लिए उन्हें संबंधित बैंक शाखा में जाना पड़ता है। सरकार इस प्रक्रिया को पूरी तरह डिजिटल बनाने की दिशा में काम कर रही है, जिससे भविष्य में दावा ऑनलाइन किया जा सकेगा।
केवाईसी से ग्राहकों तक पहुंचना आसाना होगा
बैंकिंग विशेषज्ञ विवेक अय्यर का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में बैंकों द्वारा केवाईसी (नो योर कस्टमर) और ग्राहक सत्यापन प्रक्रियाओं में व्यापक सुधार किए गए हैं। इससे अब निष्क्रिय खातों के असली मालिकों तक पहुंचना आसान होगा और यह अभियान पहले की तुलना में अधिक सफल हो सकता है।
निजी बैंक भी हो सकते हैं इस योजना में शामिल
कानूनी विशेषज्ञ मनमीत कौर के अनुसार, यह योजना बैंकों की रिकॉर्ड-रखने की लागत को कम करने में भी सहायक होगी, क्योंकि बड़ी संख्या में निष्क्रिय खातों को बंद किया जा सकेगा। हालांकि, यह पहल फिलहाल सार्वजनिक बैंकों पर केंद्रित है, लेकिन भारतीय बैंक संघ इसे निजी बैंकों तक भी पहुंचाने की तैयारी कर रही है।
अगर किसी बैंक का मैनेजर या कर्मचारी पुराने खाते का संचालन केवाईसी करने के नाम पर परेशान करें तो तुरंत गूगल पर जाकर संबंधित नियम देखें और लगे कि जानबूझकर परेशान किया जा रहा है तो पहले बैंक मैनेजर से शिकायत करें तो जिले के डीएम से मिलकर शिकायत करें और साथ ही आरबीआई के गर्वनर को सूचित किया जाए और मांग की जाए कि परेशान करने वाले बैंक अधिकारी या कर्मचारी को सस्पेंड किया जाए और देखा जाए कि जो नियम वो हमें बता रहा है उनका पालन अन्य मामलों में किया है या नहीं। क्योंकि जो हमारी राशि बैंकों में हमारे बुजुर्गों या परिवार के सदस्यो ंने जमा की और वो किसी वजह से निकाल नहीं पाए वो पैसा हमें दिलाने के लिए सरकार और वित्त मंत्रालय व आरबीआई के अधिकारी प्रयास कर रहे नजर आते हैं। मगर पता चलता है कि कई बैंकों के अधिकारी मिलीभगत कर केवाईसी खाते शुरू कराने में परेशान करते हैं। मेरा मानना हेै कि उपभोक्ता हित में सोचने वाले आरबीआई के अधिकारी देशभर में अपने सभी उपभोक्ताओं के मोबाइल पर सूचना भेजकर उन्हें अवगत कराएं कि केवाईसी के लिए क्या क्या चाहिए और क्या नियम है। और बचत व करेंट खाताधारकों को किन नियमों का पालन करना चाहिए। इससे ज्यादा अधिकारी परेशान करते हैं तो उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग भी की जा सकती है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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