बीते दो अक्टूबर को देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के स्वच्छता अभियान को दस साल पूरे होने पर देशभर में कई जगह सही मायनों में सफाई और कूड़ा उठवाने की बजाय स्थानीय निकायों द्वारा स्वच्छता के प्रति जागरूकता को चलाए गए अभियानों के तहत सड़कों पर नारे लगाते हुए बैनर और पोस्टर लेकर जुलूस निकाले गए। इनमें स्थानीय निकायों के अध्यक्ष व निगमों के मेयर शामिल हुए और नारेबाजी करते हुए फोटो खिंचवाये गए और समाचार पत्रों में खबर और फोटो छपे और कही पर विज्ञापन भी इस बारे में प्रकाशित कराए। मगर सवाल यह उठता है कि क्या अफसरों और स्थानीय निकायों और इस संबंध में अफसरों के इस दिखावटी कार्य से पीएम के इस अभियान की सफलता में कोई सहयोग हुआ। तो असलियत को यही जान सकते हैं लेकिन जितना मैंने देखा उसके हिसाब से स्चच्छता पखवाड़ा और निकली रैलियां हाथी के दांत खाने के और व दिखाने के कुछ और के समान ही बनकर रह गए। कई लोगों का इस बारे में कहना था कि अफसर और कुछ जनप्रतिनिधि किसे धोखा दे रहे हैं। क्योंकि नगर निगम क्षेत्र में तो सफाई का बुरा हाल है। अगर सर्वे कराया जाए तो ज्यादातर नगर निगम और स्थनीयय निकाय पूरे तौर पर अपनी जिम्मेदारी निभाने में फेल मिलेंगे। एक सज्जन का यह कथन बड़ा महत्वपूर्ण लगा कि शहर के वीआईपी क्षेत्र कमिश्नर ऑफिस चौराहा के पास स्थित नगरायुक्त के आवास के ठीक सामने नाली की कई माह से अभियान चलाने तक सफाई नहीं हुई थी। जब इस अभियान को चलवाने वालों के घर के पास ऐसा हाल हे तो दूसरी जगह क्या हाल होगा। ऐसा ही हाल , महापौर के आवास के समीप नजर आता है।
कुछ नागरिकों का कहना है कि प्रधानमंत्री के स्वच्छता अभियान पर महापौर के आवास वाला क्षेत्र गंगानगर भी खरा नहीं उतरता है। तो आखिर किसे दिखाने के लिए यह अभियान चलाए जा रहे हैं। क्या सिर्फ कागजी आंकड़ेबाजी पूरी करने व वाह वाही लूटने का प्रयास कब तक चलते रहेंगे। गुमराह करने वाले स्वच्छता अभियान महापौर जी और नगरायुक्त जी, जनता अब जागरूक हो रही है सफाई के नाम पर कोई वादा सुनने को तैयार नहीं है। नई नई बीमारियां बढ़ रही है और पीएम का अभियान प्रभावित हो रहा है। इसलिए कूड़े का ढेर गंदी नालियों नालों व सड़कों की सफाई के प्रयास किए जाएं ना कि कागजी खानापूर्ति के लिए स्वच्छता अभियान में समय गंवाया जाए इन पर।
इन स्वच्छता अभियानों से सफाई और अन्य काम में लगाया जाने वाला धन और जनशक्ति और साधनों की बर्बादी ही होती नजर आई जिसे देश का नुकसान ही कह सकते हैं और इससे महापौर और नगरायुक्त को बचना चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महापौर जी और नगरायुक्त जी,कागजी खानापूर्ति के लिए स्वच्छता अभियान चलाने से अच्छा है नाले नालियों की सफाई और कूड़ा उठवाने की व्यवस्था कराईये
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