asd शायद इसीलिए नहीं बढ़ा मतदान प्रतिशत! नियम विरूद्ध काम करने वाले प्रबुद्ध पैसे के दम पर सम्मान तो पा सकते हैं किसी को प्रभावित नहीं कर सकते – tazzakhabar.com
Date: 15/03/2025, Time:

शायद इसीलिए नहीं बढ़ा मतदान प्रतिशत! नियम विरूद्ध काम करने वाले प्रबुद्ध पैसे के दम पर सम्मान तो पा सकते हैं किसी को प्रभावित नहीं कर सकते

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भारत निर्वाचन आयोग तथा सरकार और जिलों के जिला निर्वाचन अधिकारी के साथ ही हर व्यक्ति का लोकसभा चुनाव में यह प्रयास रहा कि मतदान बढ़े और लोग जागरूक हों के बावजूद जो मतदान प्रतिशत के परिणाम आ रहे हैं उन्हें देखकर यह साफ हो रहा है कि धन बल और जनसमर्थन के भरपूर प्रयास के बाद भी आखिर क्यों नहीं बढ़ा मतदान प्रतिशत। यह विषय सोचनीय तो है ही इस पर हर क्षेत्र में चर्चा भी हो रही है। लेकिन यह समझ नहीं आ पा रहा है कि ऐसा क्यों हुआ मगर दो दिन पूर्व सड़क पर एक बोर्ड लगा दिखाई दिया जिसमें प्रबुद्ध नागरिक बताकर कुछ लोगों के फोटो व नाम के साथ मतदान करने की अपील छपी हुई थी। हमेशा यह सुनते और देखते चला आ रहा हूं कि प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति और महापुरूष विशेष मामलों में नागरिकों से समाज में अच्छी बातों को लागू करने की अपील करते थे और उसका असर नजर आता था तो फिर प्रबुद्ध नागरिकों की अपील के बाद भी मतदान प्रतिशत क्यों नहीं बढ़ा इस बारे में जब कुछ जागरूक नागरिकों और समाजसेवियों से चर्चा हुई तो पता चला कि प्रबुद्ध नागरिकों के नाम पर सरकारी जमीनों पर कब्जा करने अथवा उसे बेचने अवैध निर्माण करने कच्ची कॉलोनियां काटने और समाज के कुछ वो लोग जिनसे आम आदमी डर के मारे कुछ ना कहता हो लेकिन उनके बारे में अच्छी सोच नहीं रखता है। सरकारी नियमों का उल्लंघन कर राजस्व की चोरी से संपन्न हुए बड़े लोगों की जमात में उन्हें स्थान मिलता हो लेकिन आम आदमी उनकी बात माने ऐसा इन प्रबुद्ध नागरिकों की अपील में कुछ नहीं था और इसलिए शायद वोट प्रतिशत नहीं बढ़ पाया। मेरा भारत निर्वाचन आयोग केंद्र व प्रदेश की सरकारों और जिला निर्वाचन अधिकारियों से अपील है कि जब किसी मामले में जनसमर्थन जुटाना हो मत प्रतिशत बढ़ाना हो या सरकारी योजना वृहद स्तर पर लागू करानी हो तो अच्छे लोगों का समूह बनाकर प्रबुद्ध नागरिकों के रूप में उनसे अपील की जाए तो उसका ज्यादा लाभ होगा बजाय इसके जो बड़े लोगों या ताकतवर व्यक्तियों के इर्द गिर्द घूमकर नगारिकों पर अपना प्रभाव दिखाते हो ऐसे लोगों को सामने ना लाकर उनके व्यक्तियों से अपील की जाए तो समाज के किसी भी क्षेत्र में अपना प्रभाव या तालमेल रखते हो तो मुझे लगता है कि मतदान प्रतिशत में बढ़ोत्तरी हो सकती है और भी अच्छे काम लागू हो सकते हैं क्योंकि निस्वार्थ लोग जिस काम में लगते हैं उसे सफल बनाने के प्रयास करते हैं जबकि यह फर्जी प्रबुद्ध नागरिक सिर्फ गाल बजाने और उच्च पदों के लोगों के इर्द गिर्द घूमकर माल कमाने का काम तो कर सकते हैं लेकिन मतदान प्रतिशत नहीं बढ़वा सकते क्यांेकि यह अपने आसपास के वोट भी नहीं डलवा सकते। टीएन शेसन के बाद धन बल का प्रभाव कम हो गया है इसलिए यह किसी से मतदान करा सकते हों ऐसा संभव नहीं हैं।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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