काल कोई सा भी रहा हो हमेशा समाज में एक बात जो विशेष रूप से देखने को मिली वो यह है कि राजा कोई भी रहा हो अगर वो सरल स्वभाव और व्यवस्थाओं का जानकार रहा तो अपनी प्रजा के हर व्यक्ति के सम्मान और पालन पोषण व रोजगार की पूर्ण व्यवस्था करने के साथ ही जो समाज संगठित रूप से कार्य कर रहे होते थे उन्हें और उनके पूर्वजों को महिमामंडित करने के लिए अनेकों योजनाएं चलाई जाती थी और उनके प्रेरणास्त्रोंत प्रसंगों से युवाओं को अवगत कराने हेतु उनके नाम पर विचार गोष्ठी सम्मेलन और सम्मान समारोह उस समय के हिसाब से किए जाते थे। ऐसा पढ़ने और देखने को भी मिला ही बुजुर्गों से भी इस बारे में काफी सुनने को मिलता रहा। वर्तमान को देखें तो आज भी ऐसा ही हो रहा है। जो समाज संगठित होकर खड़े हैं। भले ही उनमें कुछ बिंदुओं को लेकर मतभेद हो लेकिन समाज की पहचान और सम्मान की बात जब आती है तो एक होकर खड़े हो जाते हैं परिणाम स्वरूप उनकी समस्याओं का प्राथमिकता से तो समाधान होता ही है उनके लिए योजनाएं भी चलाई जाती हैं। महापुरूषों के नाम पर पुरस्कार देने गोष्ठी कराने की व्यवस्था कराई जाती है लेकिन जो समाज संगठित होने का प्रयास तो कर रहे हैं लेकिन उस स्तर पर आवाज नहीं उठा रहे है जो उठानी चाहिए ऐेसे में वो किसी ना किसी रूप में भले ही पिछड़ ना रहे हो लेकिन उनके लिए उतना प्रयास नहीं हो रहा जितना होना चाहिए।
फिलहाल बात हम दुनिया के पहले समाजवाद को बढ़ावा देने वाले महाराजा अग्रसेन और पूरे विश्व को पेड़ पौधे बचाने जीव जंतुओं की रक्षा करने का संदेश देने के लिए आगे आए गुरू जम्भेश्वर जी महाराज आदि के बारे में देख सकते हैं। यह किसी से छिपा नही है कि महाराजा अग्रसैन ने सभी को रोजगार घर की छत और रोटी उपलब्ध कराने हेतु रूपया और ईंट देने का अभियान चलाकर समाजवाद की शुरूआत की थी जिसे आज दुनिया के तमाम नेता मानते और उस पर चर्चा भी करते हैं। इसी प्रकार पीएम मोदी स्वच्छता पर्यावरण संतुलन के लिए अभियान चला रहे हैं और सामाजिक संगठन प्रदूषित वातावरण से मुक्ति के लिए काम कर रहे हैं। जानवरों की सुरक्षा और पेड़ों को बचाने हेतु सरकार ने नियम बनाए हैं। लेकिन यह बड़े आश्चर्य की बात है कि सैंकड़ो साल पहले इन अभियान को धार देने और लोगों को इनके लिए प्रेरित करने वाले महाराजा अग्रसैन और गुरू जम्भेश्वर जी महाराज के कार्यों को प्रचारित करने तथा उनसे युवाओं को प्रेरणा लेने के लिए प्रेरित करने हेतु इतने पुरस्कार सम्मान और गोष्ठी सभा सरकार के स्तर पर आयोजित नहीं होती जितनी होनी चाहिए। मेरा मानना है कि शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात कहकर बड़े बड़े काम संभव हुए हैं। महात्मा गांधी की नीति को आत्मसात कर देशभर में वैश्य समाज और बिश्नोई समाज को समाज के माध्यम से प्रस्ताव पास कर सरकार को भेजे जाएं कि महाराजा अग्रसैन जयंती और गुरू जम्भेश्वर जी महाराज जयंती पर केंद्र और प्रदेश की सभी सरकारें महिला उत्थान पर्यावरण संतुलन किसानों और गरीबों की समस्याओं के समाधान करने और समाज की कुरीतियों को दूर करने वालों को महाराजा अग्रसेन और गुरू जम्भेश्वर जी महाराज के नाम पर सम्मान देने की प्रथा शुरू करे और सभी सरकारें जैसे अन्यों के लिए विज्ञापन छपवाती हैं वो इनकी जयंती पर भी छपवाएं जाएं और निर्देश जारी हो कि देशभर के सभी स्कूलों और कार्यालयों में महाराजा अग्रसैन जयंती और गुरू जम्भेश्वर जी महाराज जयंती पर गोष्ठी आयोजित हो। अपने स्तर पर समाज जो करता है उसे भी और जोर शोर से इन दोनो महापुरूषों की जयंती मनानी चाहिए और यह सब तभी हो सकता है जब हम संगठित होकर सर्वसमाज के उत्थान के लिए काम करते हुए अपनी पहचान और सम्मान को बनाने का प्रयास करे। एक बात विश्वास से कही जा सकती है कि जिस नेता के पीछे समाज होता है उसकी बात भी मानी जाती है और उसकी पूछ भी होती है। इसलिए बिश्नोई और वैश्य समाज के नेता चाहे किसी भी राजनीतिक दल मे हो हम वोट भले ही किसी को दे मगर मौका पड़ने पर सबके साथ खड़े होने और उनका मनोबल बढ़ाने में पीछे ना हो क्योंकि ऐसा करेंगे तो सरकार हमारे नेताओं और जनप्रतिनिधियो की बात सुनेगी और हमारे महापुरूषों को सम्मान मिलेगा।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
महाराजा अग्रसैन जयंती और गुरू जम्भेश्वर जी महाराज की जयंती राष्ट्रीय स्तर पर मने! इनके नाम पर अच्छा कार्य करने वालों को दिया जाए सम्मान, वैश्य और बिश्नोई समाज संगठित होकर करे प्रयास
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