उदयपुर 06 अक्टूबर। धन-दौलत और शोहरत के बीच जिंदगी बिताने वाले अब आत्मा की शांति की तलाश में हैं. देश के दो बड़े कारोबारी और एक कमीशन एजेंट करोड़ों का कारोबार छोड़ दीक्षा लेने जा रहे हैं. उदयपुर में आज दीक्षा समारोह तीनों के जीवन का नया अध्याय बनेगा. इनमें से एक की पत्नी पहले ही दीक्षा ले चुकी हैं. अब वे खुद अपने परिवार को छोड़ धर्मपथ पर आगे बढ़ेंगे.
फरीदाबाद के आदर्श कुमार, मुंबई में रहने वाले अरविंद कोटडिया और उदयपुर मूल के मुंबई में रहने वाले देवीलाल भोरावत जो आज करोड़ का कारोबार छोड़ दिगंबर जैनेश्वरी दीक्षा ले रहे हैं. आदर्श कुमार जैन जो फरीदाबाद दिल्ली के रहने वाले हैं और उनका पेपर मिल स्पेयर पार्ट्स बनाने का काम है. करोड़ों का अच्छा कारोबार भी है, लेकिन मन में काम में कम और धर्म की तरफ ज्यादा लगता था.
आदर्श कुमार ने बताया कि समय शिखर में पुण्य सागर महाराज के दर्शन किए थे और जब उनसे प्रभावित हुए तो कारोबार को छोड़कर दीक्षा लेकर जीवन को आगे बढ़ाएंगे और अब साधु बनने जा रहे हैं. आदर्श कुमार में 1980 में मैकेनिकल इंजीनियरिंग पास की थी. उसके बाद असिस्टेंट मैनेजर प्रोडक्शन के पद पर काम किया.
इसका बाद अपना बिजनेस शुरू किया, जिसका सालाना करोड़ों का टर्नओवर था. देवीलाल जैन जो उदयपुर के रहने वाले हैं और मुंबई में अपना कारोबार चलाते थे. देवीलाल ने बताया कि वह उदयपुर के बंबोरा के पास गुडली के रहने वाले हैं और 13 वर्ष की उम्र में अहमदाबाद चले गए. जहां से कुछ दिनों बाद मुंबई चले गए. मुंबई में इलेक्ट्रिक हार्डवेयर का अच्छा बिजनेस है. अब कारोबार को छोड़कर दीक्षा ले रहे हैं.
देवीलाल जैन ने बताया कि उनकी पत्नी बबली देवी ने भी 3 दिसंबर 2021 को पुण्य सागर महाराज के पास सम्मेद शिखर में दीक्षा ग्रहण की थी और आज वह धर्म की आराधना कर रही है और अब वो भी दीक्षा ले रहे हैं. उन्होंने बताया कि 2009 में पुण्य सागर महाराज के दर्शन किए थे तब मन बनाया था की आत्मा का कल्याण करना है. मुंबई में अच्छा बिजनेस, लेकिन सब छोड़कर साधु बनने जा रहे हैं.
अरविंद कोटडिया जो मुंबई के मलाड के रहने वाले है कमीशन एजेंट का काम करते हैं. अच्छा व्यवसाय होने से लग्जरी लाइफ जी रहे हैं. अब सभी सांसारिक मोह माया को त्याग कर दीक्षा ले रहे हैं. अरविंद कोटडिया ने कहा की पुण्य सागर महाराज जब मुंबई से नासिक की तरफ विहार कर रहे थे, तब उन्होंने भी मन बनाया और उनके साथ आगे बढ़ते रहे.
देखते-देखते 2000 किलोमीटर की यात्रा शिखरजी तक पैदल ही चले गए . उसके बाद वापस मुंबई आ गए, लेकिन मन बन चुका था कि अब आत्मा का कल्याण करने का रास्ता पकड़ना होगा, इसलिए उदयपुर में दीक्षा ले रहे हैं. उदयपुर में आयोजित कार्यक्रम में आज तीनों दीक्षा लेंगे. इससे पहले तीनों का पुण्य सागर महाराज के सानिध्य में आहार ग्रहण करवाया गया और गोद भराई की रसम में भी हुई.