जौनपुर 06 मार्च। अपर सत्र न्यायाधीश एमपी-एमएलए कोर्ट शरद त्रिपाठी ने नमामि गंगे परियोजना के प्रोजेक्ट मैनेजर अभिनव सिंघल के अपहरण व रंगदारी मांगने के मामले में आरोपी जौनपुर के पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम को मंगलवार को दोषी करार दिया। सजा के प्रश्न पर आज (बुधवार) को सुनवाई होगी। कोर्ट ने दोनों को न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया है। कोर्ट ने अन्य साक्ष्यों के अलावा 15 परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर ही सजा सुनाया है।
रंगदारी और अपहरण के मामले में पूर्व सांसद धनंजय सिंह और संतोष विक्रम सिंह को दोषी ठहराने के फैसले में कोर्ट ने कई तल्ख टिप्पणी की।
15 परिस्थितिजन्य साक्ष्यों में घटना की सूचना त्वरित रूप से घटना के दिन ही अभियुक्तगण को नामजद करते हुए लिखाया जाना, प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज होने के तुरंत बाद वादी मुकदमा द्वारा विवेचना के दौरान दिए गए बयाने में एक से अधिक बार घटना का समर्थन करना, घटना की सूचना अखबार में प्रकाशित होने पर थानाध्यक्ष से ही सुरक्षा की मांग करना, थानाध्यक्ष द्वारा प्रथम सूचना रिपोर्ट के तुरंत बाद वादी को सुरक्षा देना तथा उसके कई दिनों के बाद वादी को सुरक्षा व्यवस्था के तहत उसके घर पर पहुंचाना।
वहीं धनंजय ने दलील दी कि उनपर लगे आरोप निराधार हैं। वादी और उसका गवाह बयान से मुकर गए हैं। उन्हें रंजिशन फंसाया गया है। इस पर एमपीएमएलए कोर्ट की अदालत ने कहा, किसी सांसद या विधायक को यह अधिकार नहीं है कि वह सरकारी कर्मचारी को फोन करके जबरन अपने घर बुलाए। कोर्ट ने कहा, इस मामले में वादी प्राइवेट कंपनी का कर्मचारी था और सत्यप्रकाश यादव यूपी जल निगम के जेई थे ऐसे व्यक्तियों को घर बुला लेना या किसी को भेजकर मंगवा लेना अपने आप में अपराध है। अभियुक्तों ने कहा कि जन शिकायत की वजह से अभिनव सिंघल और सरकारी अवर अभियंता सत्यप्रकाश को घर बुलाया गया था, लेकिन अभियुक्त ऐसा कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए, जिससे यह साबित होता हो कि उन्हें कोई जन शिकायत प्राप्त हुई थी।
असलहे के बल पर अपहरण कर ले गए थे धनंजय के घर
मुजफ्फरनगर निवासी अभिनव सिंघल ने 10 मई 2020 को लाइन बाजार थाने में अपहरण, रंगदारी और अन्य धाराओं में पूर्व सांसद धनंजय सिंह व संतोष विक्रम सिंह और दो अज्ञात के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। आरोप था कि संतोष और अन्य दो लोग पचहटिया स्थित साइट से असलहे के बल पर उनका अपहरण कर धनंजय सिंह के घर ले गए। धनंजय पिस्टल लेकर आया और
गालीगलौज करते हुए उनकी फर्म को कम गुणवत्ता वाली सामग्री की आपूर्ति के लिए दबाव डाला। इन्कार करने पर रंगदारी मांगी। उनके चंगुल से निकलने के बाद सिंघ तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की।