देहरादून 03 फरवरी। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का मसौदा तैयार करने के लिए उत्तराखंड सरकार द्वारा गठित समिति ने शुक्रवार को यहां मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मसौदे के दस्तावेज सौंप दिए. आयोजित एक कार्यक्रम में पांच सदस्यीय समिति की अध्यक्ष और सुप्रीम कोर्ट की पूर्व जज जस्टि रंजना प्रकाश देसाई ने यूसीसी का ड्राफ्ट मुख्यमंत्री धामी को सौंपा. प्रदेश की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी कार्यक्रम में उपस्थित थीं. इस दौरान न्यायाधीश देसाई (सेवानिवृत्त) के अलावा न्यायाधीश प्रमोद कोहली (सेवानिवृत्त), सामाजिक कार्यकर्ता मनु गौड़, उत्तराखंड के पूर्व मुख्य सचिव शत्रुघ्न सिंह और दून विश्वविद्यालय की उप कुलपति सुरेखा डंगवाल भी मौजूद रहीं.
यूसीसी पर विधेयक पारित कराने के लिए पांच फरवरी से उत्तराखंड विधानसभा का चार दिन का विशेष सत्र बुलाया गया है. विधानसभा में विधेयक के रूप में पेश करने से पहले मसौदे पर राज्य मंत्रिमंडल में भी चर्चा की जाएगी.
इस बाबत उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि आगामी विधानसभा सत्र में समान नागरिक संहिता का विधेयक पेश किया जाएगा और अति शीघ्र कानून के रूप में लागू किया जाएगा. प्रधानमंत्री नरेंन्द्र मोदी के विजन “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” को साकार करते हुए राज्य में सबको समान अधिकार प्रदान करने हेतु हम सदैव संकल्पित रहे हैं और आज हम UCC के माध्यम से इस संकल्प को सिद्धि की ओर ले जा रहे हैं.
सीएम धामी ने UCC को लेकर एक प्रेसवार्ता की जिसमें उन्होनें कहा UCC को बनाने वाली कमेटी ने आज ड्राफ्ट हमें दे दिया है, कमेटी ने पहले गांव से संवाद शुरू किया था, प्रदेश के 43 स्थान पर संवाद किया कमेटी ने ,कमेटी में बहुत विद्वानों ने काम किया है,740 पेज 4 वॉल्यूम में ड्राफ्ट मिला है. उन्होंने कहा कि 5 फ़रवरी को जो विशेष सत्र होने जा रहा है, हमलोग इस पर चर्चा करेंगे. सदन में चर्चा करेंगे, ये हमारा चुनाव में संकल्प था हम सत्ता में आएंगे और इसको लागु करेंगे.
उत्तराखंड में यदि यूसीसी लागू होता है,तो लड़कियों की शादी की उम्र में बढ़ोतरी होगी. लड़कियो की उम्र 18 से अब 21 साल कर दी जाएगी. पति-पत्नी दोनों को तलाक के समान अधिकार मिलेंगे. शादी के बाद रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा. बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक रहेगी. अगर कोई करता है तो उस पर कार्रवाई की जाएगी. उत्तराधिकार में बेटा और बेटी दोनो को बराबर का हक मिलेगा.
इसके प्रावधान क्या हैं?
रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि महिलाओं के लिए विवाह की आयु बढ़ाकर 21 वर्ष की जाएगी और विवाह पंजीकरण अनिवार्य किया जाएगा। जो व्यक्ति अपनी शादी का पंजीकरण नहीं कराएंगे वे सरकारी सुविधाओं के लिए आवेदन नहीं कर सकेंगे।
लिव-इन जोड़ों को अपने फैसले के बारे में अपने माता-पिता को सूचित करना होगा और ‘हलाला’ और ‘इद्दत’ की प्रथा बंद कर दी जाएगी। बहुविवाह (एक से अधिक पत्नियां रखने की प्रथा) भी गैरकानूनी होगा। पति-पत्नी को तलाक लेने का समान हक दिया जाएगा। मसौदे में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर भी सिफारिश की गई है।
यूसीसी समिति की अध्यक्ष देसाई ने शुक्रवार को कहा, ‘हमारा जोर महिलाओं, बच्चों और दिव्यांग व्यक्तियों को ध्यान में रखते हुए लैंगिक समानता सुनिश्चित करना है। हमने मनमानी और भेदभाव को खत्म कर सभी को एक समान स्तर पर लाने का प्रयास किया है। समिति ने मुस्लिम देशों सहित विभिन्न देशों में मौजूदा कानूनों का अध्ययन किया है।
उन्होंने कहा, ‘हमने सब कुछ देखा है, पर्सनल लॉ का अध्ययन किया है। हमने विधि आयोग की रिपोर्ट का भी अध्ययन किया है। यदि आप हमारा मसौदा पढ़ेंगे तो आपको लगेगा कि समिति ने हर चीज पर विचार किया है। यदि मसौदा लागू किया जाता है, तो हमारे देश का धर्मनिरपेक्ष ताना-बाना मजबूत होगा।’
यह कब तक लागू हो जाएगा?
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता का मसौदा तैयार होने पर सीएम धामी ने प्रदेशवासियों को बधाई दी है। उन्होंने ट्वीट करते हुए लिखा ‘जल्द ही देवभूमि उत्तराखण्ड में यूसीसी लागू किया जाएगा।’ उन्होंने कहा कि यूसीसी पर भारत के संविधान की मूल भावना के अनुरूप ही निर्णय होने हैं। सबके हित में निर्णय आएगा। उत्तराखंड से इसकी शुरुआत हुई है। देवभूमि इसकी अगुआई कर रही है। हमारी यह अपेक्षा है कि आने वाले समय में देशभर में यूसीसी लागू हो।
इस बीच रिपोर्ट्स में दावा किया गया है कि धामी सरकार जुलाई के दूसरे सप्ताह में विधानसभा का सत्र बुला सकती है। इस दौरान समिति के अंतिम मसौदे को मंजूरी दिला सकती है।