asd पिछले दस साल में नैक निरीक्षण संस्था द्वारा जिन शिक्षा संस्थानों को ए प्लस रैटिंग दी गई उनकी हो जांच ; इस्माईल कॉलेज रद करे नैक का निरीक्षण, सीसीएसयू में रह चुके हैं घूसखोरी में पकड़े गए राजीव सिजारिया

पिछले दस साल में नैक निरीक्षण संस्था द्वारा जिन शिक्षा संस्थानों को ए प्लस रैटिंग दी गई उनकी हो जांच ; इस्माईल कॉलेज रद करे नैक का निरीक्षण, सीसीएसयू में रह चुके हैं घूसखोरी में पकड़े गए राजीव सिजारिया

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देशभर में संचालित कॉलेज और विश्वविद्यालयों की महत्ता और प्रतिष्ठा बढ़ाने के लिए नैक मूल्यांकन नामक संस्था उन कॉलेजों को जो अपने छात्रों को अच्छी पढ़ाई कराने के साथ बढ़िया माहौल एवं सुविधाएं दे रहे हैं तथा सरकार की नीति के साथ ही नैक के नियमों का भी पालन करते हैं उसे नैक संस्था द्वारा ए प्लस प्रमाण पत्र दिए जाते हैं। अपने यहां के विवि सहित कई निजी कॉलेजों को पिछले दिनों नैक संस्था के पदाधिकारियों ने निरीक्षण कर ए प्लस रैटिंग देकर उनका स्तर बढ़ाने का काम किया है।
इस मामले में जब चौधरी चरण सिंह विवि में इस रैटिंग के लिए काम चल रहा था तो मेरे द्वारा यह सवाल उठाया गया था कि जो यह निरीक्षण और रैटिंग मिल रही है उस पर कितना खर्च किया गया। जो सुविधाएं होनी चाहिए वो पूरी हैं या नहीं इस ओर सरकार को ध्यान देना चाहिए लेकिन तब तो यह बात दबकर रह गई। मगर पिछले दिनों सीसीएस विवि में प्रो. एनके तनेजा के कार्यकाल में रहे राजीव सिजारिया की नियुक्ति एमबीए विभाग में हुई। इसके बाद उन्हें सर छोटूराम कॉलेज में संस्था का डिप्टी डायरेक्टर बनाया गया। बाद में राजीव की नियुक्ति जेएनयू में हो गई और उन्हें नैक संस्था का भार भी मिला। अब वो नैक निरीक्षण में घूसखोरी के मामले में गिरफ्तार हो चुके हैं। उनके खिलाफ यह कार्रवाई सीबीआई द्वारा एनएससी की रैटिंग में रिश्वतखोरी का पर्दाफाश करते हुए की गई बताते हैं। खबर के अनुसार आंध्रप्रदेश के कोनूर लक्षमैया एजुकेशन फाउंडेशन के पदाधिकारियों और नैक निरीक्षण के अध्यक्ष समेत दस लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तथा 20 शहरों में छापेमारी चल रही है। रामचंद्र चंद्रवंशी विवि के कुलपति समेंद्र नाथ को भी आरोपित बनाया गया है। इसके साथ ही लक्षमैया एजुकेशन फाउंडेशन के कुलपति जीपी सारथी, कनेरू राजा आदि कई संस्थानों के पदाधिकारी इस मामले में फंसते नजर आ रहे हैं। ऐसे में मेरठ के बुढ़ाना गेट स्थित ईस्माईल नेशनल महिला पीजी कॉलेज में दस व 11 फरवरी को नैक मूल्यांकन का कोई औचित्य नजर नहीं आता है। इतने नैक के पदाधिकारियों और अन्य पकड़े गए लोगों की स्थिति साफ नहीं होती मुझे लगता कि कॉलेज प्राचार्या डॉ अनीता राठी और प्रबंध समिति के अध्यक्ष मनीष प्रताप को यह नैक निरीक्षण का कार्य स्थगित करना चाहिए क्योंकि ऐसे माहौल में इसका कोई वजूद नजर नहीं आता है।
इस मामले में छात्रनेता विनीत चपराणा के अनुसार सीसीएसयू को बी प्लास से ए प्लस के रैटिंग मिलने के साथ ही प्रदेश के पांच कॉलेजों को ए प्लस की रैटिंग मिली थी जबकि इनमें से ज्यादातर में समस्याएं जस की तस है। पांच वर्ष में कोई परिवर्तन भी नजर नहीं आया है। छात्रों की शिकायतें निरंतर बढ़ रही है।
मेरा मानना है कि पिछले दस साल में नैक द्वारा जितने भी कॉलेजों को ए प्लस की रैटिंग बी प्लस से बढ़ाकर दी गई है उन सबकी जांच होनी चाहिए। साथ ही यह भी देखा जाना चाहिए कि निरीक्षण में आए नैक टीम के सदस्यों की खातिरदारी के आरोप लगे थे वो सही हैं या गलत। उन पर कितना पैसा खर्च किया गया और किस मद में दिखाया गया। अगर निरीक्षण गलत पाया जाए तो वहां के प्राचार्य को इसके लिए जिम्मेदार मानते हुए उसकी सेवाएं समाप्त की जाएं क्योंकि यह बच्चों को शिक्षा देने से संबंध मुददा है। अगर इस प्रकार के घपलों में शामिल शिक्षकों जिसे गुरू के रूप में भगवान का रूप मानते हेैं वो ही इस प्रकार के भ्रष्टाचार में पकड़े जा रहे हैं तो बच्चों को क्या शिक्षा देंगे।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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