asd अगर गर्मी लू से इतना ही डर है तो पूर्वानुमान लगाने वाले पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कारणों को क्यों नहीं रोकते

अगर गर्मी लू से इतना ही डर है तो पूर्वानुमान लगाने वाले पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के कारणों को क्यों नहीं रोकते

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जिस तरह से दुनिया में पहाड़ पानी जमीन का दोहन पेड़ों की कटाई चल रही है और पीएम मोदी के स्वच्छता अभियान के बावजूद नाले नाली गंदगी से अटे और सड़कों पर कूड़े के ढेर पड़े और नदियों के गंदा होने की खबरें पढ़ने सुनने को मिल रही है। उसके चलते पर्यावरण संतुलन बिगड़ना पक्का है और सर्दी गर्मी बारिश के मौसम में बदलाव होने की बात भी सर्वमान्य है।
मगर सवाल इस विषय के चलते कई कठिनाईयां भुगत रहे नागरिकों ने कोरोना और बढ़ते प्रदूषण से पैदा हो रही नई बीमारियों का खामियाजा दवाईयों का ज्यादा खर्च और रोजगार कम तथा कमाई में कमी के रूप मे भुगता है।
ऐसे में पूर्व संभावनाओं के आधार पर मीडिया में चर्चा और बड़े बड़े लेख खबरें छपना कि इस वर्ष गर्मी पड़ेगी भारी ठंड कंपा देगी हडिडया और बारिश कर देगी घर से निकलना मुश्किल जैसे शब्दों को पढ़कर कहा जा सकता है कि सर्दी गर्मी बरसात से बचाव के लिए वस्त्र कूलर एसी पंखे छाता और अन्य सामान बनाने वाले कुछ उद्योगपति व व्यापारी इन चीजों की कीमत बढ़ाने में शायद चूकेंगे नहीं। मेरा मानना है कि जो होना है वह होकर रहेगा किसी के लिखने अथवा बोलने से ना कम होगा ना ज्यादा। मगर पूर्वानुमान लगाने वाले मेरे भाईयों आम आदमी के समक्ष आर्थिक परेशानियों के चलते और महंगाई की संभावना बढ़ाकर उनका बजट बिगाड़ने की कोशिश ना ही की जाए तो अच्छा है। बताते चलें कि भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा इस वर्ष गर्मियों की शुरूआत से ही लू के रूप में आग बरसने की संभावनाएं व्यक्त की गई है तो कुछ खबरों में कहा गया है कि इस साल मार्च से मई जून तक पड़ेगी काफी गर्मी। तो एक खबर से पता चलता है कि बंगाल की खाड़ी से दुनिया के कई हिस्सों में इस समय तापमान काफी बढ़ा हुआ होगा। तथा उत्तर भारत में मार्च से ही गर्म हवाएं चलने की संभावनाएं हैं। बताया जा रहा है कि अलमीनों के कारण इस साल गर्मी भीषण होने की बात है। और इस बार रिकॉर्डतोड़ तापमान रहने की संभावना है। अलनीनों दुनियाभर में मौसम पर प्रभाव डालेगा ही लेकिन वो कहावत चरितार्थ करने से हम बचे रहे तो अच्छा है कि जिसे कल मरना है उसे आज ही तारीख बताकर पहले से ही घुल घुल कर मरने को क्यों मजबूर किया जाए को देखकर लगता है कि महंगाई बढ़ाने वाली बातों से आम आदमी को परेशानी में डालने से जितना हो सके उतना हम सबको बचाना चाहिए।

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