asd गुरू जम्भेश्वर जी महाराज का सपना हो रहा है साकार! शालू सैनी ने 200 साल पुराने पेड़ का किया अंतिम संस्कार तो प्रताप पोखरियाल ने अपने पिता की याद में पूरा वन ही लगा दिया, हिंसक जानवरों के हमलों से मिल सकता है छुटकारा – tazzakhabar.com
Date: 28/03/2025, Time:

गुरू जम्भेश्वर जी महाराज का सपना हो रहा है साकार! शालू सैनी ने 200 साल पुराने पेड़ का किया अंतिम संस्कार तो प्रताप पोखरियाल ने अपने पिता की याद में पूरा वन ही लगा दिया, हिंसक जानवरों के हमलों से मिल सकता है छुटकारा

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जीवन के लिए पेड़ पौधे हमेशा लाभदायक रहे हैं। इनकी छाया और हवा तथा हरियाली हमें स्वस्थ रखती है तो हमेशा से कहा जाता है कि दस वृक्ष एक पुत्र समान क्योंकि दस वृक्षों की बिक्री से जो पैसा मिलेगा उससे सामान्य आदमी जीवन की कई आवश्यकताएं पूरी कर सकता है। इस वर्ष वृक्षारोपण अभियान के दौरान एक पेड़ मां के नाम का नारा दिया गया। इसकी गूंज भी खूब सुनने को मिली। पर्यावरण प्रेमियों व नागरिकों ने जमकर वृक्ष लगाए। यह विश्वास के साथ कहा जा सकता है कि वन विभाग द्वारा रोपे गए पौधों का भविष्य क्या होगा वह तो वही जाने लेकिन जनता ने जो पौधे लगाए हैं वह फले फूलें हैं।
एक तरह से देखें तो पेड़ भी परिवार के सदस्यों की भांति उन्हें लगाने वालों का ध्यान रखते हैं। कई पेड़ों की पत्तियां और छाल दवाईयों के काम आती है जिससे अच्छी आमदनी होती है। कई पेड़ों की लकड़ी इतनी महंगी बिकती है कि उन्हें बेचने पर घर में काफी पैसा आता है। जिससे काटे गए पेड़ से दस गुना लगाकर हरियाली को कायम रखा जाता है।
दोस्तों हम अपने परिवार में पलने वाले जानवरों से लगाव के चलते मरने के बाद उनका अंतिम संस्कार अपनी सोच के अनुसार तो करते ही है कुछ लोग धार्मिक आयोजन और पंडितों को भोजन भी कराते हैं तो फिर पेड़ हमें हर तरह से सुरक्षित रखते हैं। उनके साथ ऐसा क्यों नहीं।
शालू सैनी ने किया पेड़ का अंतिम संस्कार
यह सोच काफी समय से चली आ रही थी लेकिन मुजफफरनगर में अभी तक लगभग तीन हजार से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार कराने में लगी समाजसेवी शालू सैनी द्वारा पहली बार एक पेड़ का अंतिम संस्कार किया गया और उनका कहना है कि वो दो अक्टूबर को अमावस्या पर पितृ विसर्जन के लिए पेड़ के लिए हवन करेंगी। बताते चलें कि जिले में 200 साल पुराना सेमल का विशालकाय पेड़ पिछले बुधवार को अचानक गिर गया। इसकी छाया में कितनी ही पीढ़ियां पली बढ़ी और यादें जुड़ी थी। उसे से भावनात्मक रूप से जुड़ी शालू सैनी ने पेड़ का अंतिम संस्कार किया। जिसकी प्रशंसा प्रयागराज स्थित रामनाम बैंक के संयोजक आशुतोष वार्ष्णेय ने करते हुए कहा कि शालू सैनी निश्चित रूप से प्रशंसा की पात्र है। उनका कहना था कि 2025 में होने वाले प्रयागराज कुंभ में शालू सैनी का सम्मान किया जाएगा।
प्रताप पोखरियाल ने पिता की स्मृति में वन ही लगा दिया
उत्तराखंड के पर्यावरण प्रेमी प्रताप पोखरियाल की तो कहानी ही प्रेरणास्त्रेात है। क्योंकि जहां उत्तराखंड के जंगलों में लगने वाली आग के बारे में सभी जानते हैं। बीती 30 मई को जो आग लगी उसने सबको दहला दिया लेकिन प्रताप ने अपने पिता की याद में लगाए गए श्याम स्मृति वन तक आग को पहुंचने नहीं दिया गया। इस वन की सेवा पुत्र के समान करने वाले पोखरियाल पिछले 20 साल से इसे आग से बचाते आ रहे हैं। उत्तरकाशी जिला में लगने वाली आग इस वन तक भी पहुंची लेकिन पेड़ों को बचाने का प्रयास कर रहे पोखरियाल ने रात दिन एक कर अपने वन को बचाए रखा। 66 वर्ष के पोखरियाल सिर्फ पेड़ लगाने और बचाने का ही काम नहीं करते कोरोना काल में इनके द्वारा निराश्रितों के लिए दस हजार लीटर गिलोय का काढ़ा और हर्बल चाय बांटी गई। दस से अधिक मरीजों की महीनों तक नियमित देखभाल की। इनका वन अब हरा भरा है और पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गया है। श्याम स्मृति वन में दो हेक्टेयर में पीएम नरेंद्र मोदी के नाम से हर्बल गार्डन तैयार किया है जिस पर उन्होंने 2014 से काम करना शुरू किया था जो अब घने जंगलों का रूप ले चुका है। वृक्ष लगाने और उन्हें बचाने का काम आम नागरिक अपने पिता की स्मृति में और कहीं अपने दादा मानकर उनकी सुरक्षा में लगे हैं।
गुरू जम्भेश्वर जी महाराज का सपना हो रहा साकार
उत्तराखंड में तो चिपको आंदोलन के पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा द्वारा काफी काम किया गया है लेकिन मेरा मानना है जिस प्रकार प्रदेश के सीएम और सरकार हर साल अभियान चलाकर वृक्षारोपण करा रही है और पूरे देश में ऐसे अभियान चल रहे हैं अगर सरकार वन विभाग को पूरी तौर पर इनकी सुरक्षा के लिए तैयार कर ले तो एक बात विश्वास से कही जा सकती है कि सैंकड़ों साल पहले बिश्नोई समाज के गुरू जम्मेश्वर जी महाराज ने जो पर्यावरण को बढ़ावा वन्य जीवी और पेड़ों की रक्षा का जो अभियान शुरू किया था जिसे दुनिया का सबसे पहला हरियााली को बढ़ावा देने वाला आंदोलन कहा जा सकता है वो सपना जम्मेश्वर महाराज का पूरा होगा ही।
हिंसक जानवरों से मिलेगा छुटकारा
हम जो बंदरों और तंदुओं के हमलों से पीड़ित हैं। अगर वन क्षेत्र बढ़ेंगे तो प्रताप पोखरियाल जैसी ठानकर काम करेंगे तो इन जानवरों को भी जंगल वापस मिल जाएगा और हमें इनके हमलों से छुटकारा मिलेगा। कुल मिलाकर पेड़ हमें इनके भय से मुक्ति दिलाने का काम करेंगे। मेरा मानना है कि सरकार को प्रताप पोखरियाल का हरियाली को बढ़ावा देने पर सम्मान करना चाहिए जिससे और लोगों को बढ़ावा एवं प्रेरणा मिल सके।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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