देश भर में आपसी सौहार्द्र भाईचार और सद्भाव बढ़ाने के हो रहे प्रयासों के बावजूद जातीय संगठनों की मजबूती और अपना अपना प्रभाव दिखाने के लिए होने वाले आयोजनों सम्मेलन गोष्ठियों की संख्या भी बढ़ती जा रही है तो दूसरी तरफ देश में स्वर्ण आयोग बनाने तो कहीं स्वर्णों को आरक्षण देने की मांग उठ रही है तो एससी एसटी ओबीसी आदि से संबंध लोग जितना आरक्षण मिल रहा है उसमें संतुष्ट नजर नहीं आते। सबकी कुछ न कुछ मांगे और अपने समाज को मजबूत करने के प्रयास चारो तरफ होते नजर आ रहे है। पूर्व में लव जिहाद को लेकर देशभर में जो चर्चाऐं शुरू हुई वो थमने का नाम नहीं ले रही है। मगर इन सबके बीच यह अच्छी पहल कह सकते है कि पूर्व में अतंर जातीय के विवाह करने वालों को सरकारों द्वारा जो सुविधाऐं दिये जाने की बात सामने आई थी उसके तहत सबको इसका लाभ शायद नहीं मिल पाया था। मगर इस सबके बावजूद वर्तमान में जो हमारे पढ़े लिखे युवा वो चाहे व्यापार में हो या नौकरियों में उनके द्वारा जाति व्यवस्था को लांघ अंर्तजातीय विवाह किये जा रहे है। मुझे लगता है कि अगर सरकार स्वर्णों द्वारा एससी एसटी ओबीसी और इनसे संबंध परिवारों द्वारा स्वर्णों में बिना किसी विवाद के अपने बच्चों की सहमति के चलते शादी विवाह किये जा रहे है वो एक अच्छी पहल कह सकते है। ऐसे में सरकार अपनी तरफ से जो अंतर जातीय विवादों को निपटाने में धन और जन शक्ति खर्च करती है उसमें थोड़ी सी बढ़ोत्तरी कर सर्वजातीय विवाह करने वाले युवाओं और उनके अभिभावकों को आर्थिक लाभ देने के साथ साथ उन्हें सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता और सार्वजनिक रूप से सम्मानित किया जाए तो अभी धीरे धीरे जो गति पकड़ रहे है सर्वजातीय विवाह समारोह उनमें समयअनुकूल बढ़ोत्तरी होने की बात से इनकार नहीं कर सकते। और सबसे बड़ी बात इससे समाज में भाईचारा और सद्भाव तो बढ़ेगा और एक दूसरे को देखा देख ऐसे मामलों में ऑनर कीलिंग व जातीय हिंसा होती है तथा कुछ परिवारों को समाजनिकाला और बहिष्कार की सजा दी जाती है वो सब भी बंद नहीं तो कम जरूर होगी यही समाज के लिए अच्छा होता है कि किसी भी मामले में पहल शुरू हो तो जिस प्रकार से अब सभी जातियां अपने यहां सामूहिक विवाह आयोजन करने लगी है उसी प्रकार से सर्वजातीय विवाह समारोह भी शुरू हो सकते है। और बच्चों को मनपंसद साथी एवं परिवार का सहयोग मिलेगा तो जो ये पति पत्नी और पत्नी पति की हत्याऐं करने की घटनाऐं बढ़ रही है उनमें कमी आयेगी तलाक के मामले भी कम हो सकते है। ऐसे में समाज और परिवार में खुशहाली की संभावनाऐं मजबूत होती है। सर्वजातीय विवाह होने से समाज हित में जो माहौल बनने की शुरूआत कम या ज्यादा हो रही है वो अपने आप में महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे दहेज मांगने के मुकदमे कम होंगे और अभिभावकों को भी बच्चों की शादी के लिए व्यवस्था हेतु जो धन जुटाने के लिए अपना घर बार बेचने से भी छुटकारा मिलेगा मैं यह तो नहीं कहता कि सर्वसमाज के संगठित होने और आपस में विवाह समारोह की प्रथा एक दम चल निकलेगी ऐसा तो नहीं है लेकिन ना से तो कुछ ही भला वाली किदवंती को ध्यान में रखते हुए यह कहा जा सकता है कि सरकार थोड़ा सा बढ़ावा दे आम आदमी समझदारी से काम ले तो जाति व्यवस्था कम और सर्वजातीय व्यवस्था मजबूत होने में ज्यादा देर नहीं लगेगी।
(प्रस्तुतिः अंकित बिश्नोई सोशल मीडिया एसोसिएशन एसएमए के राष्ट्रीय महामंत्री)
सर्वजातीय विवाह करने वाले युवाओं और उनके परिवारों को सरकार दे सम्मान, सरकारी नौकरियां और आर्थिक सहायता से जाति विहीन समाज की खुशहाली के खुलेंगे द्वार
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