Date: 10/10/2024, Time:

बरनावा में फोर्स तैनात, प्राचीन टीले की सुरक्षा बढ़ी

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बागपत 07 फरवरी। उत्तर प्रदेश में बागपत के बरनावा के प्राचीन टीले को लेकर 53 वर्ष बाद हिंदुओं के पक्ष में आए फैसले के दूसरे दिन महाभारतकालीन लाक्षागृह पर सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई।
पुलिस और पीएसी के जवान चेकिंग के बाद ही लोगों को लाक्षागृह पर जाने दे रहे हैं। खुफिया विभाग भी सतर्क है। क्षेत्र में गतिविधियों पर नजर रखी जा रही, ताकि कोई अप्रिय घटना न हो।

बरनावा गांव के प्राचीन टीले को लेकर अदालत ने सोमवार को हिंदुओं के पक्ष में फैसला सुनाया था। अदालत ने एएसआई की रिपोर्ट और राजस्व रिकॉर्ड को आधार मानते हुए प्राचीन टीले को महाभारतकालीन लाक्षागृह (लाखामंडप) माना और मुस्लिम पक्ष के प्राचीन टीले पर दरगाह और कब्रिस्तान होने के दावे को खारिज कर दिया।

अदालत के फैसले के बाद सोमवार देर रात एसपी अर्पित विजयवर्गीय ने लाक्षागृह का निरीक्षण कर सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया और पुलिस को निर्देश दिए। सुरक्षा-व्यवस्था की ²ष्टि से लाक्षागृह और आसपास पुलिस और पीएसी के जवान तैनात किए गए हैं।

श्री महानंद संस्कृत विद्यालय गुरुकुल परिसर में सुबह आचार्यों व छात्रों ने वेद मंत्रों के साथ यज्ञ किया और अदालत के फैसले को वैदिक संस्कृति की जीत बताया। गांधी धाम समिति के पदाधिकारी भी लाक्षागृह पहुंचे और लड्डू बांटकर खुशी मनाई।

बरनावा गांव निवासी मुकीम खान ने 31 मार्च 1970 में मेरठ की अदालत में वाद दायर किया था, जिसमें उन्होंने ब्रह्मचारी कृष्ण दत्त को प्रतिवादी बनाया था। मुकीम खां ने दावा किया था कि बरनावा में प्राचीन टीले पर शेख बदरुद्दीन की दरगाह और बड़ा कब्रिस्तान है, जो सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड यूपी में बतौर वक्फ दर्ज व रजिस्टर है।

ब्रह्मचारी कृष्णदत्त कब्रिस्तान को खत्म कर इसको हिंदुओं का तीर्थ बनाना चाहते हैं। मेरठ के बाद यह वाद 1997 में बागपत की अदालत में ट्रांसफर हो गया था। जबकि प्रतिवादी कृष्ण दत्त की ओर से प्राचीन टीले पर शिव मंदिर और लाखामंडप होने का दावा करते हुए इसे महाभारत काल का लाक्षागृह बताया गया था। पांच फरवरी को सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रथम शिवम द्विवेदी ने प्राचीन टीले पर फैसला सुनाया, जिसमें प्राचीन टीले को महाभारत काल का लाक्षागृह ही माना है।

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