लखनऊ 06 फरवरी। राजधानी में एक ऐसी महिला वकील के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है, जो अपने गैंग के साथ अफसरों के खिलाफ फर्जी रेप की एफआईआर दर्ज करवाती थी. इसके बाद उन्हें ब्लैकमेल कर पैसे ऐंठती थी. महिला वकील के खिलाफ यह एफआईआर एक एपीओ की शिकायत पर हुई है. बार काउंसिल ने महिला वकील पर किसी भी कोर्ट में प्रैक्टिस करने पर प्रतिबंध लगा दिया है.
वाराणसी में तैनात एपीओ दीपक कुमार ने गोमती नगर थाने में FIR दर्ज कराई है. जिसके मुताबिक, सहारनपुर की रहने वाली शालिनी शर्मा इलाहाबाद हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करती है. शालिनी ने प्रयागराज के जार्ज टाउन थाना में दीपक के खिलाफ रेप का फर्जी मुकदमा दर्ज कराया था. रेप का मुकदमा दर्ज होने के बाद एक एडवोकेट अशोक कुमार पांडे ने उनसे संपर्क किया, जिसने 10 लाख की डिमांड की थी.
पीड़ित एपीओ ने बताया कि उस वक्त उनकी पत्नी प्रेग्नेंट थी, वह परेशान थे. इज्जत बचाने के डर से उन्होंने पैसे दे दिए. इसके बाद शालिनी ने केस वापस ले लिया. लेकिन कुछ दिन बाद फिर उनसे फिर से 35 लाख की डिमांड की गई. दीपक ने पैसे देने से मना कर दिया तो उसने कोर्ट के द्वारा आदेश करवा कर शाहजहांपुर में होटल में ले जाकर रेप करने का मुकदमा दर्ज करवा दिया. जांच में होटल में दीपक और शालिनी के जाने का कोई भी सबूत नहीं मिला. इसके बाद में फाइनल रिपोर्ट लग गई.
बताते चले कि बनारस में एपीओ पद पर तैनात दीपक कुमार लखनऊ के आशियाना में रहते हैं। एडवोकेट शालिनी की शिकायत पर बार काउंसिल ने नोटिस भेजकर उन्हें पेश होने के लिए कहा। दीपक कुमार बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश के विपुल खंड स्थित कैंप कार्यालय पहुंचे।
उन्होंने बताया कि जनक नगर सहारनपुर की रहने वाली शालिनी शर्मा हाईकोर्ट में वकील है। उसने फर्जी मैरिज सर्टिफिकेट लगाकर मेरे खिलाफ झूठी शिकायत की। 2 जनवरी 2001 को मैरिज रजिस्ट्रार सहारनपुर में शादी रजिस्टर्ड होना बताया गया है।
20 दिसंबर 2024 को मुझे सहारनपुर से पता चला कि शालिनी की शादी वहां पर रजिस्टर्ड नहीं है। शालिनी ने रुपए ऐंठने की नीयत से फर्जी दस्तावेज दिए थे। इसके बाद बार काउंसिल ने मामले की जांच करवाई तब फर्जीवाड़े का खुलासा हुआ।
सूत्रों ने बताया कि शालिनी शर्मा सीनियर अफसरों से संपर्क करती है। इसके बाद अलग-अलग बहाने से उनसे पैसे लेती है। पैसे देने से मना करने पर कोर्ट के जरिए रेप के फर्जी मुकदमे दर्ज कराती है। इस गैंग को वकील अशोक कुमार पांडेय चलाता है। वो शालिनी का मुख्य मददगार है। इनकी मदद से वह कोर्ट से आदेश कराती है।
सहारनपुर निवासी उसका दोस्त वसीम भी गैंग में शामिल है। वसीम का काम मेडिकल बनाने का है। ये झूठे मुकदमे में फंसाकर अधिकारी को ब्लैकमेल करते हैं। अगर अधिकारी दबाव में नहीं आता है तो एफआईआर कॉपी उनके विभाग में भेज देते हैं। जब संबंधित अधिकारी परेशान होता है, तब उससे ये लोग पैसे की मांग करते हैं।
बार काउंसिल की जांच में सामने आया कि शालिनी के गैंग में कई सीनियर वकील भी शामिल है. जिनकी मदद से वो कोर्ट से मुकदमा दर्ज करवाती थी.
जांच के दौरान अनुशासन समिति ने शिकायतकर्ता शालिनी पर लगे आरोप सही और दीपक के ऊपर लगे आरोप गलत पाए। इसके बाद शालिनी का रजिस्ट्रेशन रद्द कर 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया। शालिनी शर्मा के खिलाफ बनारस और लखनऊ में मुकदमा किया गया।