शायद कोई दिन ऐसा नहीं जाता कि जो हमारे डॉक्टरों के सुझाव के माध्यम से नई नई बीमारियां उजागर होने के मुददे सामने ना आ पाते हों। सवाल यह उठता है कि डॉक्टर भी प्रयास कर रहे है। वह जो उपाय बताते हैं उन पर नागरिक पूरा भरोसा कर पालन कर रहे है। व्यायाम सुबह शाम की सैर के साथ ही दवाई का उपयोग निरोग रहने के लिए किया जा रहा है। फिर भी यह बीमारियां सुरसा के मुंह की भांति बढ़ती ही जा रही है। इनकी संख्या में निरंतर बढ़ोत्तरी हो रही है। जिसके पैर ना पड़ी बिवाई वो क्या जाने पीर पराई वाली कहावत को आत्मसात कर निरोगी रहने के लिए प्रयास करने के अतिरिक्त नागरिक सरकार और उसके नौकरों को भी जागरूक करने की कोशिश कर रही है लेकिन बीमारियां और उनकी संख्या में निरंतर इनकी गिनती बढ़ती ही जा रही है। आखिर ऐसा क्यों है।
डॉक्टर साहब हर आदमी सबकुछ कर रहा है और एक बात आप और हम भी जानते हैं कि बीमार हर कोई होता है और उसे किसी ना किसी डॉक्टर या वैद्य के पास जाना पड़ता है। ऐसे में जनप्रतिनिधि सांसद विधायक मंत्री आपके पास इलाज के लिए तो उस समय आप बीमारियों को रोकने के उपायों के बावजूद इनमें बढ़ोत्तरी क्यों हो रही है उसके कारणों से अवगत कराने और उसके परिणाम क्या हो सकते हैं यह बताने लगे तो मुझे लगता है कि दवाईयों और अन्य प्रयासों से बीमारियों को ठीक करने में उनकी सलाह काम आएगी। क्योंकि यह किसी से छिपा नहीं है कि चारो ओर फैली गंदगी कूड़ों के ढेर से उठने वाली बदबू, प्लास्टिक, पटाखे और सड़कों पर जलाए जाने वाले तारों आदि से किसी प्रकार की राजस्व सरकार को मिल रहा हो लेकिन यह सत्य है कि बीमारियों, दवाईयों और उन्हें रोकने के लिए कर्मचारियों की तनख्वाह पर जितना खर्च होता है उतना इन हानिकारक चीजों को रोकने से नहीं होगा। इसलिए डॉक्टर साहब आपसे आग्रह है कि आप दवाईयों में उपयोग होने वाले वस्तुओं और सरकार को इसके असली कारणों से अवगत कराएं तो कई समस्याएं हल हो सकती है क्योंकि इसमें पीएम द्वारा चलाया जा रहा स्वच्छता अभियान सोने में सुहागा है। सरकार कम खर्च में ज्यादा सुविधाएं जनता को दे सकती है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
डॉक्टर साहब बीमारी होने के असली कारणों से सरकार को अवगत कराएं तभी नागरिक रह सकते हैं स्वस्थ
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