asd मुख्यमंत्री का शिक्षा के प्रति रूझान को देखते हुए शंकुतला देवी जूनियर हाईस्कूल प्रकरण! संघ परिवार और भाजपा के नेताओं को कराना चाहिए इसका समाधान, जिलाधिकारी ऐसे स्कूलों के संदर्भ में बनाएं एक कमेटी – tazzakhabar.com
Date: 18/04/2025, Time:

मुख्यमंत्री का शिक्षा के प्रति रूझान को देखते हुए शंकुतला देवी जूनियर हाईस्कूल प्रकरण! संघ परिवार और भाजपा के नेताओं को कराना चाहिए इसका समाधान, जिलाधिकारी ऐसे स्कूलों के संदर्भ में बनाएं एक कमेटी

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कुछ वर्ष पहले तक शहर के नामचीन शिक्षा संस्थानों में गिने जाने वाले स्कूल अब धीरे धीरे बंदी के कगार पर है। इनमें से कुछ जो खुद शिक्षकों का वेतन जुटाते हैं वो तो अपने संस्थानों को बंद करने का निर्णय लेते जा रहे हैं लेकिन कुछ ऐसे हैं जो सरकार की सहायता से चलते हैं। बच्चे उनमें सैंकड़ो में भी नहीं है और तनख्वाह लाखों में जाती है। जो सरकार को तो आर्थिक नुकसान कह ही सकते हैं कम बच्चे होने के चलते जो छात्र इन स्कूलों में प्रवेश लेते हैं उनकी सुचारू शिक्षा की भी गारंटी नहीं होती क्योंकि जहां तक पता चलता है उनका मन भी इनमें नहीं लग पाता होगा।
ऐसे शिक्षा संस्थानों में फिलहाल हम सुरजकूंड पर स्थित शंकुतला देवी जूनियर हाईस्कूल को देख सकते हैं। यहां की एक गली में कई वर्षो से संचालित इस स्कूल की संचालिका रही शंकुतला कौशिक की एक जमाने में मेरठ से लेकर लखनउ और दिल्ली तक भाजपा सरकारांें के दौरान धमक थी। और प्रदेश व केंद्र सरकार में कई कई मंत्री उनके सहयोगी थे क्योंकि इमरजेंसी में सजा काट चुकीं हरदिल अजीज और सबकी मदद को तैयार रहने वाली शकंुतला कौशिक के समय में इस स्कूल का नाम था। लेकिन जैसे जैसे अंग्रेजी मीडियम के स्कूलों की भरमार हुई और सीबीएसई स्कूल चलने लगे तो बच्चों को संस्कार बांटने और देशभक्ति का पाठ पढ़ाने वाले इन स्कूलों में छात्रों की संख्या कम होने लगी। और अभिभावक उन्हें बंद करने के लिए सोचने लगे। इसके उदाहरण के रूप में सूरजकुंड स्थित शकंुतला देवी जूनियर हाईस्कूल को देखा जा सकता है। एक खबर के अनुसार इसकी संचालिका वर्षा कौशिक का कहना है कि बच्चों की संख्या घटकर 50 रह गई है और इनमें भी पूरे आते नहीं। 20 बच्चों की फीस आती है जिसमें ना तो बिजली का बिल जा सकता है और ना शिक्षकों की तनख्वाह। जगह का किराया और प्रबंधक कमेटी के खर्चे तथा रखरखाव की बात तो दूर है। ऐसी परिस्थितियों में कोई भी स्कूल बंद होने की बात सोच सकता है। इसलिए अगर इस स्कूल के प्रबंधकों ने सोचा तो कोई गलत नहीं है। लेकिन अभिभावकों का कथन भी सही है कि शास्त्रीनगर में वो बच्चे कैसे जाएंगे जो यहां स्कूल की फीस भी आसानी से नहीं दे पा रहे। मुझे लगता है कि इस परिवार की देशभक्ति और समाज के प्रति अपनाई जाने वाली सह्रदयता को ध्यान में रखते हुए महानगर के संघ परिवार के बड़े लोगों और भाजपा नेताओं को अपनी पार्टी की प्रमुख नेता रहीं शकुंतला कौशिक के परिवार के समक्ष जो यह संकट पैदा हो रहा है उसका समाधान खोजने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएं। दूसरी तरफ मेरा मानना है कि प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ जी का शिक्षा के प्रति रूझान और हर बच्चे को साक्षर बनाने के प्रयासों को ध्यान में रखते हुए जिलाधिकारी दीपक मीणा से आग्रह है कि वह बीएसए को बुलाकर निर्देश दें कि शकंुतला देवी जूनियर हाईस्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का समायोजन आसपास के स्कूलों में कराएं। मुझे लगता है कि मुख्यमंत्री जी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए यह जनप्रतिनिधियों जिलाधिकारी व शिक्षा अधिकारियों का योगदान तो होगा ही जीवनभर निस्वार्थ समाज हित में संघर्ष करती रहीं शकुुंतला कौशिक के परिवार की समस्या का समाधान उनके प्रति हम सबकी सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी और बच्चों का भविष्य भी संवर जाएगा। मेरा जिलाधिकारी जी से आग्रह है कि गली मोहल्लों में चलने वाले ऐसे स्कूलों की खोज खबर कराकर उनके बच्चों का दाखिला दूसरे स्कूलों में कराकर कम संख्या वाले स्कूलों को बंद कराया जाए क्योंकि इसमे काफी जगह घिर रही है और थोड़े बच्चों वाले स्कूलों में वेतन के नाम पर सरकार को लाखों रूपये हर माह देने पड़ रहे हैं और प्राइवेट स्कूलों के संचालक अब इसमें असमर्थता व्यक्त करने लगे है। इसलिए किसी एडीएम की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित कर बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखकर जल्द निर्णय लिया जाए। वो ही सबके हित में। समाज और शिक्षा के क्षेत्र में सक्रिय संगठनों को भी इस मामले में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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