asd कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने हेतु सभी को बधाई! चौधरी चरण सिंह, कांशीराम, जार्ज फर्नाडिस, मुलायम सिह यादव और बाल ठाकरे को भी दिया जाए यह सम्मान

कर्पूरी ठाकुर जी को भारत रत्न देने हेतु सभी को बधाई! चौधरी चरण सिंह, कांशीराम, जार्ज फर्नाडिस, मुलायम सिह यादव और बाल ठाकरे को भी दिया जाए यह सम्मान

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यह हम देशवासियों के लिए बड़े गौरव और सम्मान का विषय है कि नाई जाति से आने वाले कर्पूरी ठाकुर को केंद्र सरकार द्वारा भारत रत्न देकर सम्मानित किया जा रहा है। बिहार के पूर्व सीएम कर्पूरी ठाकुर द्वारा 25 करोड़ गरीब नागरिकों को बताते हैं कि गरीबी से बाहर निकालने का काम किया गया। संवेदनशील भावनाओं से ओतप्रोत कर्पूरी ठाकुर 64 साल की उम्र में हमसे विदा हो गए लेकिन जब तक जिए शान से जीए। उन्होंने अपने जीवन में रामविलास पासवान जैसे अनेक युवाओं को बढ़ावा देकर राजनीति के शिखर तक पहुंचने का मार्ग दिखाया और सबसे बड़ी बात वो किसान मजदूर बेसहारा और पिछड़ों के एकमात्र नेता अपने समय में रहे। पूर्व पीएम चौधरी चरण सिंह के अत्यंत प्रिय भी रहे। मेरा कभी उनसे सीधा संपर्क तो नहीं रहा लेकिन जब देश में इमरजेंसी के दौरान जेपी आंदोलन शुरू हुआ और जनता पार्टी की सरकार बनी तो उस समय चर्चाओं में कर्पूरी ठाकुर का नाम मुख्य रूप से लिया जाता था। पीएम मोदी द्वारा कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न मिलने पर कहा गया है कि मुझे खुशी है कि भारत सरकार ने सामाजिक न्याय के प्रकाश स्तंभ महान जननायक को भारत रत्न देने का निर्णय लिया है। वो भी उनकी जन्म शताब्दी के दौरान। जो अपने आप में एक बड़ी बात है। गरीब और कमजोरो के लिए हमेशा चाहे सीएम रहे हो या कार्यकर्ता समाजवादी आंदोलन के प्रमुख योद्धा कर्पूरी ठाकुर 1977 में बिहार के दूसरी बार सीएम बने तो उन्होंने पहली बार अन्य पिछड़ा वर्ग को सरकारी नौकरियों में मंडल आयोग की सिफारिश लागू होने से पूर्व ही 26 फीसदी आरक्षण देकर दबे कुचलों को न्याय और संपन्नता का मार्ग दिखाने की शुरूआत कर दी थी। उनके द्वारा ही महिलाओं को आर्थिक आधार पर आरक्षण दिए जाने की बात उठी और उनके द्वारा ही हिंदी को प्रमुखता देने के लिए शिक्षा मंत्री रहते हुए मैट्रिक परीक्षा में अंग्रेजी की अनिवार्यता खत्म की गई थी। वैसे तो कर्पूरी ठाकुर को यह सम्मान देने की घोषणा राष्ट्रपति द्वारा की गई लेकिन कुछ लोगों का कहना है कि बिहार में बिहार में जातिगत आरक्षण को लेकर भाजपा को घेरने का प्रयास किया जा रहा है उसकी तोड़ ढूंढते हुए उन्हें भारत रत्न देने की घोषणा की गई है। मेरा मानना है कि अगर पात्र व्यक्ति को उसके कारण सम्मान मिल रहा है तो उसमें कोई बुराई नहीं है। वोट किसे देना है किसे नहीं यह मतदाताओं के साथ बिहार में 63 फीसदी ओबीसी को तय करना है कि वो किसके साथ जाएं। उसका कर्पूरी ठाकुर को मिलने वाले भारत रत्न से कोई मतलब नहीं होना चाहिए। सभी समाजवादियों तथा विपक्षी गठबंधन के सभी दलों के नेताओं को इस पहल का स्वागत करते हुए कांशीराम, चौधरी चरण सिंह, मुलायम सिंह यादव, जॉर्ज फर्नाडिंस, बाल ठाकरे को भी भारत रत्न दिए जाने का आग्रह सरकार से करना चाहिए क्योंकि इन सभी ने किसी ना किसी रूप में मजबूती के साथ दबे कुचले और पिछड़ों को बढ़ावा देने उन्हें न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ने का काम प्राथमिकात से किया। मैं भी राष्ट्रपति और पीएम मोदी सहित भारत रत्न किसे देना है यह तय करने वालों को बधाई देते हुए शुभकामनाएं देता हूं कि उन्होंने एक अच्छा निर्णय इस संदर्भ में लेने में अपनी भूमिका निभाई।

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