asd चीन ने बनाया नया खतरनाक वायरस, 3 दिन में हो सकती है मौत – tazzakhabar.com
Date: 18/04/2025, Time:

चीन ने बनाया नया खतरनाक वायरस, 3 दिन में हो सकती है मौत

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बीजिंग 28 मई। चीन हेबई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने एक और खतरनाक वायरस तैयार किया है। यह तीन दिन में किसी भी इंसान की जांच ले सकता है। साइंस डायरेक्ट पत्रिका में प्रकाशित शोध के मुताबिक नया सिंथेटिक वायरस इबोला वायरस की तरह काम करता है। शोध में बताया गया कि चीन के हेबई मेडिकल यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने इबोला वायरस के कुछ हिस्सों को लेकर नया वायरस बनाया है। यह इबोला वायरस की तरह कर सकता है। इस प्रयोग में वैज्ञानिकों ने 10 हम्सटरों को वायरस का इंजेक्शन लगाया गया।

टीका लगाने के तीन दिन में ही हम्सटरों में बीमारी के लक्षण दिखाई दिए। ये लक्षण इंसानों में इबोला वायरस से होने वाली बीमारी के समान थे। हम्सटरों का शरीर कमजोर पड़ गया और शरीर के अंगों ने काम करना बंद कर दिया। तीन दिन बाद इनकी मौत हो गई। कुछ हम्सटरों की आंखों में भी इंफेक्शन पाया गया, जिससे उनकी आंखों की रोशनी कमजोर हो गई। यह लक्षण भी इबोला वायरस से संक्रमित लोगों में देखने को मिलता है।

इस शोध के नतीजे भले ही डरावने लगते हैं, लेकिन वैज्ञानिकों का कहना है कि इससे इबोला वायरस की रोकथाम और इलाज के लिए नई दवाइयां बनाने में मदद मिल सकती है।

इसकी रोकथाम और इलाज के लिए वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। लेकिन, इस शोध में एक बड़ी चुनौती है – इबोला रिसर्च के लिए बहुत ही सुरक्षित प्रयोगशालाओं (Biosafety Level 4 (BSL-4) facilities) की जरूरत होती है। दुनियाभर में ज्यादातर प्रयोगशालाएं (BSL-2 standards) के मानकों को ही पूरा करती हैं।
इस अध्ययन का मुख्य उद्देश्य एक ऐसा तरीका खोजना था जिससे इबोला के लक्षणों को सुरक्षित रूप से दर्शाया जा सके और इसके लिए BSL-4 जैसी हाई-सिक्योरिटी लैब की जरूरत ना पड़े। इस शोध में

वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका खोज निकाला है। उन्होंने वीएसवी (vesicular stomatitis virus) नाम के एक वायरस को इबोला वायरस के खास प्रोटीन (glycoprotein (GP)) के साथ मिला दिया। इस नए वायरस का इस्तेमाल करके वैज्ञानिक अब कम सुरक्षा वाली प्रयोगशालाओं में भी इबोला रिसर्च कर सकेंगे। यह ब्रेकथ्रू अधिक वैज्ञानिकों को इबोला और इसके इलाज पर शोध करने का मौका देगा।

अध्ययन में वैज्ञानिकों ने इस बनाए गए वायरस को सीरियाई हम्सटरों पर टेस्ट किया। इन हम्सटरों की मृत्यु के बाद वैज्ञानिकों ने उनके शरीर के अंगों की जांच की। जांच में पाया गया कि यह नया वायरस दिल, लीवर, तिल्ली, फेफड़े, गुर्दे, पेट, आंत और दिमाग सहित शरीर के महत्वपूर्ण अंगों में फैल गया था। यह वायरस शरीर के कई अंगों को खराब कर सकता है, ठीक वैसे ही जैसे असली इबोला वायरस इंसानों में करता है। इस अध्ययन के नतीजे भले ही डरावने लगते हैं, लेकिन इससे वैज्ञानिकों को भविष्य में इबोला के इलाज के लिए नई दवाइयां बनाने में मदद मिल सकती है।

चीन के वैज्ञानिकों ने इबोला के इलाज के लिए एक नई उम्मीद जगाई है। उन्होंने ऐसा तरीका खोज निकाला है जिससे कम सुरक्षित प्रयोगशालाओं में भी तेजी से इबोला की दवाओं पर रिसर्च किया जा सकेगा। इससे इबोला की वैक्सीन और दवा जल्दी बन पाएगी। लेकिन, इस सफलता के साथ कुछ चिंताएं भी हैं। इतना खतरनाक वायरस बनाने का जोखिम है। ये वायरस कुछ ही दिनों में जानलेवा हो सकता है। प्रयोगशाला में सुरक्षा के सख्त बंदोबस्त के बावजूद गलती से इसके बाहर आने या गलत इस्तेमाल का खतरा बना रहता है।

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