एन एच 58 पर भव्य अवैध निर्माण और रजवाहे की जमीन घेरकर खुले ONE FARRER वन फारर
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इंडियन ऑयल के मधु पेट्रोल पंप दिल्ली रोड पर खुले काके दी हटटी, समेत शहर में आधुनिक इमारतों के नाम पर चर्चा अनुसार कई फ़र्ज़ी एनओसी लगाकर नागरिकों के जानमाल से खिलवाड़ करने की संभावनाओं को दिया जा रहा है बढ़ावा
महाभारतकाल में कौरव और पांडवों के बीच घटे घटनाक्रम लाक्षागृह को कई सौ साल बाद भी हम याद रखे हुए हैं और उसे लेकर चर्चाएं भी करते हैं। उसी प्रकार से एक दशक से भी ज्यादा समय बीत जाने के बाद मेरठ का विक्टोरिया पार्क अग्निकांड और हरियाणा का डबावली प्रकरण हम ध्यान रखते हैं लेकिन उससे सबक लेने केा तैयार नहीं है क्योंकि अगर हमने इन प्रकरणों में हुए जानमाल के नुकसान को ध्यान में रखा होता तो वर्तमान में जो एक प्रकार से जो विवाह मंडप, होटल, समारोह स्थल बनाए जा रहे हैं। शायद वो ना बनाए जाते लेकिन यहां तो अब इन आधुनिक प्रकार के लाक्षागृह ना कहे लेकिन बुरा समय आ गया तो नागरिकों की जान खतरे में डालने वाले तो कहे ही जा सकते हैं। बताते चलें कि आजकल जगह जगह क्योंकि समारोह आयोजित करने वाले नागरिक मोटी रकम अदा करते हैं इस बात को ध्यान में रखते हुए कुछ लोगों ने सरकारी दांव पेंच से बचने के लिए कम खर्च में बड़े लोहे की चादरों और लोहे के गाटर आदि लगाकर तैयार किए जा रहे होटल, विवाह मंडप तो कहीं होटलों के उपर जो भवन बनाए जा रहे हैं उनमें सजावट के लिए जो सामान उपयोग किया जा रहा है उसमें कई चीजें ऐसी हो सकती है कि जरा सी चिंगारी निकली नहीं कि वो धराशायी होने के साथ ही नागरिकों के लिए भी घातक सिद्ध हो सकते हैं।
स्मरण रहे कि पूर्व में कम खर्च और थोड़े समय में सामान रखने के लिए गोदाम आदि तैयार किए जाते थे अब उसी तर्ज पर होटल विवाह समारोह बनने लगे हैं। इनमें खतरनाक यह होता है कि एक गेट और दूसरा छोटा गेट बना दिया जाता है। इनकी इतनी क्षमता नहीं होती कि दुर्घटना होने पर लोग बाहर निकल जाए। यह स्थिति किसी एक जगह की नहीं शहरों में इस प्रकार के स्थल जिस प्रकार से बनने शुरू हो गए हैं उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि इनकी तादात बड़ी संख्या मेें हो सकती है।
हो सकता है कि मैं गलत हूं लेकिन अधिकारी इनमें सुरक्षा इंतजामों की ओर ध्यान नहीं दे रहे हैं। परिणामस्वरूप मेडा नगर निगम फायर विभाग के कुछ अफसरों की मिलीभगत होने के चलते यह टिन की चादरों लोहे के गाटर कपड़े से कम कीमत पर जल्दी तैयार और किराए के लिए मोटी रकम प्राप्त करने के लिए इसके निर्माणकर्ता किसी की जानमाल से खिलवाड़ करने में लगे हैं।
आश्चर्य इस बात है कि जो काम पहले होटल कारोबार से संबंध लोग करते थे उसमें अब मौखिक चर्चा अनुसार सीए, डॉक्टर, और समाजसेवी जिनके ऊपर गलत करने वालों को सही मार्ग दिखाने की जिम्मेदारी होती है वो अपने काम को भूलकर खुद या उनके परिजन मालामाल होने के चक्कर में इस क्षेत्र में उतर आए हैं। नागरिकों में इस बात में दम है कि जल्द ही अफसरों ने सरकारी नीति के तहत इनके खिलाफ अभियान नहीं चलाया तो कई बड़ी दुर्घटना होने की बात से इनकार नहीं कर सकते क्योंकि इससे प्रोत्साहित होकर अब पेट्रोल पंपों पर होटल रेस्टोरेंट खोले जाने लगे हैं जिसके उदाहरण के रूप में दिल्ली रोड स्थित जेपी रिसोर्ट के सामने मधु ट्रांसपोर्ट के पेट्रोल पंप पर खुली काके दी हटटी और परतापुर स्थित वन फारर होटल व बैंकट हॉलों को बताया जाता है बिग बाइट में बने बैंकट हॉलों को देखा जा सकता है। बताते हैं कि पहले भी वन फारर की शिकायत की गई थी। नियमानुसार ना इसे फायर की एनओसी मिल सकती है और ना अन्य सुविधाएं। चर्चा यह भी है है एक पूर्व विधायक द्वारा इसके निर्माणकर्ताओं ने रजवाहे और सरकारी जमीन जमीन को भी दबा लिया है। जनहित में मेरठ मंडलायुक्त को इन निर्माणों की जांच करानी चाहिए और इनमें अगर सरकारी जमीन घेरी गई है तो वो खाली कराएं जाए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)