asd चेन्नई के डी. गुकेश का विश्व शतरंज में बजा डंका, 18 की उम्र में बने वर्ल्ड चैंपियन

चेन्नई के डी. गुकेश का विश्व शतरंज में बजा डंका, 18 की उम्र में बने वर्ल्ड चैंपियन

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सिंगापुर 13 दिसंबर। डी. गुकेश ने गुरुवार को चार घंटे में 58 चाल के बाद गत चैंपियन चीन के डिंग लिरेन के खिलाफ 14वीं बाजी जीती और कुल मिलाकर 18वें विश्व शतरंज चैंपियन बने। इस ऐतिहासिक प्रदर्शन के बाद अपनी भावनाएं व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, मैं अपने सपने को जी रहा हूं। इसने ही मुझे यह खिताब जीतने वाला सबसे युवा खिलाड़ी बना दिया।

गुकेश ने अपनी अविश्वसनीय जीत के बाद कहा, मैं थोड़ा भावुक हो गया क्योंकि मुझे जीतने की उम्मीद नहीं थी। लेकिन फिर मुझे एक मौका मिला और मैंने उस पर दबाव बनाया। गुकेश ने आगे कहा, मैंने 6 या 7 साल की उम्र से इस पल का सपना देखा है। हर शतरंज खिलाड़ी इस पल को जीना चाहता है। मैं अपने सपने को जी रहा हूं। मैं ईश्वर का धन्यवाद करता हूं।

दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ियों में से एक बनने का उनका सपना तब शुरू हुआ जब उन्होंने 2013 में चेन्नई में अपने आदर्श विश्वनाथन आनंद और नॉर्वे के महान शतरंज खिलाड़ी मैग्नस कार्लसन के बीच विश्व चैंपियनशिप मैच देखा। उन्होंने कहा, 2013 में जब मैंने मैग्नस कार्लसन व विश्व चैंपियनशिप मैच में विश्वनाथन आनंद को देखा तो मुझे लगा कि एक दिन ग्लास रूम के अंदर होना बहुत अच्छा होगा। और वास्तव में वहां बैठना और अपने बगल में भारतीय ध्वज को देखना शायद सबसे अच्छा पल होगा।

गुकेश ने कहा, जब मैग्नस ने जीत हासिल की तो मैंने सोचा कि मैं भारत को खिताब वापस लाने वाला व्यक्ति बनना चाहता हूं। उन्होंने कहा, मैंने 2017 में कहा था कि मैं सबसे कम उम्र का विश्व चैंपियन बनना चाहता हूं। गुकेश ने बताया कि पहला गेम लिरेन से हारने के बाद आनंद ने उन्हें ढांढस बंधाया था।

सिंगापुर में गुरुवार को जीत के बाद मितभाषी किशोर गुकेश के चेहरे पर बड़ी मुस्कान देखी जा सकती थी। उन्होंने जश्न में अपनी बाहें ऊपर उठा दीं।

लिरेन की एक चूक को जीत में बदला
गुकेश और डिंग लिरेन के बीच 14वीं बाजी यानी खिताबी मुकाबला उतार-चढ़ाव भरा रहा। यह लिरेन की एकाग्रता में क्षणिक चूक थी जिससे ड्रॉ की ओर बढ़ रही बाजी का नतीजा निकला और जब ऐसा हुआ तो पूरा शतरंज जगत हैरान हो गया। खिलाड़ियों के पास बस एक रूक (हाथी) और एक बिशप (ऊंट) बचा था जिसे उन्होंने एक दूसरे को गंवाया। लिरेन ने 55वीं चाल में गलती की जब उन्होंने हाथी की अदला बदली की और गुकेश ने तुरंत इसका फायदा उठाया और अगली तीन बाजी में मुकाबला खत्म हो गया। अंत में गुकेश के दो प्यादों के मुकाबले लिरेन के पास सिर्फ एक प्यादा बचा था और लिरेन ने अपने हथियार डाल दिए।

कास्पोरोव का रिकॉर्ड तोड़ा
डी गुकेश की खिताबी जीत से पहले सबसे कम उम्र में विश्व शतरंज चैंपियन बनने का रिकॉर्ड रूस के दिग्गज गैरी कास्पारोव के नाम था. उन्होंने 1985 में अनातोली कार्पोव को हराकर 22 साल की उम्र में खिताब जीता था. गुकेश इस साल की शुरुआत में कैंडिडेट्स टूर्नामेंट जीतने के बाद विश्व खिताब के लिए चुनौती पेश करने वाले सबसे युवा खिलाड़ी बने थे.

7 साल की उम्र से खेलना शुरू किया
डी गुकेश ने 7 साल की उम्र में शतरंज खेलना शुरू किया. गुकेश के शिक्षकों ने उनके टैलेंट को पहचाना और उनके माता-पिता को उनकी संभावनाओं के बारे में बताया. इसके बाद गुकेश के पैरेंट्स ने अपने बच्चे को कोचिंग दिलाई.गुकेश दुनिया के सबसे युवा ग्रैंडमास्टर्स में से एक हैं. उन्होंने 2019 में महज 12 साल, 7 महीने और 17 दिनों की उम्र में ग्रैंडमास्टर का खिताब हासिल किया था.

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