कुछ साल पहले हटाई गई धारा 370 की बहाली के लिए कुछ दिन पहले जम्मू कश्मीर विधानसभा के चुनाव के बाद गठित विधानसभा में बीते शुक्रवार से जो हंगामा व मारपीट भाजपा विधायकों व सत्ताधारी दल के विधायकों के बीच हो रही है। वो किसी से छिपी नहीं है। जो स्थिति है विधानसभा में तो उसे आसानी से काबू किया जाना संभव नहीं है। लेकिन पीएम मोदी द्वारा कुछ लोगों को पाकिस्तानी एजेंडे को बढ़ावा दिए जाने और अलगाववादियों की भाषा ना बोलने का संदेश देते हुए महाराष्ट्र के धुले में चुनावी सभा में कहा गया कि बाबा साहेब अंबेडकर के संविधान का पालन हो। जम्मू कश्मीर के साथ ही उन्होंने कहा कि कोई ताकत 370 वापस नहीं करा सकती। इन दोनों बातों से आम आदमी भावनाओं को देखते हुए यही कहा जा सकता है कि शायद भविष्य में 370 भाजपा और उसके सहयोगियों की केंद्र में सरकार रहते हो पाना संभव नहीं है। क्येांकि यह मुददा देश के लोगों की भावनआों से जुड़ा है। कोने कोने में व्यापारी उद्योगपति और आम आदमी भी यह चाहता है कि जम्मू कश्मीर में उसे भी काम करने का अधिकार मिले। इसलिए धारा 370 की वापसी की सोच रखने वाले यह सोच लें कि अगर उन्होंने इस मांग को हवा दी तो चुनावों में उनके प्रतिनिधियों की संख्या और मत प्रतिशत कम हो सकता है।
मैं किसी के लोकतांत्रिक अधिकारों और बोलने की शक्ति का तो विरोधी नहीं हूं लेकिन जिस प्रकार से जम्मू विधानसभा में हंगामा हो रहा है लेकिन आम नागरिकों की इस पर टिप्पणी नहीं हो रही है इससे यह बात साफ होती है कि कुछ लोगों को छोड़कर कोई नहीं चाहता कि धारा 370 समाप्त हो। लेकिन जो यह नुकसान नागरिकों के पैसे और समय का हो रहा है वो सही नहीं है। मुझे लगता है कि केंद्र सरकार को संविधान में अधिकार दिए गए है उसके तहत इस मारपीट को समाप्त कराने के साथ ही यह बता देना चाहिए कि किसी भी रूप में धारा 370 की वापसी नहीं हो सकती और इसे लेेकर हंगामा करने वालों को समझाने के साथ ही कार्रवाई करनी चाहिए।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
धारा 370 प्रकरण में केंद्र सरकार न्यायसंमत करे कार्रवाई
0
Share.