Date: 10/12/2024, Time:

स्कूली छात्राओं के लिए मासिक धर्म स्वच्छता पर नीति को मंजूरी: केंद्र

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नई दिल्ली 12 नवंबर। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि स्कूल जाने वाली छात्राओं के लिए मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता नीति की रूपरेखा तैयार की है जिसे केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने मंजूर किया है।

केंद्र सरकार ने विगत 10 अप्रैल 2023 के फैसले का हवाला देते हुए कहा कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और परिवार कल्याण विभाग ने स्कूलों में छात्राओं की मासिक धर्म संबंधी स्वच्छता नीति का मसौदा तैयार किया जिसे मंत्रालय ने दो नवंबर, 2024 को मंजूरी दी।

सर्वोच्च अदालत कांग्रेस नेता व सामाजिक कार्यकर्ता जया ठाकुर की जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस याचिका में मांग की गई है कि केंद्र व राज्य सरकारें स्कूलों में कक्षा छह से 12वीं तक की छात्राओं को निशुल्क सेनेटरी पैड्स उपलब्ध कराएं।

केंद्र सरकार ने इससे पहले शीर्ष अदालत को बताया था कि देश के 97.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इनमें सरकारी, सहायता प्राप्त और निजी स्कूल शामिल हैं। दिल्ली, गोवा और पुडुचेरी में 100 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय की व्यवस्था है। इसके अलावा, पश्चिम बंगाल में 99.9 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 98.8 फीसदी, सिक्किम, गुजरात और पंजाब में 99.5 फीसदी स्कूलों में छात्राओं के लिए अलग शौचालय हैं। इस मामले में पूर्वोत्तर के राज्य पीछे हैं और वहां छात्राओं के लिए अलग शौचालय की कमी है।

केंद्र ने यह भी बताया कि 10 लाख से अधिक सरकारी स्कूलों में लड़कों के लिए 16 लाख और लड़कियों के वलिए 17.5 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है। इसके अलावा, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में भी छात्रों के लिए 2.5 लाख और छात्राओं के लिए 2.9 लाख शौचालयों का निर्माण कराया गया है।

इसके साथ ही मासिक धर्म के वेस्ट का पर्यावरण के अनुकूल ही प्रबंधन हो। केंद्र सरकार पहले ही अदालत को बता चुकी है कि दिल्ली, गोवा और पांडिचेरी जैसे स्थानों में इन सभी लक्ष्यों को पूरा किया जा चुका है। पूर्वोत्तर के राज्य 98 प्रतिशत के राष्ट्रीय औसत से पीछे हैं, जबकि जम्मू-कश्मीर में 89.2 प्रतिशत छात्राओं को ही यह सुविधा है।

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