नई दिल्ली, 09 मई। दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल पर केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने बड़ी कार्रवाई की है। सीबीआई ने डॉक्टर्स समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। मरीजों से ईलाज के नाम पर जबरन उगाही का इन सभी पर आरोप है। इस मामले में अभी अस्पताल प्रशासन कुछ भी कहने से बच रहा है।
सीबीआई ने दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में डाज्ञॅक्टर्स और कई अन्य अस्पताल के सरकारी कर्मचारियों को मरीजों और मेडिकल उपकरण के नाम पर रिश्वत लेने के मामले में गिरफ्तार किया है।
सीबीआई ने डॉक्टर्स, क्लर्क समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। सीबीआई की टीम ने 15 जगहों पर छापा मारा था। जिसमें अस्पताल, मेडिकल उपकरण सप्लायर और निजी बिचौलिए शामिल थे। बीते मंगलवार को पहली एफआईआर दर्ज हुई थी। यह दिल्ली के बड़े अस्पतालों में दूसरा रिश्वत का बड़ा मामला है।
इससे पहले बीते साल मार्च में सीबीआई ने सफदरजंग अस्पताल में छापा मारा था। सीबीआई ने न्यूरोसर्जन डॉ. मनीष रावत और उनके चार साथियों को गिरफ्तार किया था। मरीजों को अत्यधिक कीमतों पर सर्जिकल उपकरण खरीदने के लिए मजबूर करने के आरोप लगा था।
राष्ट्रीय राजधानी के डॉ राम मनोहर लोहिया अस्पताल में भ्रष्टाचार और रिश्वतखोरी का पूरा एक सिस्टम काम करता है। सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक अगर कॉर्डियोलॉजिस्ट अजय राज व पर्वतगौड़ा चन्नप्पागौड़ा को बतौर रिश्वत 20 हजार रुपये नहीं मिलते थे तो गर्भवती को वार्ड से बाहर निकाल दिया जाता था। अस्पताल के क्लर्क भुवाल व नर्स शालू धमकाते हैं और लेनदेन सुचारू ढंग से बिना व्यवधान हो इसके लिए यूपीआई का विकल्प भी मौजूद है।
सीबीआई ने रिश्वतखोरी के इस मामले में अपनी एफआईआर में 11 व्यक्तियों और चार फर्मों को नामित किया है, जिनमें छह अस्पताल कर्मचारी, एक बिचौलिया और चार चिकित्सा उपकरण आपूर्तिकर्ता शामिल हैं। एजेंसी ने एफआईआर में यह भी दावा किया कि पर्वतगौड़ा ने चिकित्सा आपूर्तिकर्ताओं से उन्हें मिलने वाली रिश्वत जल्द से जल्द देने के लिए कहा था। 2 मई को, उन्होंने नागपाल को 2.48 लाख रुपये की रिश्वत राशि देने के लिए कहा, जिसे नागपाल ने मंगलवार तक देने का आश्वासन दिया।
पर्वतगौड़ा ने 23 अप्रैल को अहमद से सभी रिश्वत जल्द से जल्द देने को कहा था क्योंकि वह गर्मी की छुट्टियों के दौरान यूरोप जाने वाला था। अहमद ने इससे पहले मार्च में पर्वतगौड़ा के पिता बसंत गौड़ा के खाते में 1.95 लाख रुपये जमा कराए थे। इसी तरह पर्वतगौड़ा ने एक दूसरे सप्लायर आकर्षण गुलाटी से यूपीआई के जरिये 36 हजार रुपये और शेष रकम नकद ली थी। सीबीआई ने एफआईआर में कॉर्डियोलॉजिस्ट अजय राय और भारती मेडिकल टेक्नोलॉजीज के भरत सिंह दलाल के बीच कई लेनदेन का भी जिक्र किया।
अस्पताल का क्लर्क संजय 100 रुपये में एक दिन की रेस्ट का मेडिकल सर्टिफिकेट चुटकी बजाते बनवा देता था। यही नहीं उसका रेट चार्ट फिक्स था। एक दिन के 100 रुपये तय थे।
सीबीआई की एफआईआर के मुताबिक, डॉक्टर पर्वतगौड़ा और अजय राज मेडिकल कपनियों के प्रतिनिधि नरेश नागपाल, अबरार अहमद, आकर्षण गुलाटी, मोनिका सिन्हा, भरत सिंह दलाल से उनके इक्यूमेंट्स प्रमोट और सप्लाई करने के नाम पर रिश्वत लेते थे. आरएमएल के क्लर्क भुवल जैसवाल और नर्स शालू शर्मा मरीजों के तीमारदारों से इलाज के नाम पर पैसा ऐंठते थे.
एजेंसी की एफआईआर में ऐसे चार मौके दिखाए गए हैं जब क्लर्क संजय ने 700 रुपये में सात दिन, 300 रुपये में तीन और 500 रुपये में पांच दिन का मेडिकल बनवा कर दिया है। सीबीआई के मुताबिक क्लर्क भुवाल जायसवाल डॉक्टरों के अपॉइंटमेंट दिलाने के नाम पर भी रिश्वत वसूलता था। अस्पताल में मनचाहे दिन डॉक्टर का अपॉइंटमेंट पाने के लिए सिर्फ भुवाल की जेब गर्म करनी होती है। भुवाल रिश्वत लेने के बाद अपॉइंटमेंट के साथ साथ अन्य सुविधाएं भी देता है।