नई दिल्ली 05 अगस्त। आज सोमवार को दिल्ली नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुना दिया है। इस दौरान अदालत ने कहा कि उपराज्यपाल (एलजी) सरकार से सलाह लिए बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति कर सकते हैं। दरअसल, अदालत के इस फैसले के बाद आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका लगा है।
बता दें कि, दिल्ली सरकार ने मंत्रिपरिषद की सलाह के बिना नगर निगम में एल्डरमैन की नियुक्ति करने के उपराज्यपाल के फैसले को चुनौती देते हुए कोर्ट में याचिका दायर की थी। इस पर सुनवाई करते हुए बीते वर्ष मई में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुप्रीम कोर्ट (SC) का फैसला इसलिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि आज के फैसले के बाद एमसीडी(MCD) में स्टैंडिंग कमेटी के गठन का रास्ता साफ हो पाएगा. दरअसल, एल्डरमैन को लेकर चल रहे मौजूदा विवाद के सुप्रीम कोर्ट में लंबित रहने चलते एमसीडी में अब तक स्टैंडिंग कमेटी का गठन नहीं हो पाया है, क्योंकि स्टैंडिंग कमेटी के चुनाव में एल्डरमैन कहलाने वाले मनोनीत पार्षद भी वोट देते हैं. यहां ये भी गौर करने लायक है कि 5 करोड़ से ज़्यादा के प्रोजेक्ट के लिए स्टैंडिंग कमेटी की मंजूरी जरूरी है. इसी के चलते मूलभूत सुविधाओं को दुरुस्त करने के लिए 5 करोड़ से अधिक के कई प्रोजेक्ट लटके पड़े हैं. एक ऐसे वक्त में जब जलभराव और नालों की सफाई और बुनियादी सुविधाओं के विस्तार में असफल रहने पर MCD सवालों के घेरे में है.
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला की पीठ ने पिछले साल 17 मई को इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था. अब जस्टिस पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली पीठ ने फैसला सुनाया है. पिछले साल 17 मई को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा था कि उपराज्यपाल को एमसीडी में पार्षदों को नॉमिनेट करने का अधिकार देने का मतलब होगा कि वह निर्वाचित नगर निकाय को अस्थिर कर सकते हैं. एमसीडी में 250 निर्वाचित और 10 नामित सदस्य हैं. दिसंबर 2022 में आम आदमी पार्टी ने नगर निगम चुनाव में 134 वार्ड में जीत के साथ एमसीडी पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के 15 साल के शासन को समाप्त कर दिया था. भाजपा ने 104 सीट जीतीं और कांग्रेस नौ सीटों के साथ तीसरे स्थान पर रही. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था, ‘क्या एमसीडी में विशेषज्ञ लोगों को नामित करना केंद्र के लिए इतनी चिंता का विषय है? वास्तव में, उपराज्यपाल को यह शक्ति देने का मतलब यह होगा कि वह लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित नगर समितियों को अस्थिर कर सकते हैं, क्योंकि उनके पास (एल्डरमैन) मतदान का अधिकार भी होगा.
दिल्ली सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने दलील दी थी कि दिल्ली सरकार को एमसीडी में लोगों को नामित करने के लिए कोई अलग से अधिकार नहीं दिए गए हैं और पिछले 30 वर्षों से सरकार की सहायता एवं सलाह पर उपराज्यपाल द्वारा ‘एल्डरमैन’ को नामित करने की परंपरा का पालन किया जाता रहा है. तत्कालीन अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल संजय जैन ने उपराज्यपाल कार्यालय की ओर से पेश होकर दलील दी थी कि सिर्फ इसलिए कि कोई परंपरा 30 वर्षों से चली आ रही है, इसका मतलब यह नहीं है कि वह सही है.