Date: 27/07/2024, Time:

गुजारा भत्ता के आदेश से पहले दंपती से मांगे आय और व्यय की जानकारी

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प्रयागराज, 30 मई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रदेश की सभी परिवार अदालतों से सुप्रीम कोर्ट के रजनेश बनाम नेहा केस में दिए गए निर्देशों के अनुपालन की रिपोर्ट मांगी है।

सर्वोच्च न्यायालय ने निर्देश दिया है कि गुजारा भत्ता आदेश देने से पहले पति पत्नी की आय व व्यय का ब्योरा हलफनामे के साथ लेकर कोर्ट आदेश जारी करें। इस आदेश की अधिकांश परिवार अदालतों द्वारा अवहेलना करने की प्रवृत्ति को उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है और प्रदेश के सभी प्रधान परिवार न्यायाधीशों से अगली सुनवाई की तिथि 10 जून तक अनुपालन रिपोर्ट मांगी है।

न्यायालय ने परिवार अदालत औरैया की पत्नी को गुजारा भत्ता देने के आदेश की वैधता की चुनौती में पति की पुनरीक्षण याचिका पर पति-पत्नी दोनों को अपनी संपति व जिम्मेदारी के ब्यौरे के साथ हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति विनोद दिवाकर ने निर्मल कुमार फूकन की याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

सरकारी अधिवक्ता का कहना था कि परिवार अदालत ने बिना आय व्यय का दोनों पक्षों से ब्योरा लिए गुजारा भत्ता का आदेश देकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवमानना की है। यह आदेश कानून के शासन के विपरीत है। कहा गया कि सर्वोच्च न्यायालय का फैसला सभी संबंधित अदालतों को भेजा गया है। प्रशिक्षण भी आयोजित किए गए हैं। सर्वोच्च न्यायालय के महासचिव ने सभी उच्च न्यायालयों के महानिबंधकों को आदेश का अनुपालन करने के लिए पत्र भी लिखा है। उच्च न्यायालय की प्रशासनिक कमेटी ने भी महानिबंधक के मार्फत सभी जनपद अदालतों को आदेश के पालन का निर्देश दिया है। जिस पर कोर्ट ने प्रधान न्यायाधीश परिवार अदालत औरिया सहित सभी परिवार अदालतों से सील कवर अनुपालन रिपोर्ट मांगी है और सफाई भी मांगी है कि अदालतें आदेश को क्यों नहीं समझ पा रही हैं।
न्यायालय ने कहा कि ऐसे कई मामले कोर्ट में आने के कारण न्यायिक आदेश देने को विवश होना पड़ा है। न्यायालय ने निबंधक अनुपालन को आदेश की प्रति सभी परिवार अदालतों के प्रधान न्यायाधीशों को अनुपालन हेतु भेजने का निर्देश दिया है।

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