asd दुष्कर्म के झूठे मुकदमें में 27 माह संप्रेक्षण गृह में बंद रहा किशोर, अब मिला न्याय

दुष्कर्म के झूठे मुकदमें में 27 माह संप्रेक्षण गृह में बंद रहा किशोर, अब मिला न्याय

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मुरादाबाद 04 जुलाई। एक किशोर 27 माह उस अपराध में किशोर संप्रेक्षण गृह में बंद रहा, जो उसने किया ही नहीं। किशोर न्याय बोर्ड से उसे न्याय मिला है। दलित किशोरी से दुष्कर्म के मामले में बोर्ड ने उसे दोषमुक्त कर दिया है। साथ ही पीड़िता और उसके पिता को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया है। पीड़िता से शासन से मिली धनराशि की वसूली की जाएगी। साथ ही एसएसपी मुरादाबाद को पत्र लिखकर जांच करने वाले दो पुलिस क्षेत्राधिकारी के विरुद्ध कार्रवाई को कहा है।

संभल जिले के हयातनगर क्षेत्र के गांव की दलित किशोरी 15 अप्रैल, 2022 में बिलारी क्षेत्र के गांव में मेला देखने आई थी। आरोप है कि गांव के सलीम और एक किशोर ने उसे चाऊमीन में नशीला पदार्थ खिला दिया। उसे होश आया तो वह कमरे में थी। वहां उसके साथ दुष्कर्म किया गया। इसके बाद उसे रास्ते में छोड़ दिया। किशोरी ने घर आकर आपबीती सुनाई। उसके पिता ने बिलारी थाने में नामजद प्राथमिकी दर्ज कराई। पुलिस ने 18 अप्रैल को दोनों नामजद आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।

आरोपियों में शामिल किशोर के नाम के साथ उसके उपनाम में गांव के ही एक अन्य किशोर का नाम जोड़कर उसे गिरफ्तार कर लिया। लिहाजा वास्तविक आरोपी किशोर गिरफ्तारी से बच गया। उस समय किशोरी और उसके पिता ने भी पुलिस को दिए बयान में गिरफ्तार किशोर को दोषी ठहराया।
हालांकि, बोर्ड के समक्ष उन्होंने पुलिस पर गलत किशोर को गिरफ्तार करने का आरोप लगाया और खुद को इससे अनभिज्ञ बताया। घटना के वक्त बिलारी में धरना प्रदर्शन भी हुए थे।

किशोरी के दलित होने की वजह से जांच पुलिस क्षेत्राधिकारी के स्तर से की गई। किशोर न्याय बोर्ड के प्रधान मजिस्ट्रेट मुकीम अहमद ने दो सदस्य मजिस्ट्रेट के साथ मंगलवार को निर्णय सुनाकर संप्रेक्षण गृह में बंद किशोर को दोषमुक्त घोषित कर दिया है।

प्राथमिकी दर्ज होने के बाद ही किशोरी की मां ने अपनी बेटी के अपहरण की सूचना को गलत बताया था। कहा था कि उसकी बेटी खुद नामजद आरोपियों के साथ गई थी। किशोर न्याय बोर्ड के समक्ष भी मां ने कहा था कि बच्चा जेल में बंद किशोर वास्तविक आरोपी नहीं है। दोनों के पिता के नाम भी अलग हैं। वास्तविक आरोपी ने भी अपना कोई उपनाम न होने की जानकारी दी थी।

अधिवक्ता लक्ष्मण सिंह प्रजापति ने बताया कि गलत गिरफ्तारी के विरोध में ग्रामीण एकत्र होकर बिलारी पहुंच गए थे और धरना प्रदर्शन किया था। आरोप है कि पुलिस ने किशोर को छोड़ने के लिए रुपये भी मांगे थे। पैसे न होने और बेटे को झूठे मामले में जेल जाते देखकर उसके पिता को 21 जून को बिलारी थाने में हार्ट अटैक आ गया था, वहां से उन्हें अस्पताल ले जाया गया। अस्पताल में चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया था। अधिवक्ता के मुताबिक दूसरा आरोपी बालिग है। उसका मुकदमा पॉक्सो कोर्ट में चल रहा है।

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