वाराणसी 09 मई। लोकसभा चुनाव में सबसे वीवीआईपी सीट वाराणसी के लिए नामांकन की प्रकिया जारी है. इस सीट से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चुनाव लड़ रहे हैं, ऐसे में इस लोकसभा सीट पर नामांकन के लिए प्रत्याशियों की होड़ भी देखने को मिल रही है. इस भीड़ के बीच बुधवार को वाराणसी में गले में मैं जिंदा हूं कि तख्ती टांग एक शख्स सांसद प्रत्याशी के तौर पर नामांकन करने कलेक्ट्रेट पहुंचा, तो हर किसी की नजर उसपर टिक गई.
हाथ में 25 हजार रुपये और नामांकन फॉर्म लेकर संतोष मूरत सिंह नाम का यह शख्स कचहरी पहुंचा. हालांकि अफसरों ने उन्हें नामांकन स्थल के बाहर कलेक्ट्रेट की गेट पर भी रोक दिया. जिसके बाद नाराज संतोष मूरत सिंह ने वहीं पर हंगामा शुरू कर दिया और गेट के बाहर धरने पर बैठ गया.
संतोष ने बताया कि राजस्व अभिलेख में धोखे से उन्हें मृत घोषित कर दिया है और उनकी जमीन पर कब्जा कर लिया है. अब खुद को जिंदा साबित करने के लिए संतोष मूरत सिंह चुनाव लड़ने आए है. हालांकि संतोष के लिए चुनाव लड़ना कोई नई बात नहीं है. वो 20 साल से चुनाव लड़ रहे हैं. 2012 में उन्होंने राष्ट्रपति पद के लिए भी चुनाव लड़ा था.
इसके पहले 2014 और 2019 में वाराणसी लोकसभा सीट से संतोष ने पीएम मोदी के खिलाफ चुनाव लड़ने के लिए नामांकन दाखिल किया था. लेकिन बाद में उनका पर्चा खारिज हो गया.
बताते चलें कि राजस्व अभिलेख के अनुसार, वाराणसी के छितौनी निवासी संतोष मूरत सिंह की मौत 2003 के मुम्बई के ट्रेन में हुए बम धमाके में हो चुकी है. दावा है कि फर्जी डेथ सर्टिफिकेट के आधार पर उनके पटीदारों ने उनकी साढ़े बाहर एकड़ भूमि पर कब्जा कर बेच दिया. अपने उसी जमीन को पाने के लिए संतोष गले में मैं जिंदा हूं कि तख्ती टांग वाराणसी के सड़कों पर घूमते हैं.