लखनऊ 17 सितंबर। शहरों में न्यूनतम 500 वर्ग मीटर भूमि पर छोटे-छोटे फ्लैट बनाकर बेचने वालों पर शिकंजा कसा जाएगा। विकास प्राधिकरणों को न्यूनतम आठ फ्लैट बनाने के लिए नक्शा पास होने की जानकारी भू-संपदा विनियमन एवं विकास अधिनियम (रेरा) को अनिवार्य रूप से देनी होगी। प्रमुख सचिव आवास पी. गुरुप्रसाद ने इस संबंध में शासनादेश जारी करते हुए विकास प्राधिकरणों को निर्देश भेज दिए हैं।
प्रदेश की घनी बस्तियों में कम चौड़ी भूमि पर एकल आवासीय नक्शा पास कराकर बिल्डर उस पर फ्लैट बनाकर बेच रहे हैं। मानक के विपरीत फ्लैट बनने की वजह से ऐसी कालोनियों में रहने वालों को तो परेशानियां हो ही रही हैं, साथ में इसे खरीदने वाले भी छले जा रहे हैं। भू-संपदा विनियमन एवं विकास अधिनियम में बिल्डरों द्वारा किसी भी तरह का फ्लैट या रो हाउस बनाने के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य है। इसके बाद भी 10 हजार वर्ग फीट वाले नक्शों को पास करने की जानकारी विकास प्राधिकरणों द्वारा ही रेरा को दी जा रही है।
आवास विभाग की ओर से जारी शासनादेश में कहा गया है कि बिना रेरा पंजीयन या ऐसी भूमि जहां 500 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र में आठ या इससे अधिक फ्लैट बनाए गए हैं, ऐसे फ्लैटों का विक्रय या बुकिंग आदि प्रतिबंधित है। नक्शा स्वीकृत कराने के बाद इसका रेरा में पंजीकरण कराया जाना अनिवार्य है रेरा द्वारा शासन को उपलब्ध कराई गई सूचना में बताया गया है कि विभिन्न योजनाओं या क्षेत्रों में अब तक 3926 परियोजनाएं पंजीकृत कराई गई हैं। इनमें से 2056 चल रही हैं।
शासनादेश में कहा गया है कि रियल स्टेट परियोजनाओं के रेरा में पंजीकरण के संबंध में शासन स्तर पर समीक्षा के बाद पात्र ऐसी परियोजनाओं का रेरा में पंजीकरण कराया जाना चाहिए इसलिए नक्शा पास करने के बाद विकास प्राधिकरण और आवास विकास परिषद द्वारा रेरा को इसकी जानकारी दी जाएगी। अधिकारी द्वारा स्वीकृत नक्शे के आदेश में इस शर्त का उल्लेख किया जाए कि बिल्डर तीन माह के अंदर रेरा में पंजीकरण कराए।