शिमला 12 सितंबर। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने शिमला को लेकर चिंता जताई है। शिमला की प्रतिष्ठित पैदल यात्री संस्कृति की रक्षा के लिए हस्तक्षेप करते हुए हाई कोर्ट ने आदेश जारी किया है। हाई कोर्ट ने इस बात पर निराशा व्यक्त की है कि सीलबंद सड़कों पर वाहनों की बढ़ती भीड़ के कारण यह हिल स्टेशन अपना आकर्षण खो रहा है।
हाई कोर्ट ने कहा कि शिमला शहर की संस्कृति थी कि लोग ‘छाता’ लेकर और ‘जैकेट’ पहनकर पैदल निकलते थे। यही शिमला की संस्कृति और आकर्षण हुआ करता था। धीरे-धीरे यह खोता जा रहा है। शिमला अब मसूरी की तरह सिमटता जा रहा है।
बेंच ने कहा, खो रहा शिमला का आकर्षण
मुख्य न्यायाधीश गुरमीत सिंह संधावालिया और न्यायमूर्ति रंजन शर्मा की खंडपीठ ने कहा कि शिमला में जहां लोग पैदल लचते थे, वहां यातायात सीलबंद सड़कों पर चल रहा है और इसलिए, पुराना शिमला अपना आकर्षण खो रहा है, जिसे बहाल करने की आवश्यकता है। बेंच एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, तब यह टिप्पणी की।
अदालत ने हिमाचल प्रदेश के गृह सचिव और शिमला के पुलिस अधीक्षक को सीलबंद सड़कों के लिए जारी किए गए वाहन पास पर एक स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने और पास धारकों के मानदंडों और श्रेणियों के बारे में विवरण देने का निर्देश दिया।
अदालत ने पाया कि शिल्ली चौक या शिमला क्लब से छोटा शिमला तक सीलबंद मार्ग के लिए कई वाहन पास जारी किए गए हैं, जिससे पैदल यात्रियों का स्वतंत्र रूप से आना-जाना मुश्किल हो गया है। अदालत ने यह भी बताया कि रॉक सी होटल से विलो बैंक तक मॉल रोड के प्रतिबंधित हिस्से पर भी वाहन पार्क किए जाते हैं।
अदालत ने कहा कि भले ही वाहनों को ड्रॉप-ऑफ के लिए अनुमति दी गई हो और पास भी हों, फिर भी इस बात पर कोई सवाल ही नहीं उठता कि ऐसी अनुमति का इस्तेमाल रात भर वाहनों को पार्क करने के लिए किया जा सकता है, और इसे ज़्यादा से ज़्यादा ड्रॉप जो ही माना जा सकता है।
हाई कोर्ट ने दिया जिम्मेदारों को नोटिस
याचिकाकर्ता संभव भसीन ने अदालत का ध्यान स्वच्छता बनाए रखने, सेना प्रशिक्षण कमान (आरट्रैक) से राम बाज़ार जाने वाली सार्वजनिक सड़क पर पड़े कूड़े को हटाने और दोपहिया वाहनों की पार्किंग के लिए उचित दिशानिर्देश बनाने की ओर आकर्षित किया था। अदालत ने पाया कि याचिका के साथ संलग्न तस्वीरों से स्थिति बेहद खराब दिख रही है क्योंकि सड़कों पर खड़े दोपहिया और चार पहिया वाहनों ने पैदल मार्ग को अवरुद्ध कर दिया है।
तस्वीरों में स्थानीय निवासियों ने वाहनों के पीछे जमा किए गए कूड़े के ढेर को भी दिखाया गया है।अदालत ने कहा कि शिमला नगर निगम द्वारा पर्याप्त शक्तियों का प्रयोग नहीं किया जा रहा है। अदालत ने नगर निगम को अपना जवाब दाखिल करने के लिए नोटिस भी जारी किया।