लखनऊ 10 सितंबर। रोड एक्सीडेंट में घायल लोग अब पैसे न होने के कारण इलाज न मिलने से दम नहीं तोड़ेंगे। प्राइवेट हॉस्पिटल्स में में अब सडक़ दुर्घटना के घायलों को कैशलेस इलाज की सुविधा दिलाने की तैयारी है। घायलों को सात दिनों तक इलाज की लागत, जिसकी अधिकतम राशि डेढ़ लाख रुपये होगी, कैशलेस व्यवस्था के तहत मुहैया कराई जाएगी। यह योजना आयुष्मान भारत की तर्ज पर शुरू होगी, जिसमें निजी अस्पतालों में सडक़ हादसे में गंभीर रूप से घायलों का इलाज हो सकेगा। परिवहन विभाग ने शासन को प्रस्ताव भेजा है।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर सडक़ परिवहन मंत्रालय ने घायलों के लिए कैशलेस इलाज योजना शुरू की है। उत्तर प्रदेश में सडक़ दुर्घटनाओं में मौतों की संख्या सर्वाधिक है। परिवहन विभाग ने केंद्र की तर्ज पर योजना का प्रस्ताव तैयार किया है। डीएम को निजी अस्पतालों को योजना से जोडऩे का कार्य सौंपा गया है। यह कार्य शुरू हो चुका है। अभी तक निजी अस्पताल सड़क हादसे के घायलों का इलाज करने से बचते रहे हैं, क्योंकि इसमें कई कानूनी अड़चनें रही हैं। अब इस बाधा को दूर कर सबको इलाज मुहैया कराया जाएगा। यह योजना सभी प्रकार की सडक़ों और मोटर वाहन से जुड़ी सभी सडक़ दुर्घटनाओं पर लागू होगी। पुलिस, अस्पताल व राज्य स्वास्थ्य एजेंसियों के मध्य समन्वय करना होगा।
2030 तक डेथ रेट 50 % कम करने का टारगेट
सडक़ सुरक्षा के पूर्व अपर आयुक्त पुष्पसेन सत्यार्थी ने बताया कि सडक़ दुर्घटनाओं में होने वाली मौतों की संख्या में कमी आएगी। गोल्डन ऑवर में घायलों का उपचार होगा, पीडि़तों पर वित्तीय बोझ कम किया जा सकेगा। साथ ही आपात स्थिति में त्वरित कार्रवाई होगी। सरकार ने साल 2030 तक रोड एक्सीडेंट में मौतों को 50 प्रतिशत तक कम करने का टारगेट रखा है। परिवहन आयुक्त ब्रजेश नारायण सिंह ने बताया कि प्रदेश सरकार इस संबंध में शासनादेश जारी करेगी। इसके बाद सडक़ दुर्घटना के घायलों को कैशलेस इलाज मिलना शुरू होगा।
ऐसे मिलेगा योजना का लाभ
दुर्घटना के 24 घंटे के अंदर पुलिस को सूचना देनी होगी। पुलिस ई-डिटेल्स एक्सीडेंट रिपोर्ट यानी ई-डार अप्लीकेशन पोर्टल पर इसे फीड करेगी, अस्पताल भी इस पोर्टल से जुड़े होंगे, वे इसी आधार पर इलाज शुरू करेंगे। जिला सडक़ सुरक्षा समिति के अध्यक्ष जिलाधिकारी हैं। योजना की निगरानी व भुगतान उन्हीं के माध्यम से होगा। अस्पतालों को उपचार के क्लेम का भुगतान मोटर वाहन दुर्घटना निधि से किया जाएगा। सात दिन या डेढ़ लाख रुपये की सीमा पार होने के बाद मरीज के इलाज के खर्च की भरपाई बीमित वाहन से हादसे की परिस्थितियों में बीमा कंपनी द्वारा की जाएगी। वाहन का बीमा न होने पर घायल को अपनी जेब से इलाज कराना होगा।