लखनऊ, 17 जनवरी। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण में 137 भूखण्डों के घोटाले में 30 इंजीनियरों को जांच में दोषी ठहराया गया है। इनमें से कई को नोटिस जारी कर दी गयी है। मामले में सात अन्य इंजीनियरों को दोष मुक्त कर दिया गया है। एलडीए में तैनात रहे कई इंजीनियरों की भी इस घोटाले में गर्दन फंसी है।
गाजियाबाद के स्वर्ण जयन्तीपुरम योजना में तत्कालीन इंजीनियरों ने घोटाला किया। योजना के 137 भूखण्डों का आवंटन निरस्त होने के बाद इनकी पुनर्बहाली कर दी गयी थी। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के इंजीनियरों ने भूखंडों पर बिल्डिंग बनवा दी। जांच रिपोर्ट के मुताबिक इसमें 26 भूखंडों पर बिना नक्शे पास कराए इमारतें बनवा दी गईं, जबकि 40 भूखंडों पर नक्शे के विपरीत अवैध निर्माण हुआ। हाईकोर्ट के आदेश पर जांच हुई तो इंजीनियरों को दोषी पाया गया था। पहले चरण में कुल 37 इंजीनियरों को दोषी पाया गया था, लेकिन दोबारा जांच में इसमें सात को दोष मुक्त कर दिया गया। तीसरी जांच मेरठ के कमिश्नर ने की। जिसमें उन्होंने कई इंजीनियरों को फिर से दोषी करार दिया है। कमिश्नर ने सात जुलाई 2023 को जांच रिपोर्ट शासन को भेजी थी।
अब इस मामले में एलडीए में तैनात तत्कालीन अधिशासी अभियन्ता वकील अहमद सहित करीब एक दर्जन इंजीनियरों को चार्जशीट जारी कर दी गयी है। 15 दिन में शासन में अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया गया है।
इन जेई को दोषी ठहराया
आरसी वर्मा, सुनील त्यागी, मोहम्मद कमर, मनोज अग्रवाल, नरेश त्यागी, राजबली सिंह, पारसनाथ, अनिल कुमार, आशू, निमिश गुप्ता, राम सागर वर्मा, विवेश शर्मा, श्याम मोहन शुक्ला, वीके मित्तल, सत्येन्द्र श्रीवास्तव, अशोक त्यागी, बीडी शुक्ला, केपी यादव, टीएन सिंह को दोषी ठहराया गया।