नई दिल्ली 20 मई। केंद्र सरकार फुल एक्शन मोड में है. ऑनलाइन फ्रॉड को रोकने के लिए सरकार ने नया प्लान बनाया है. जिसके तहत सरकार करीब 18 लाख सिम और मोबाइल कनेक्शन को अगले 15 दिन में बंद करने जा रही है. ये पहली बार होगा जब इतनी ज्यादा संख्या में सरकार मोबाइल और सिम कनेक्शन बंद करने जा रही है.
विभिन्न कानून प्रवर्तन एजेंसियों साइबर अपराध और वित्तीय धोखाधड़ी के मामलों की जांच में इन मोबाइल नंबरों की संलिप्तता सामने आई है. इसी को देखते हुए दूरसंचार विभाग ने दूरसंचार कंपनियों को 28,220 हैंडसेटों को डिस्क्नेक्ट करने और 20 लाख से अधिक मोबाइल कनेक्शनों को वेरिफाई करने को कहा है.
जांच एजेंसियों को पता चला है कि एक ही मोबाइल हैंडसेट पर कई हजार मोबाइल सिम का इस्तेमाल किया गया है. जालसाज आम तौर पर अपने दूरसंचार सर्कल के सिम कार्ड का इस्तेमाल करने के बजाय दूसरे दूरसंचार सर्किलों के सिम कार्ड का इस्तेमाल करते हैं ताकि दूरसंचार कंपनियों और एजेंसियों की नजरों से बच सकें. इसके अलावा वे एक ही मोबाइल में एक सिम का उपयोग ज्यादा देर नहीं करते. खुद को बचाने के लिए धोखेबाज केवल कुछ आउटगोइंग कॉल करते हैं और फिर सिम बदल देते हैं.
एक अधिकारी ने बताया कि आम तौर पर संदिग्ध सिम के मामलों में, केवल 10 फीसदी कनेक्शन ही सत्यापित हो पाते हैं और बाकी डिस्कनेक्ट हो जाते हैं. जब टेलीकॉम कंपनियां 15 दिनों में पुन:सत्यापन करती है और सिम वेरिफाई नहीं हो पाता तो कनेक्शन काट दिया जाता है. दूरसंचार विभाग को आशंका है कि जिन 20 लाख सिम को वेरिफाई करने का आदेश दिया है, उनमें से अधिकतर का इस्तेमाल गलत कामों में मिलेगा और इन्हें यूज करने वाला वेरिफाई नहीं कराएगा.
दूरसंचार कंपनियों ने साइबर अपराधों में कथित संलिप्तता के लिए पिछले साल लगभग 200,000 सिम बंद कर दिए थे. सरकार ने हरियाणा के मेवात में ही गहन जांच के बाद एक साथ 37,000 से अधिक सिम कार्ड बंद कर दिए थे. सरकार का मानना है कि टेलीकॉम कंपनियों को सिम के उपयोग पैटर्न का पता लगाने में अधिक सक्रिय होने की जरूरत है, खासकर घरेलू सर्कल के बाहर खरीदे गए सिम के उपयोग के पैटर्न का पता लगाने में.
देश में मोबाइल फोन आधारित साइबर अपराधों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. राष्ट्रीय साइबर अपराध रिपोर्टिंग पोर्टल (NCRP) के अनुसार, डिजिटल वित्तीय धोखाधड़ी के पीड़ितों को 2023 में ₹10,319 करोड़ का नुकसान हुआ.