एसी कमरों से निकलकर देखे अधिकारी! छोटी छोटी गलियों में बहुमंजिले अवैध निर्माण, कच्ची कालोनियों आदि के खिलाफ दूसरी पीआईएल दाखिल, सरकार और नागरिक करें लोकेश खुराना व मनोज चौधरी जैसी जनहित की सोचने वालों का सम्मान
आये दिन पाठकों को अवैध निर्माणकर्ता कच्ची कालोनी काटने और सरकारी जमीन व रोड़ बाईडिंग की जमीन घेरकर बेचने वालों के मुंह से सुनने को मिलता है कि फलाना अखबार वाला ब्लैकमेलर है वो खबरे इसलिए छापता है कि पैसे वसूल कर सके तो सूचना का अधिकार कार्यकर्ता आदि को भी इस प्रवृत्ति और कार्य में संलग्न कुछ लोग और इनसे भी आगे आवास विकास मेरठ विकास प्राधिकरण मेडा नगर निगम कैन्ट बोर्ड आदि के कुछ इससे संबंध अधिकारियों के साथ साथ तमाम विभागों के वो अफसर जिनके द्वारा सरकारी नीति के विरूद्ध किये जा रहे कार्यों के समाचार छपते है या आरटीआई एक्टिीविष्ट आदि उनकी शासन विरोधियों नीति का पर्दाफाश करने के लिए सूचना आदि मांगी जाती है वो सब मिलकर ऐसे लोगों के खिलाफ एक माहौल तैयार करने में लगे है और मजे की बात यह है कि अपने पूर्व जिलों के कार्यकाल में अत्यंत सफल व ईमानदार रहे उच्च अफसर भी इनकी बातों में आकर जो शासन की नीति के विरूद्ध काम विभिन्न क्षेत्रों में हो रहे है ना तो उन पर ध्यान देना चाहते है और ना ही एसी ऑफिस से निकलकर मामले का निरीक्षण करना चाहते है। बस एक सुर में जनहित में काम करने वाले ऐसे लोगों को बदनाम करना अपना मुख्य उद्देश्य इनके द्वारा बना लिया जाता है। और इस क्रम में कभी कभी गलत काम करने वालों से सांठगांठ कर अपना विरोध करने वालों को जबरदस्ती फंसाने के लिए षड़यंत्र करने में भी ऐसे लोग पीछे नहीं रहते है। और वर्तमान समय में ऊपर दिये गये विभागों के अफसर इस मामले में सबसे अग्रणी भूमिका निभा रहे है। क्योंकि पिछले पांच साल में इस शहर में नागरिकों के मौखिक कहे अनुसार जितने ऊपर दिये गये गलत काम खुलकर हो रहे है और अफसरों को पता होने के बाद भी उन्हें रोका नहीं जा रहा है। ऐसा पहले कभी होता नजर नहीं आया।
इस संदर्भ में पुराने शहर में धड़ल्ले से हो रहे अवैध निर्माणों के खिलाफ हाईकोर्ट में एक और पीआईएल दाखिल हो गई है। पीआईएल में मेडा को पार्टी बनाया गया है। हाईकोर्ट में अगले सप्ताह इस पर सुनवाई भी होनी बताई जाती है।
पुराने शहर की तंग और संकरी गलियों में घनी आबादी के बीच में सैकड़ों साल से भी अधिक पुराने आवासीय भवनों को तोड़कर मेडा के संबंधितों से मिल भगत कर बिना नक्शा पास कराए व्यावसायिक निर्माण तेजी से हो रहे हैं। इसके खिलाफ आरटीआई एक्टिविस्ट मनोज चौधरी ने हाईकोर्ट में दूसरी पीआईएल दाखिल कर दी है। इससे पहले भी अदालत में एक पीआईएल विचाराधीन है। इस जनहित याचिका में मनोज चौधरी ने मेडा के साथ ही मंडलायुक्त और डीएम को भी पार्टी बनाया है।
अवैध निर्माणों के खिलाफ दायर इस दूसरी व पहली पीआईएल में क्या फैंसला होगा और वो कहां तक लागू होगा ये तो समय ही बतायेगा। लेकिन फिलहाल सरकार की निगाह में गलत काम कर रहे कुछ लोगों तथा ऊपर दिये गये विभागों के कई अधिकारियों के द्वारा संयुक्त रूप से समय समय पर होने वाली आपसी बातचीत में जिन लोगों की आलोचना की जाती है और उन्हें ब्लैकमेलर बताया जाता है। मेरा मानना है कि समाज हित और शासन की नीतियां लागू कराने के लिए जो प्रयास सूचना अधिकार कार्यकर्ता लोकेश खुराना या मनोज चौधरी आदि कर रहे है सबके हित में सोचने वाले नागरिकों को करना चाहिए इनका नागरिक अभिनंदन व सम्मान तथा इनके माध्यम से खुलने वाले मामलों से सरकार को प्राप्त राजस्व का कुछ हिस्सा समाज हित में किये जाने वाले कार्यों के लिए सरकार द्वारा इन्हें दिया जाना चाहिए।
अभी कुछ वर्ष पूूर्व जब शहर एक प्रकार से नरक बन गया था तब लोकेश खुराना द्वारा न्यायालय पहुंचकर किये गये प्रयासों के बाद ही नागरिकों को स्वच्छ वातावरण में सांस लेने का मौका प्राप्त हुआ था। इन्हें और सरकार के हित में लिखने वाले समाचार पत्रों को भले ही गलत धंधों में सक्रिय अपनी भाषा में ब्लैकमेलर बाताकर बदनाम करते हो लेकिन सही तो यह है कि माननीय प्रधानमंत्री जी और मुख्यमंत्री जी की भ्रष्टाचार की समाप्ति और जनहित के कार्य गुणवत्ता पूर्ण रूप से कराने में इन कुछ लोगों द्वारा ब्लैकमेलर बताये जाने वाले सूचना अधिकार कार्यकर्ता और पत्रकार सबसे ज्यादा काम कर रहे है। और इस संदर्भ में जब चाहे सरकार या अधिकारी अपने ईमानदार अधिकारियों की एक समिति बनाकर निष्पक्ष जांच करा लें तो पता चलेगा कि इनके द्वारा जनहित में जिन्हें ब्लैकमेलर बताया जा रहा है उनके द्वारा कितना काम किया जा रहा है।
और जनपदों की बात तो दूसर अकेले मेरठ आने वाले सभी सड़कों व लिंक मार्गों और शहर सर्राफा नील गली जैसे घनी आबादी वाले इलाकों का दौरा अपने आपको ईमानदार बताने वाले अफसर कर ले तो वो सख्ते में आ जाएंगे कि कितने बड़े स्तर पर सरकार की निर्माण नीति के विपरीत और छोटी छोटी गलियों में काबकनुमा बहुमंजिले कॉम्पलैक्स आदि का अवैध निर्माण इनके सहयोगी एई जेई और अभियंता करा रहे है और कभी भी भगवान न करे कोई दुर्घटना यहां हो जाए तो उसके क्या परिणाम हो सकते है ये तो मौके पर जाकर खुली आंखों से देखकर ही अंदाज लगाया जा सकता है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
हां हम ब्लैकमेलर है जनहित व सरकार हित में लिखना या सोचना गलत है तो!
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