Date: 23/12/2024, Time:

14 बिल्डरों को लाभ पहुंचाने के लिए यीडा ने नहीं वसूले 4226 करोड़

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नोएडा 23 दिसंबर। यमुना एक्सप्रेसवे इंडस्ट्रीयल डेवलपमेंट अथॉरिटी यानी यीडा मौजूदा समय में काफी चर्चाओं में है. उसका प्रमुख कारण जेवर एयरपोर्ट है. जिसकी शुरुआत अगले साल हो सकती है. एयरपोर्ट पर फ्लाइट टेस्टिंग कुछ दिन पहले ही हुई थी. जोकि काफी सफल रही थी. अब जो यीडा को लेकर बात सामने आई है वो बेहद चौंकाने वाली है. देश की बड़ी संस्थाओं में से एक कैग यानी कंट्रोलर और ऑडिटर जनरल ऑफ इंडिया की ओर से गंभीर सवाल उठाए हैं. जोकि अथॉरिटी की विश्वसनियता पर बड़ा आघात है. कैग ने यीडा की बीते 16 बरस में अपनाई गईं पॉलिसी और प्रोसेस दोनों में बड़ी खामियां पाई हैं. कैग ने 2005 से लेकीर 2021 तक के टेन्योर का आकलन किया है.

हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में अनियमितताएं
कैग की रिपोर्ट के अनुसार, यीडा ने जो हाउसिंग टाउनशिप और ग्रुप हाउसिंग लैंड आवंटित किए हैं, उनमें काफी अनियमितताएं हैं. जिससे 4,226 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि इन हाउसिंग प्रोजेक्ट्स के लिए योग्य आवेदकों को नहीं चुना गया. बल्कि एलिजिबिलिटी क्राइटेरिया में खरे ना उतरने वाले लोगों को लैंड आवंटित किया गया. खास बात तो ये है कि कई आवेदक ऐसे थे, जिनकी कुल संपत्ति लैंड की कीमत से भी कम थी और उन्हें ज्यादा कीमत वाले भूखंडों की बोली लगाने की परमीशन दी गई. कुछ मामलों में, डेवलपर्स ने अपनी घोषित संपत्ति से 18 गुना अधिक कीमत पर प्लॉट खरीदे. ये अनियमितताएं वैसी ही हैं जैसी कैग ने नोएडा प्राधिकरण की परफॉर्मेंस के अपने पहले के आकलन में पाई थीं.

शर्तों का पालन ना होना
इसके अलावा, CAG ने बताया, यीडा द्वारा निर्धारित पात्रता शर्तें लैंड के साइज और वैल्यू के साथ मेल नहीं खा रही थीं. छोटे भूखंडों पर लागू समान तकनीकी और वित्तीय मानदंडों का उपयोग बड़े, हाई वैल्यू वाले भूखंडों के लिए किया गया, जिससे अक्षम आवेदकों को बड़े प्रोजेक्ट्स हासिल करने की अनुमति मिल गई. यह ग्रीनबे इन्फ्रास्ट्रक्चर जैसे मामलों में स्पष्ट भी हो गया, जिसने सेक्टर 22डी में 192 करोड़ रुपए वैल्यू का 4 लाख वर्गमीटर का प्लॉट हासिल किया, जबकि कंपनी पूर्ण निर्माण के मामले में काफी खराब रही. सीएजी ने पाया कि परियोजना में लंबी देरी हुई, जिससे 30 सितंबर, 2022 तक 703 करोड़ रुपए बकाया रह गए. CAG ने यह भी कहा कि यीडा ने प्रोजेक्ट्स को एग्जीक्यूट करने या यीडा के बकाया का भुगतान करने के लिए सब-लीजर्स की क्षमताओं का मूल्यांकन किए बिना सब-लीजकी अनुमति दी. सीएजी ने कहा कि जिसकी वजह से वित्तीय घाटा हुआ और डेवलपर्स को अनुचित लाभ हुआ.

केंद्रीय लेखा परीक्षक ने डिफ़ॉल्ट आवंटियों के प्रति यीडा की नरमी की भी आलोचना की. इसमें कहा गया है कि लीज डीड एग्जीक्यूशन में देरी के लिए जुर्माना लीज किराया घाटे को कवर करने के लिए अपर्याप्त था और लेआउट जमा करने, विकास कार्य पूरा करने और फ्लोर एरिया रेश्यो का पालन करने में अत्यधिक देरी के बावजूद यीडा ने आवंटन कैंसल नहीं किया. रिपोर्ट में कहा गया कि यीडा ने आवंटियों को अनुचित लाभ दिया, जिसमें अतिरिक्त भूमि को अपने पास रखने की अनुमति देना, कैंसल किए गए आवंटनों पर निर्धारित मात्रा को जब्त नहीं करना और बिना किसी औचित्य के “शून्य अवधि” देना शामिल है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सभी हाउसिंग टाउनशिप और ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट्स में देरी हुई, जिससे समय पर आवास वितरण और रेवेन्यू कलेक्शन के अपने उद्देश्यों को पूरा करने में विफलता हुई.

यीडा ने दिया जवाब
यीडा ने CAG की रिपोर्ट पर कहा कि स्कीम ब्रोशर में उल्लिखित तकनीकी और वित्तीय आवश्यकताओं को उसके बोर्ड द्वारा विधिवत अनुमोदित किया गया था. यीडा ने कहा कि प्लॉट आवंटन समिति की सिफारिशों और उसके बाद सीईओ द्वारा अनुमोदन के आधार पर सफल बोलीदाताओं को आवंटन किया गया था. यीडा ने योजनाओं के प्रारंभिक वर्षों के दौरान वित्तीय तरलता, बाजार की मांग और प्राधिकरण की अपेक्षाकृत नवजात स्थिति जैसे कारकों का हवाला देकर मानदंडों को उचित ठहराया.

विभिन्न आकारों और मूल्यों के भूखंडों के लिए समान पात्रता मानदंड के संबंध में, यीडा ने कमी को स्वीकार किया. यीडा ने तर्क दिया कि शर्तें उस समय की मौजूदा स्थितियों के आधार पर तैयार की गई थीं और सीएजी को आश्वासन दिया कि भविष्य की योजनाओं में प्लॉट के आकार, मूल्य और आवेदक की समग्र क्षमता के अनुरूप पात्रता आवश्यकताओं को शामिल किया जाएगा.

यीडा ने आवंटन प्रोसेस में बदलाव किया है. डेवलपर्स को अब आवंटन पत्र जारी होने के 60 दिनों के भीतर आवेदन या बोली जमा करते समय प्लॉट के कुल प्रीमियम का 40 फीसदी जमा करना आवश्यक है. बाकी राशि का भुगतान दो साल में चार छमाही किस्तों में 10 फीसदी प्रति वर्ष की दर से ब्याज के साथ करना होगा.

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