asd पड़ोसी देशों की बढ़ती जनसंख्या से मुकाबले के उपाय कर भारत की आबादी घटाने हेतु हो काम, महिलाओं की भूमिका है सराहनीय

पड़ोसी देशों की बढ़ती जनसंख्या से मुकाबले के उपाय कर भारत की आबादी घटाने हेतु हो काम, महिलाओं की भूमिका है सराहनीय

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घटती खाली भूमि आवश्यकताओं से संबंध बढ़ने वाली मांग और आर्थिक साधन व रोजगार के अभाव के बावजूद बढ़ती जनसंख्या वाकई सोचनीय विषय है। राष्ट्रहित में हम सबको इस बारे में विस्तार से सोचने और अपनी भावी पीढ़ी का जीवन खुशहाल बनाए रखने हेतु मनन करने की आवश्यकता से भी इनकार नहीं किया जा सकता। दूसरी तरफ आरएसएस से जुड़ी पत्रिका आर्गनाइजर के द्वारा जनसंख्या संबंधी असंतुलन का मुददा उठाते हुए कहा गया है कि कुछ खास क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी बेहताशा बढ़ रही है जनसंख्या नियंत्रण अपनाने की यह भी एक सबसे बड़ी मांग है। मैं जातिवादी अथवा हिंदू मुस्लिम की बात तो नहीं करता लेकिन अगर जनसंख्या इसी प्रकार से बढ़ती रही तो यह जरूर कहा जा सकता है कि नागरिकों के समक्ष कई तरह की परेशानियां खड़ी होंगी। भरपेट खाना रहने के लिए जगह पेयजल व रोजगार की कम होती संभावनाओं को दृष्टिगत रख सोचा जाए तो भविष्य में यह बिंदु कई प्रकार की समस्याएं सरकार और समाज के समक्ष खड़ी कर सकती है। इसलिए मेरा मानना है कि अगर देश की जनसंख्या घटती है और कुछ पड़ोसी देशों मंे बढ़ती है तो उससे राष्ट्र की सुरक्षा पर तो कोई असर नहीं पड़ेगा इस बात का मनन करते हुए जनसंख्या घटाने पर जोर दिया जाना चाहिए। बताते हैं कि 2031 तक देश के कई जिलों में जनसंख्या में काफी बढ़ोत्तरी हो सकती है। इसलिए महिलाओं के साथ साथ पुरूषों को भी नसबंदी कराने के मामले में आगे आना चाहिए। क्योंकि जैसा बताया जाता है उसके अनुसार महिलाएं नसबंदी कराने मे पुुरूषों से कई गुना आगे हैं। इस आंकड़े पर अगर ध्यान दें तो करीब 96 प्रतिशत से ज्यादा महिलाएं पुरूषों के मुकाबले नसंबदी करा रही हैं।
कुछ लोग यह गलतफहमी फैलाते हैंं कि नसबंदी से शारीरिक कमजोरी आती है। भूख कम लगती है। सिर्फ सर्दियों में करानी चाहिए नसबंदी के बारे में डॉक्टरों का मानना है कि ना तो इससे शारीरिक कमजोरी आती है और ना भूख कम लगती है। पुरूषों में जागरूकता लाने की आवश्यकता है।
सबसे बड़ी बात हम हर साल जनसंख्या दिवस मनाते हैं और इस अवसर पर आंकड़ों का प्रस्तुतिकरण कर अथवा साल में दो चार बार जनसंख्या नियंत्रण के लिए अभियान चलाकर यह सोचते हैं कि इससे जनसंख्या की समस्या का समाधान हो जाए। मेरा मानना है कि इससे ना तो जागरूकता आने वाली है। केंद्र व प्रदेश सरकार को चाहिए कि हर जनपद में चिकित्सा अधिकारी मलिन बस्तियों मंे जागरूकता कैंप लगाए और स्कूलों में इस विषय पर गोष्ठी कराएं तो जनसंख्या नियंत्रण की जो जनहित की पहल है यह सफल हो सकती है। लेकिन एक बार पुन मेरा कहना है कि इस पर नियंत्रण के साथ हमें पड़ोसी देशों की बढ़ती जनसंख्या का ध्यान रखने के साथ ही कुछ ऐसे आधुनिक व्यवस्था भी करनी होगी जिससे समय पड़ने पर जनसंख्या कम होने का दुख ना हो और हम कठिन परिस्थिति का सामना देशहित और सुरक्षा करने में सफल रहें क्योंकि आधी आबादी मातृशक्ति तो आगे बढ़कर सहयोग कर ही रही है पुरूषों को भी आगे लाकर किया जा सकता है तैयार।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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