महिलाओं के खिलाफ अपराधों में हो रही बढ़ोत्तरी के बावजूद यह बात विश्वास से कही जा सकती है कि प्रदेश और केंद्र की सरकार महिलाओं से तय समय से ज्यादा काम ना लिए जाने कार्यस्थलो पर उनकी सुरक्षा के लिए काफी प्रयास किए जा रहे हेैं। कोलकाता के एक अस्पताल में महिला डॉक्टर के साथ जो हुआ उसके बाद सुरक्षा इंतजाम कड़े करने पर जोर दिया जा रहा है। दूसरी ओर महाराष्ट्र में हाईकोर्ट द्वारा अपने एक निर्णय में कहा गया कि लड़कियों की सुरक्षा से समझौता नहीं किया जा सकता। बसपा सुप्रीमो यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जी का कहना है कि यूपी में भी महिला सुरक्षा का हाल बेहाल है। यह सभी बातें सही है। लेकिन इसके लिए दोषी कौन है यह भी तय होना चाहिए क्योंकि सरकार अपने स्तर पर प्रयास कर रही है और अदालत भी संज्ञान ले रही है लेकिन ग्रामीण कहावत ज्यो ज्यो दवा की मर्ज बढ़ता गया के समान महिला अपराध बढ़ रहे हैं और स्कूल कॉलेजों और कई विभागों में उनसे समय से ज्यादा काम लिया जाता है और कई जगह त्योहारों और राष्ट्रीय पर्वों पर उन्हें कार्यालय बुलाकर काम कराया जाता है। मेरा मानना है कि एक तो ऐसी परिस्थिति में महिलाओं की सुरक्षा का पूर्ण इंतजाम करे। उनसे जो ज्यादा काम कराया जाता है या अवकाश में काम लिया जाता है उसका भुगतान भी किया जाए। सुरक्षा की जिम्मेदारी की व्यवस्था पुलिस और सेना में कार्यरत व बचाव की प्रशिक्षण ले चुकी महिलाओं का एक संगठन बनाकर शहरों और देहातो गांवों गली मोहल्लों में भी 11 -11 महिलाओं की कमेटी बनाई जाए और जहां महिलाओं पर अत्याचार होता पाया जाए वहां इन महिलाओं को भेजकर जांच कराई जाए और इनकी रिपोर्ट पर कार्रवाई की जाए क्योंकि हर घर में घुसकर तो नहीं देखा जा सकता। अब कुछ लोग भी आगे बढ़कर कार्रवाई कर सकते हैं। सरकार तो जितना कर सकती है कर ही रही है।
(प्रस्तुतिः संपादक रवि कुमार बिश्नोई दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)
मातृशक्ति की सुरक्षा के लिए बनाए जाएं महिला संगठन, ज्यादा काम कराने का विभाग करें भुगतान
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