वाराणसी 18 अप्रैल। नगर निगम में हैरत अंगेज फर्जीवाड़ा सामने आया है। फर्जी दस्तावेजों के आधार पर एक महिला ने अपने ही पति, सास और ससुर को ‘मृत’ दिखाकर मकान अपने नाम करवा लिया। अधिकारियों की मिलीभगत से हुए इस फर्जीवाड़े का खुलासा होते ही निगम में हड़कंप मच गया है।
स्थानीय निकाय के परीक्षण व नगर आयुक्त अक्षत वर्मा की संस्तुति पर तत्कालीन कर अधीक्षक मुन्ना लाल राम व क्षेत्रीय कर निरीक्षक (द्वितीय श्रेणी) कुंवर विक्रम सिंह को निलंबित कर दिया गया है। जांच में दोषी पाए जाने पर कर अधीक्षक को प्रतिकूल प्रविष्टि देते हुए अगले आदेश तक के लिए वेतन भी रोक दिया है। साथ ही उन्हें निदेशालय संबद्ध कर दिया गया है। वहीं, बहू अर्पणा सिंह के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराने का आदेश दिया है।
अर्पणा सिंह ने अर्दली बाजार स्थित एस 3/12 और 3/14 नंबर के मकान को हड़पने के लिए ससुर प्रमोद कुमार सिंह, सास राजकुमारी सिंह और पति मनीष सिंह को मृत घोषित कर दिया। इसके लिए उसने जौनपुर नगर पालिका से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनवाए और नगर निगम में निदेशालय से संबद्धप्रस्तुत कर दिए। निगम के कर अधीक्षक बिना ठीक से जांच किए अर्पणा के नाम मकान का नामांतरण भी कर दिए। हैरानी की बात यह है कि प्रमोद सिंह अभी पेंशन पर हैं और मनीष सिंह एक नामी कंपनी में एमडी हैं।
फर्जीवाड़े भनक लगते ही विनोद कुमार सिंह ने इसकी शिकायत नगर आयुक्त ने की। इस दौरान उन्होंने बहू पर निगम के अफसरों की मिलीभगत से फर्जी तरीके से मकान हथियाने का आरोप लगाया। नगर आयुक्त ने इसे गंभीरता से लेते हुए दाखिल खारिज के पत्रावली की जांच करा।
जांच में सामने आया कि अर्पणा सिंह फर्जी अभिलेखों के आधार पर नामांतरण कराया है। ससुर प्रमोद कुमार की पत्नी राजकुमारी सिंह जीवित हैं। जीवित होने के बाद भी अर्पणा ने जौनपुर नगर पालिका से तीनों लोगों का मृत्यु प्रमाण पत्र बनवा और फर्जी दस्तावेज लगाकर भवन पर अपना नाम पर दर्ज कराने के लिए आवेदन किया।
जांच में यह भी सामने आया कि तत्कालीन कर अधीक्षक ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर धारा-213 की नोटिस जारी की थी। नगर आयुक्त ने उनके खिलाफ सख्त रुख अपनाते हुए वेतन रोकने के साथ-साथ शासन को निलंबन की संस्तुति भेजी थी।
शासन ने संस्तुति पर कार्रवाई करते हुए उन्हें निलंबित कर उन्हें निदेशालय से संबद्ध कर दिया है। वहीं पूरे प्रकरण की जांच अब अपर निदेशक ऋतु सुहास को साैंप दिया है।