एक कहावत हमेशा सुनने को मिली कि प्यार और जंग तथा राजनीति में सबकुछ जायज है। मगर वर्तमान में इन तीनों क्षेत्रों में जो हो रहा है उसे कोई भी व्यक्ति सच्चे मन से सही नहीं बता सकता। फिलहाल हम बात राजनीति की करें तो साम दाम दंड भेद की नीति अपनाते हुए देशवासियों को राष्ट्रभक्ति और परसेवा का संदेश देने वाले राजनीतिक दलों द्वारा अपनाई जा रही है उसे किसी भी रूप में मान्यता नहीं देनी चाहिए। पिछले कुछ दशकों से विधायकों और सांसदों की मर्जी के विपरीत हारे हुए दलों के द्वारा अपनी सरकार बना ली जाती है। थोड़े से लालच और सुविधाओं के लिए लोग ईमान बदलने के साथ साथ अब दल और अपनी आस्था भी बदलने लगे हैं। जो काम जहां हो रहा है वो वहां सफल हो रहा है और जिनके यहां यह सफल नहीं हो रहा वो इसे धोखा बता रहा है। लेकिन जो भी हो हर परिस्थिति में वर्तमान राजनीति और मतदाता बड़ी संख्या में पीएम मोदी के अलावा कुछ और सोचने को तैयार नजर नहीं आते है। बीते दिनों भाजपा से मिलकर महाराष्ट्र में सरकार में शामिल होने वाले अजीत पवार का कहना है कि लोग चाहते हैं कि मोदी जी फिर बने प्रधानमंत्री। उनका कहना है कि उन्हें तीसरे बार प्रधानमंत्री बनाने के लिए राज्यों में सत्तादल के सभी घटक इस लक्ष्य की प्राप्ति के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। तो दूसरी तरफ ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफती शहाबुदीन रिजवी बरेलवी का कहना है कि पीएम मोदी का चुनाव में विरोध ना करें मुसलमान। छतीसगढ़ के अंबिकापुर जिले में आयेजित इस्लाहे माअशरा काफ्रेंस में उन्होंने कहा कि मुसलमानों को समझाने की कोशिश की और कहा कि भारत के सियासी हालात बहुत तेजी से बदले हैं। कुछ दिन और बदलाव की उम्मीद की जा सकती है। इसलिए मुसलमान अपने भविष्य की सोचें। यह दोनों बातें साबित करती हैं कि एक समय के कटटर विरोधी भी अब पीएम मोदी का समर्थन करने में कोई गुरेज नहीं कर रहे हैं। इससे भी आगे बढ़कर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस का मुख्यमंत्री और बहुमत होने के बावजूद राज्यसभा में भाजपा का उम्मीदवार जीतना इस बात का सबूत कह सकते हैं कि विभिन्न राजनीतिक दलों में मोदी के चाहने वालों की कमी नहीं है। इसलिए कांग्रेस भाजपा और बसपा के विधायकों द्वारा अपने वोट भाजपा उम्मीदवारों को देकर उन्हें राज्यसभा में भेजने का काम किया गया। मुझे लगता है कि अगर विपक्षी दलों और उनके गठबंधन के नेताओं में इसी प्रकार से जूतियों में दाल बटती रही और एक दूसरे का सम्मान करने और असलियत को समझने में यह अभी भी सफल नहीं हुए तो लोकसभा चुनाव में यह तो सरकार बनाने की बात करते हैं लेकिन मेरा मानना है कि यह मजबूत विपक्ष में भी सेटअप नहीं हो पाएंगे। इनकी स्थिति भी दयनीय होकर रह जाएगी। इसलिए इंडिया गठबंधन के सभी नेताओं को अपने राजनीतिक स्वार्थ छोड़कर कांग्रेस और उसके नेता राहुल गांधी को अपना नेता मानकर 2024 के लोकसभा चुनाव हेतु आगे बढ़ना चाहिए।
क्या विपक्ष पीएम मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने से ऐसी हालत में रोक पाएगा
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