लखनऊ 17 मई। यूपी में शादीशुदा बेटियों को भी पिता की कृषि भूमि में हक देने की तैयारी है। हालांकि, हिस्सेदारी का प्रतिशत अभी तय नहीं है। राजस्व परिषद ने इसका प्रपोजल तैयार कर लिया है। इसे जल्द ही योगी कैबिनेट में मंजूरी के लिए ले जाया जाएगा।
कैबिनेट से पास होते ही राज्यपाल की मंजूरी के बाद यह कानून बन जाएगा। अगर ऐसा हुआ तो 2027 के चुनाव से पहले महिला वोट बैंक को लुभाने के लिए सरकार का यह कदम गेमचेंजर साबित हो सकता है। विपक्षी दलों के पास इसकी काट भी नहीं मिलेगी!
अभी क्या है प्रावधान?
अभी राजस्व संहिता की धारा 108 के तहत पिता की कृषि भूमि पर पहला अधिकार बेटे और पत्नी का होता है। बेटा न होने पर पत्नी और अविवाहित बेटी का अधिकार होता है। बेटा, पत्नी और अविवाहित बेटी न होने पर पिता की कृषि भूमि पर विवाहित बेटी को ही अधिकार मिलता है। यूपी में बेटा, पत्नी और अविवाहित बेटी होने की स्थिति में विवाहित बेटी को पिता की संपत्ति (कृषि भूमि) में अधिकार नहीं मिलता है। जबकि, यूपी के पड़ोसी राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश में विवाहित बेटी को पिता की कृषि भूमि में बराबर का हिस्सा देने का नियम है।
क्या होगा पूरा प्रॉसेस?
कानून के जानकारों का कहना है कि राजस्व परिषद के प्रस्ताव पर पहले विधि एवं न्याय विभाग की भी रायशुमारी की जाएगी। उसके बाद विधायी विभाग से भी सलाह-मशविरा किया जाएगा। वित्त विभाग से एनओसी यानी नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट मिलने के बाद प्रस्ताव कैबिनेट में पेश किया जाएगा।
कैबिनेट की मंजूरी के बाद प्रस्ताव को विधानमंडल के दोनों सदनों से पारित कराना होगा। विधानमंडल की मंजूरी के बाद राज्यपाल की मंजूरी ली जाएगी। उसके बाद राजस्व संहिता में संशोधन कर इस नियम को लागू किया जाएगा। जिस दिन से यह नियम लागू होगा, उसके बाद जो उत्तराधिकार निर्धारित होगा, उसमें ही विवाहित बेटी को इसका लाभ मिल सकेगा।
क्यों यह नियम ला रही है सरकार?
जानकारों का मानना है कि अगर बेटी की शादी के बाद उसके पति की मौत हो जाती है या फिर उसका तलाक हो जाता है, ऐसी स्थिति में वह कृषि भूमि में अधिकार न मिलने से असहाय हो जाती है। राजस्व परिषद में अक्सर ऐसे मामले सामने आते हैं, जब विवाहित बेटियां पिता की कृषि भूमि में अधिकार पाने की गुहार लगाती हैं। लेकिन राजस्व संहिता में प्रावधान न होने से अधिकारी भी नियमों का हवाला देकर लाचारी जता देते हैं।
विवाहित बेटियों को मिलेगा हिस्सा!
उत्तर प्रदेश राजस्व परिषद के चेयरमैन अनिल कुमार ने विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार दिलाने का मसौदा तैयार किया है। सूत्रों के मुताबिक सरकार की सैद्धांतिक सहमति के बाद ही इसे तैयार किया गया है। इसके तहत विवाहित बेटी भी अपने पिता की कृषि भूमि में हिस्सा पा सकेगी। हालांकि यह हिस्सा कितना होगा? यह सीएम योगी की मंजूरी के बाद ही पता चलेगा।
जानकारों का मानना है कि विधानसभा चुनाव 2027 से पहले महिलाओं को लुभाने की दिशा में यह बड़ा कदम होगा। सरकार महिलाओं के वोट बैंक को सुनिश्चित करने की योजना पर विचार कर रही है। ऐसे में विवाहित बेटियों को पिता की कृषि भूमि में अधिकार देकर सरकार को राजनीतिक लाभ मिल सकता है। सरकार ने हाल ही में महिलाओं के नाम जमीन और संपत्ति की रजिस्ट्री कराने पर स्टांप ड्यूटी में छूट का प्रावधान भी किया है। राजस्व परिषद ने स्टांप रजिस्ट्रेशन विभाग को भी परिषद के अधीन करने का प्रस्ताव तैयार किया है।
राजस्व बार एसोसिएशन, लखनऊ के अध्यक्ष संतोष त्रिपाठी का कहना है कि इस निर्णय का दूरगामी परिणाम अच्छा नहीं होगा। अभी कृषि भूमि में विवाहित बेटी का हक नहीं होने के कारण बहन-भाई के संबंध मजबूत रहते हैं। भाई अपनी बहन को त्यौहार और शादी ब्याह में काफी कुछ देता है। बेटी को कृषि भूमि में हक देने से उन दोनों के बीच संपत्ति का विवाद शुरू हो जाएगा।