asd रील बनाने वाली महिला पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बात क्यों, शादी पर डांस या मनोरंजन को लेकर कर्मचारी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, मानवीय अधिकार इनके भी हैं

रील बनाने वाली महिला पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई की बात क्यों, शादी पर डांस या मनोरंजन को लेकर कर्मचारी को परेशान नहीं किया जाना चाहिए, मानवीय अधिकार इनके भी हैं

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यूपी पुलिस की दो महिलाएं कार चलाते हुए सीट बेल्ट बिना लगाए वर्दी में रील बनाती दिखाई दी। यह खबर पढ़कर बड़ा अजीब लगा कि पुलिस लाइन में तैनात इन महिलाओं ने ऐसी कौन सी गलती कर दी जो यह समाचार एक प्रकार से आलोचना के रूप में प्रकाशित हुआ। बताते हैं कि विभाग ने भी इस पर गाइडलाइन जारी कर दी। और उच्चाधिकारी कह रहे हैं कि पता कर नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। सवाल उठता है कि क्या संविधान में सरकारी कर्मचारियों और वर्दीधारियों को मनोरंजन करने का अधिकार नहीं है या उन्हें 18 घंटे बिना हंसी खुशी के काम ही करते रहना है। मेरा मानना है कि आम आदमी हो या सरकारी कर्मचारी या पुलिस कर्मचारी उसे हर प्रकार की व्यवस्था से अलग कैसे किया जा सकता है। यह भी तो समाज के ही अंग है। आए दिन खबरों में पढ़ने को मिलता है कि शादी या समारोह में गए दारोगा खूब नाचे और उनकी फोटो छाप दी जाती है। लोग कहते हैं कि वर्दी में ऐसा नहीं कर सकते। सही है कि ऐसा नहीं होना चाहिए। मगर डेढ़ दशक पूर्व एक दीवान और सिपाही की तैनाती शहर के एक थाने में थी। उनके साले की बिजनौर में शादी थी। शादी के लिए छुटटी नहीं मिली और जब मिली तो बारात चढ़ने का समय था। ऐसे में बारात में जाने के लिए कपड़े कैसे बदले। इसलिए मेरा मानना है कि सरकारी अधिकारी को इस प्रकार के छोटे मोटे मनोरंजन करने की अनुमति होनी चाहिए। वरना तो जैसी डयूटी इनसे ली जाती और जिस प्रकार से यह दिनभर विवाद से निपटते रहते हैं ऐेसे में अच्छा सोचने की बात ही समाप्त हो जाती है। जब ऐसा होता है तो सब एक ही बात गुनगुनाते हैं कि पुलिस का रवैया ठीक नहीं है। मैं यह नहीं कहता कि इनकी डयूटी आठ घंटे की और समय समाप्ति के बाद इन्हें घर चले जाना चाहिए। हो सकता है कि यह पुलिस नियमावली के खिलाफ हो मगर देश में सब काम नियम से तो नहीं हो पा रहे। कितने ही पुलिसकर्मी वर्दी में यात्रा करते और घूमते नजर आते हैं। मैं समझता हूं यह गलत नहीं है। कर्मचारी अधिकारी डयूटी पर सही काम करे तो ना रील बनाने में खतरा होना चाहिए। वर्तमान में जो सरकारी कार्यालयों और थानों में कार्यदिवस में जन्मदिन मनाने की जो प्रथा चल रही है उस पर रोक लगनी चाहिए। लेकिन इस प्रकार के मनोरंजन की अनुमति होनी चाहिए। भले ही कुछ प्रतिबंधों के साथ हो। जरूरत हो तो नियमावली में बदलाव होना चाहिए। वैज्ञानिक भी कहते हैं कि अगर हंसी खुशी से समय नहीं काटेगों तो जीवन सही नही चल पाता। मेरा आग्रह है कि सरकार गृह मंत्रालय द्वारा पुलिस कर्मचारियों को इसमें छूट दी जाए और महिलाओं द्वारा फोटो जारी होने पर कोई कार्रवाई ना की जाए तो अच्छा है।
(प्रस्तुतिः रवि कुमार बिश्नोई संपादक दैनिक केसर खुशबू टाइम्स मेरठ)

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